सोशल प्रिंट मीडिया अखबार( न्यूज पॉर्टल) एक खबर का सर्वेसर्वा अधिकार विनोद meghwani का है एक खबर के मुख्य संपादक विनोद meghwani है एक खबर ब्लॉग पर देश विदेश के न्यूज चैनल का युटुयब के वीडियो ओर राज्य ,छत्तीसगढ़ ,बॉलीवुड , हॉलीवुड, व्यंग ,हास्य अन्य लेख हिंदी, सिन्धी, उर्दू, अंग्रेजी अन्य विश्व की भाषाओ में ( सूचना आम जनता के लिये एक खबर में छपे लेख पे किसी प्रकार की आपत्ति या वाद विवाद का निपटारा दुर्ग न्यायालय के अंतर्गत होगा संपादक ,,,विनोद मेघवानी ,,
मंगलवार, 30 जून 2020
सिंधी कालोनी दुर्ग में,,,बाड़,,,, का कहर,,,
दुर्ग (एक खबर )बरसात की पहली एक घन्टे की झड़ी ने सिंधी कॉलोनी को छोटी ,,,शिवनाथ नदी में बदल दिया ।शंकर नाला पन्द्रह सालों से बन राहा है पर बन नही पाया ,,,खास कर पंजाबी गुरद्वारा से लेकर सिंधी कॉलोनी के बीच का हिस्सा छूट गया है जिससे नाले में पानी भरने पर सिंधी कालोनी में पानी घुस आता है । जिसके कारण पहले भी दुर्घटना हो चुकी है जान भी जा चुकी है । महापौर इस ओर ध्यान दे कोई गंभीर घटना फिर न घट जाए । विनोद मेघवानी
सोमवार, 29 जून 2020
छत्तीसगढ़ कोरोनो से कैसे बचें एक ,,सुझाव,,
माननीय मुख्यमंत्री जी नमस्कार एक खबर विनोद मेघवानी महोदय जी आप एक बेहद सुलझे हुऐ प्रतिभाशाली मुख्यमंत्री है । छत्तीसगढ़ राज आपके नेतृत्व में खुशालहाल रहेगाओर कोरोना से मुक्त होगा । महोदय जी आज 2 माह पहले कोरोना से संक्रमित 9 मरीज थे छत्तीसगढ़ में पर आज ये संख्या 3 हजार के करीब पुहचने वाली है । छत्तीसगढ़ कोरोना का प्रकोप प्रवासी लोंगो से हुआ है ये 100% सत्यवचन है । महोदय जी रेड जोन रायपुर की सीमा पर बसे अधिकांश गांव में कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित नही है । इसका कारण है लॉक डाउन वांहा अभी भी जारी है और बाहरी व्यक्तिओ का गांव में प्रवेश वर्जित है । इसलिए अगर छत्तीसगढ़ को कोरोनो से मुक्त करना है तो हर जिले की सीमाओँ को बंद रखे । जिले में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति होती रहे शासन प्रशासन ऐसी व्यवस्था करे । महोदय जी आप ऐसी व्यवस्था करे की छतीसगढ़ वासी कोरोनो के संक्रमण से बचे अभी जान बचाये । जाहांन (दुनिया ) बाद में बसा लेंगे हर जिले में व्यापार का टाइम 6 घन्टे का फिक्स कर दे ऐसी व्यवस्था करे की शहरों में भीड़ न बड़े । सोशल डिस्टेसिंग का पालन हो 2 गज की दूरी बनी रहे ।क्यो की छतीसगढ़ में अब लॉक डाउन की जरूरत है ,,आप पूरा लॉक डाउन न करते हुऐ,,, आशिंक रूप से लॉक डाउन जारी रखे क्योंकि कोरोनो का इलाज लॉक डाउन है आप जितना आर्थिक रूप से छतीसगढ़ को खोलेंगे उतना ही कोरोनो का संक्रमण बढेगा हम तो यही कहेंगे मुख्यमंत्री जी जान बचेगी तो ही,,,,दुनिया का मजा लेंगे । धन्यवाद ,,,विनोद मेघवानी एक खबर
शुक्रवार, 26 जून 2020
क्या बाबा रामदेव की पतंजलि खिलाफ साजिश हो रही है ?
