सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून 8, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जय श्री राम,,,के नारे ,,,,से ममता क्यों ,,भड़की,,

एक खबर,,,,