लूट खसोट अगर सरकारी ढंग से की जाये तो उसे सही और वाजिब माना जाता है । एक तरफ W H O कहता है की कोरोना का अभी तक कोई ईलाज नही मिला । दूसरी तरफ ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स फेबिफलु टेबलेट को कोरोनो के इलाज के लीये मंजूरी मिल गई । और बाबा राम देव की कोरोलिन को मंजूरी नही मिली इसका कारण क्या है । दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल
दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल प्री-क्लीनिकल ट्रायल पर हैं और उनमें से कुछ का इंसानों पर प्रयोग शुरू किया गया है.
इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है.
शायद ही कभी बन पाए कोरोना का टीका
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लेकर अलर्ट किया है कि हो सकता है कि दुनिया में कोविड19 का वैक्सीन ही न मिले. दरअसल, ऐसी आशंका इसलिए जताई गई है कि एचआईवी और यहां तक कि डेंगू की भी वैक्सीन कई सालों के रिसर्च के बाद भी नहीं मिल पाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोविड19 के विशेष दूत डॉ.डेविड नैबोरो ने कहा, 'यहां कुछ वायरस हैं जिनकी कोई वैक्सीन नहीं है. हम यह नहीं मान कर चल सकते कि वैक्सीन आ जाएगी और अगर यह आती है भी है, तो क्या सभी तरह की सुरक्षा और क्षमता के मानकों पर खरा उतरती है.' उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ चीफ भी कोरोना वायरस को लेकर भयावह भविष्यवाणी करते रहे हैं और अब एक्सपर्ट की इस आशंका ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है.
सीएएन की रिपोर्ट के मुताबिक नैबोरो ने कहा, 'सबसे बुरी स्थिति यह हो सकती है कि कभी कोई वैक्सीन ही न हो.' उन्होंने कहा कि लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं और फिर खत्म हो रही हैं, क्योंकि आखिरी मुश्किलों से पहले ही कई समाधान फेल हो जा रहे हैं.
चार दशकों से अब एचआईवी से 3.2 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन दुनिया उसका वैक्सीन नहीं ढूंढ पाई है. वहीं, डेंगू की बात की जाए तो यह हर साल चार लाख लोगों को प्रभावित करता है. वहीं, कुछ देशों में 9-45 साल के लोगों के लिए डेंगू का वैक्सीन मौजूद है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनी 'संजीवनी बूटी'
मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में काफी कारगार बताई जा रही है. इसी के चलते भारत ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से यह दवां मांगी थी. इसके बाद भारत ने इस दवा पर प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा दिया है. भारत ने अमेरिका सहित कई देशों को यह दवा भेजी है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कितनी कारगर ?
एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना के असर को कम कर सकता है. कई देशों में दोनों दवाओं के इस्तेमाल के अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे उम्मीद जगी है.
आर्सेनिक एलबम 30 में कितना दम?
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में एक होम्योपैथिक दवा की भी फोटो और दवा का नाम खूब वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है. इस दवा का नाम आर्सेनिक एलबम 30 है.
सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जिसको होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस का होम्योपैथिक इलाज इससे बीमारी से काफी हद तक बचा सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. इस बारे में ईटी के रिसर्च करने पर यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर इस महीने इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई दवा खाने की सलाह भी नहीं दी है.
WHO ने कहा, 'बिना परीक्षण वाली’दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक
कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है. समस्या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है। एक खबर ,,विनोद मेघवानी
बुधवार, 24 जून 2020
बाबा रामदेव का तमाशा ?
पीठ खुजलाने का अपना ही ,,,मजा है ,,,सोने पे सुहागा ,,तब हो जाता है जब आपकी पीठ और कोई खुजलाता है ,,,बड़ा आनंद आता है लोंगो को । ओर अब तो ऐसा हो गया तू मेरी पीठ खुजा में तेरी पीठ खुजाऊँगा,, क्योंकि की कोरोना काल मे हर कोई खाली बैठा है । कोई काम नही है बिजनेस 30% हो गया है लोंगो की नोकरियों का ठिकाना नही कब चली जाये । ऐसे में पंतजलि योगगुरु बाबा राम देव जी जिन्होंने योग को ही बिजनेस बना दिया । बाबा राम देव जी दुनिया के पहले ऐसे योग गुरु है । जिन्होंने योग को बिजनेस माना और योगा अभ्यास से जन मानस को योग के प्रति आकर्षित किया योगा करने से इंसान वैसे ही स्वास्थ होता है बाबा राम देव जी ने उसके साथ आयुर्वेद का योग कर दिया और पंतजलि को जन्म दिया जो जिसकी वेल्यू आज लाखो अरबों की है। बाबा राम देव का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता है । आपदा से अवसर निकलना कोई बाबा राम देव जी से सीखे । कोरोनो आपदा थी बाबा राम देव ने इसे अवसर माना ओर,,,कोरोनो की टेबलेट बना ली,,,कोरोलिन ,,,ओर दावा की कोरोना मरीज 7 दिनों में स्वस्थ हो जायेगा । पर केंद्र सरकार ने पांच घन्टे में ही दवा पर रोक लगा दी ,,,क्यो की पंताजलि ने केंद्र सरकार से इजाजत नही ली थी ,,,बाबा राम देव का का उद्देश्य क्या है ,,,पैसा कमाना या फिर लोंगो की जान बचाना ये आने वाला समय ही बतायेगा ,,जब केंद्र सरकार की तरफ से कोरोलिन को कोरोना की दवाई रूप में मान्यता मिलेगी ,,,,एक खबर,,,,,विनोद मेघवानी की कलम से ,,,,,,
रविवार, 21 जून 2020
युवा विंग की zoom मीटिंग (पूज्य छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत )
छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत युवा विंग ने आज zoom मीटिंग का आयोजन किया जिसके होस्ट थे सी.ऐ श्री अमित चिमनानी जी राहुल तेजवानी जी और कार्यक्रम अध्यक्ष थे पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी जी । मुख्यवक्ता थे *"डॉ अजेय शेष जी और गिनीज बुक एवम गोल्डन बुक रिकार्ड होल्डर राष्ट्रीय सेवा रत्न,इंटरनेशनल बेस्ट स्पीकर आइकन ऑफ इंडिया अवार्ड विजेता ये है मुख्यवक्ता जो जब बोलते है तो सब मंत्रमुग्ध होकर इनको सुनते हैं किसी बड़े हाल में अगर हजारो व्यक्ति हो और जब डॉ अजय शेष बोलना शुरू करते है तो मजाल है कि किसी को सुई गिरने की आवाज भी सुनाई दे सुनने वालों को सम्मोहित कर देते है डॉ अजय जी आज जब zoom मिटिंग शुरू हुई तो डॉ अजय ने जब अपनी स्पीच शुरू की तो सब मंत्रमुग्ध हो गये आज की मीटिंग का विषय था कोरोना काल मे बिजनेस विक्ट्री ,,,,, डॉ अजय ने काहा आप सक्सेस कैसे हो आप कैसे ऐसे बने की लोग आपके ही कस्टमर बने उसका एक उदाहरण दिया ।डॉ अजय ने बताया पैसा सक्सेस तितली की तरह होती है आप तितली को कैसे पकड़ेंगे ,,,उन्होंने दो उपाय बताऐ पहला की आप तितली को नेट से पकड़ने की कोशशी करेंगे जिसमे आपको बहुत मेहनत करनी पड़ेगी । दूसरा उपाय है कि आप ऐसा बाग बनाये जिसमे तरह तरह के फूल लगाएं उस पे तितलियां खुद ब खुद आकर बैठेंगी ,,,। जो सक्सेस होना चाहते है उन्हें फूल की तरह सुगन्धित बनाना पड़ेगा ।और आज दूसरे वक्ता थे डॉ संदीप दवे रामकृष्ण हॉस्पिटल के ऑनर उन्होंने ने भी दर्शकों के बीच अपने सुंदर और बेहतरीन विचार शेयर किये आज की मीटिंग बेहतरीन रही पूरे छत्तीसगढ़ से महाराष्ट्र मध्यप्रदेश से भी दर्शक जुड़े थे एक खबर विनोद मेघवानी""*
गुरुवार, 18 जून 2020
जिंदगी आसान बना खुद को
ऐ जिंदगी जरा आसान बना खुद को ।।
तेरे बजाये मौत से गले मिल रहे है लोग।।
हसरते पूरी हो ना हो ख्वाहिश रखना गुनाह तो नही ।।
ताजमहल से पूछो तन्हाई क्या होती ।।
ताजमहल देखने तो दुनिया आती है पर रहता कोई नही ।।
ऐ जिंदगी जरा आसान बना खुद को ।।
ओशो की बाते
स्वास्थ्य
मन और बीमारी का संबंध
अगर आप बीमार पड़े हैं और आपको पता चला कि डाक्टर ने ऐसा कहा है कि बिलकुल ठीक हैं, कोई खास बीमारी नहीं है तो तत्काल आपके भीतर बीमारी क्षीण होने का अनुभव आपको हुआ होगा-तत्काल!
आपने कभी ख्याल किया है, बीमार पड़े हों बिस्तर पर-सभी कभी न कभी पड़ते हैं-आपने कभी ख्याल किया है कि बीमार पड़े हों, बड़ी तकलीफ मालूम पड़ती है, बड़ी बेचैनी है, बड़ी भारी बीमारी है। डाक्टर आया। डाक्टर के बूट बजे, उसकी शक्ल दिखाई दी। उसका स्टेथकोप! थोड़ी बीमारी एकदम उसको देखकर कम हो गई! अभी उसने दवा नहीं दी है। डाक्टर ने थोड़ा ठकठकाया, इधर-उधर ठोंका-पीटा। उसने अपना स्पेशलाइजेशन दिखाया कि हां! फिर उसने कहा कोई बात नहीं, बहुत साधारण है, कुछ खास नहीं है। दो दिन की दवा में ठीक हो जाएंगे। फिर उसने जितनी बड़ी फीस ली, उतना ही अर्थ मालूम पड़ा कि यह बात ठीक होगी ही।
आपने ख्याल किया है, डाक्टर की दवा और उसका प्रिस्क्रिप्शन आने में थोड़ी देर लगती है, लेकिन मरीज ठीक होना शुरू हो जाता है। मन ने अपने को सुझाव दिया कि जब इतना बड़ा डाक्टर कहता है, तो ठीक हैं ही। अगर आप बीमार पड़े हैं और आपको पता चला कि डाक्टर ने ऐसा कहा है कि बिलकुल ठीक हैं, कोई खास बीमारी नहीं है तो तत्काल आपके भीतर बीमारी क्षीण होने का अनुभव आपको हुआ होगा-तत्काल! एक ताजगी आ गई है। बुखार कम हो गया है। बीमारी ठीक होती मालूम पड़ती है। अभी कोई दवा नहीं दी गई है? तो यह परिणाम कैसे हुआ है?
पश्चिम में डाक्टर एक नई दवा पर काम करते हैं, उस दवा को कहते हैं धोखे की दवा, प्लेसबो। बडे हैरान हुए हैं। दस मरीज हैं, दसों एक बीमारी के मरीज हैं। पांच को दवा दी और पांच को सिर्फ पानी दिया। बड़ी मुश्किल है। दवा वाले भी तीन ठीक हो गए है पानी वाले भी तीन ठीक हो गए! अब दवा को क्या कहें? यह दवा थी ही नहीं; यह सिर्फ पानी था। लेकिन दवा वाले भी, पांच में से तीन ठीक हो गए हैं और ये भी पांच में से तीन ठीक हो गए हैं, पानी वाले! अब क्या कहें?
मनोविज्ञान तो कहता है कि अब तक कि जितनी दवाएं हैं दुनिया में, वे सिर्फ सजेशन का काम करती हैं। असली परिणाम सजेशन का है, सुझाव का है। असली परिणाम दवा के तत्व का नहीं है। इसीलिए तो इतनी पैथी चलती हैं। इतनी पैथीचल सकती हैं? पागलपन की बात है। बीमारी अगर होगी, तो इतनी पैथी चल सकती हैं वैज्ञानिक अर्थो में?।
होम्योपैथी भी चलती है! और होम्योपैथी के नाम पर करीब-करीब शक्कर की गोलियां चलती हैं। कम से कम हिंदुस्तान में बनी तो शक्कर की गोली ही होती हैं। शक्कर भी शुद्ध होगी, इसमें संदेह है। बायो-केमिस्ट्री चलती है। आठ तरह की दवाओं से सब बीमारियां ठीक हो जाती हैं! नेचरोपैथी चलती है; दवा वगैरह की कोई जरूरत नहीं है! पेट पर पानी की पटटी या मिट्टी की पटटी से बीमार ठीक होते हैं! जंत्र, मंत्र, तंत्र-सब चलता है। जादू टोना चलता है। सब चलता है। क्या, मामला क्या है? और आदमी सबसे ठीक होता है!
आदमी के ठीक होने के ढंग बड़े अजीब हैं। शक इस बात का है कि आदमी की अधिक बीमारियां भी उसके सुझाव होती हैं कि उसने माना है कि वह बीमार हुआ है। और आदमी का अधिकतर स्वास्थ्य भी उसका सुझाव होता है कि उसने माना है कि वह ठीक हुआ है। बीमारियां भी बहुत मायनों में झूठी होती हैं, मन का खेल। लेकिन मन आटो-सजेस्टिबल है, अपने को सुझाव दे सकता है।
उस तरह की शांति झूठी है, जो कुवे की पद्धति से आती है। जो कहती है कि तुम शांत हो रहे हो। इसको माने चले जाओ, कहे चले जाओ, दोहराए चले जाओ-शांत हो जाओगे।
जरूर शांत हो जाएंगे। लेकिन वैसी शांति सिर्फ सतह पर दिया गया धोखा है। वह शांति वैसी है, जैसे नाली के ऊपर हमने फूलों को बिछा दिया हो, तो क्षणभर को धोखा हो जाएं। हां, किसी नेता की पालकी निकलती हो सड़क से, तो काफी है। चलेगा। क्षणभर को धोखा हो जाए, कोई नाली नहीं है, फूल बिछे हैं। लेकिन घड़ीभर बाद फूल कुम्हला जाएंगे, नाली की दुर्गंध फूलों के पार आकर फैलनी लगेगी। थोड़ी देर में नाली फूलों कों डुबा लेगी।
झूठी शांति हो सकती है-सुझाव से, सम्मोहन से। और सम्मोहन की हजार तरह की विधियां दुनिया में प्रचलित हैं, जिनसे आदमी अपने को मान ले सकता है कि मैं शांत हूं। और भी रास्ते हैं। और भी रास्ते हैं, जिनसे आदमी अपने को शांत करने के ख्याल में डाल सकता है। लेकिन उन रास्तों से शांत हुआ आदमी भीतर नहीं जा सकेगा। जबर्दस्ती भी अपने को शांत कर सकते हैं। जबर्दस्ती भी अपने को शांत कर सकते हैं। अगर अपने से लड़े ही चले जाएं, और जबर्दस्ती अपने ऊपर किए चले जाएं सब तरह की, तो अपने को शांत कर सकते हैं।
लेकिन वह शांति होगी बस, जबर्दस्ती की शांति। भीतर उबलता हुआ तूफान होगा। भीतर जलती हुई आग होगी। ठीक ज्वालामुखी भीतर उबलता रहेगा और ऊपर सब शांत मालूम पड़ेगा।
ऐसे शांत बहुत लोग हैं, जो ऊपर से शांत दिखाई पड़ते हैं। लेकिन इनके भीतर बहुत ज्वालामुखी है, उबलते रहते हैं। हां, ऊपर से उन्होंने एक व्यवस्था कर ली है। जबर्दस्ती की एक डिसिप्लिन, एक आउटर डिसिप्लिन, एक बाहृय अनुशासन अपने ऊपर थोप लिया है। ठीक समय पर सोकर उठते हैं। ठीक भोजन लेते हैं। ठीक बात जो बोलनी चाहिए, बोलते हैं। ठीक शब्द जो पढ़ने चाहिए, पढ़ते हैं। ठीक समय सो जाते हैं। जिस प्रभाव में उनको जीना है, शांति में जीना, उसका धुआं अपने चारों तरफ पैदा रखते हैं। तो फिर एक-एक सतह ऊपर की पर्त शांत दिखाई पड़ने लगती है और भीतर सब अशांत बना रहता है।
-ओशो
पुस्तकः गीता दर्शन-3
प्रवचन नं. 7 से संकलित
बुधवार, 17 जून 2020
कहि का ईट कहि का रोड़ा भानुमति ने कुनबा जोड़ा
कहि की ईंट कहि का रोड़ा ,,,,
भानुमति ने कुनबा जोड़ा ,,,,
भानुमती कौन थी?
दुर्योधन की पत्नी का नाम भानुमति था। भानुमती के कारण ही यह मुहावरा बना है- कहीं की ईंट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। भानुमती काम्बोज के राजा चन्द्रवर्मा की पुत्री थी। भानुमति बहुत ही सुंदर, आकर्षक, बुद्धिमान और ताकतवर थी। उसकी सुंदरता और शक्ति के किस्से प्रसिद्ध थे। यही कारण था कि भानुमती के स्वयंवर में शिशुपाल, जरासंध, रुक्मी, वक्र, कर्ण आदि राजाओं के साथ दुर्योधन भी गया हुआ था।
कहते हैं कि जब भानुमती हाथ में माला लेकर अपनी दासियों और अंगरक्षकों के साथ दरबार में आई और एक-एक करके सभी राजाओं के पास से गुजरी, तो वह दुर्योधन के सामने से भी गुजरी। दुर्योधन चाहता था कि भानुमती माला उसे पहना दे लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दुर्योधन के सामने से भानुमती आगे आगे बढ़ गई। दुर्योधन ने क्रोधित होकर तुरंत ही भानुमती के हाथ से माला झपटकर खुद ही अपने गले में डाल ली। इस दृष्य को देखकर सभी राजाओं ने तलवारें निकाल लीं।
ऐेसी स्थिति में दुर्योधन ने भानुमती का हाथ पकड़ा और वह उसे महल के बाहर ले जाते हुए सभी योद्धाओं से बोला, कर्ण को परास्त करके मेरे पास आना। अर्थात उसने सब योद्धाओं से कर्ण से युद्ध की चुनौती दी जिसमें कर्ण ने सभी को परास्त कर दिया। लेकिन जरासंध से कर्ण का युद्ध देर तक चला।
जरासंध ने दुर्योधन की बीवी भानुमती के स्वयंवर में भी भाग लिया और जब दुर्योधन जबरन भानुमती को अपनी पत्नी बनाना चाह रहा था तब जरासंध और कर्ण में 21 दिन युद्ध चला जिसमे कर्ण जीता और पुरस्कार में जरासंध ने कर्ण को मालिनी का राज्य दे दिया। ये जरासंध की पहली हार थी।
इस तरह दुर्योधन ने भानुमती के साथ जबरन विवाह किया। भानुमती को हस्तिनापुर ले आने के बाद दुर्योधन ने उसे ये कहकर सही ठहराया कि भीष्म पितामह भी अपने सौतेले भाइयों के लिए अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका का हरण करके ले आए थे। इसी तर्क से भानुमती भी मान गई और दोनों ने विवाह कर लिया। दोनों के दो संतान हुई- एक पुत्र लक्ष्मण था जिसे अभिमन्यु ने युद्ध में मारा दिया था और पुत्री लक्ष्मणा जिसका विवाह कृष्ण के जामवंति से जन्मे पुत्र साम्ब से हुआ था।
दूसरी ओर अभिमन्यु की पत्नी वत्सला बलराम की बेटी थी। बलराम चाहते थे कि वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो। वत्सला और अभिमन्यु एक-दूसरे से प्यार करते थे। अभिमन्यु ने वत्सला को पाने के लिए घटोत्कच की मदद ली। घटोत्कच ने लक्ष्मण को इतना डराया कि उसने कसम खा ली कि वह पूरी जिंदगी शादी नहीं करेगा।
इसी कारण ये कहावत बनी, भानुमती ने दुर्योधन को पति चुना नहीं दुर्योधन ने जबरदस्ती की शादी। अपने दम पर नहीं कर्ण के दम पर किया भानुमती का हरण, दूसरा भानुमती की बेटी लक्ष्मणा को कृष्ण पुत्र साम्ब भगा ले गया था, तीसरा पुत्र लक्ष्मण की इच्छापूरी नहीं हुई और वह अभिमन्यु के हाथों युद्ध में वीरगती को प्राप्त हुआ। इस तरह की विस्मृतियों के कारण ये कहावत चरिर्तार्थ होती है। कहते हैं कि भानुमती का कर्ण के साथ अच्छा संबंध हो चला था। दोनों एक-दूसरे के साथ मित्र की तरह रहते थे। दोनों की मित्रता प्रसिद्ध थी।
कोरोनो का ईलाज देश भर में फ़्री हो
कोरोनो का ईलाज केंद्र सरकार आयुष्मान योजना में शामिल करें
फ़्री इलाज हो ।
चीन ने धोखे से वॉर किया । नेपाल भारत विवाद,,,ये विषय हम आम की सोच आदमी से बहुत बड़े हम कोरोनो के बारे में बात करते है जो हमारे इर्द गिर्द घूम राहा है । छत्तीसगढ़ में कोरोना संक्रJ8मित मरीजो की संख्या दो हजार के लगभग पुहचने वाला है ।और बढ़ते ही जा राहा है । कोरोनो एक राष्ट्रीय आपदा है ।पर केंद सरकार ने इस बीमारी को लेकर ये घोषणा नही की है की इसका इलाज गैर सरकारी अस्पताल में भी मुफ्त होगा । उल्टे ये घोषणा कर दी की प्राइवेट लेबो में जांच करने की 4500 / रुपये होगी । ये आम जनता के साथ नाइंसाफी है । केंद्र सरकार को कोरोना को आयुष्मान योजना में शामिल करना चाहिये ( करना ही पड़ेगा अन्यथा जनता विद्रोह पर उतर आएगी ) अभी क्योंकि कोरोना एक जान लेवा संकट है इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें इस पर जवाब देहि लेकर आगे है क्यो की उन्हें डर है कि अगर हम कोरोना से ध्यान हटाएंगे तो मीडिया सरकारों को जीने नही देगी ।जैसे ही कोरोनो कम होगा ( भगवान करे ऐसा जल्द हो ) तो कोरोना प्राइवेट हॉस्पिटल के लीये आय का एक बड़ा जरिया बन जायेगा । अभी से इसकी नकारात्मक खबरे आनी शुरू हो गई है । आज के हालत ये है की गैर सरकारी हॉस्पिटल में सेवाएं ठीक ठाक है पर पैसा के मामलो में आरजकता बनी हुई है रोज आने वाले मरीज़ों की संख्या जीरो हो गई है । नर्स डॉक्टर व अन्य खर्च अपनी जेब से भरने पड़ रहे है । वे खर्च कान्हा से निकलेंगे । इनके अभी एक ही विकल्प है कोरोना मरीज । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन्हें कोरोनो नही है प्राइवेट हॉस्पिटल उन्हें भी कोरोना की संभावना के मरीज बता कर आईसी यू में एडमिट करके खर्च बड़ा रहे है मरीज का । इन सब से बचने का एक ही तरीका है की ,,,कोरोना का इलाज फ़्री हो आयुष्मान योजना के तहत । वैसे छत्तीसगढ़ वासियों के लिये राहत की खबर है कि स्वास्थ्य विभाग ने छत्तीसगढ़ सरकार को ( आयुष्मान भारत योजना ) को डॉ खूबचंद बघेल स्वास्थ सहायता योजना में शामिल किया है छत्तीसगढ़ में कोरोना का ईलाज मुफ्त होगा । एक खबर ,,विनोद मेघवानी
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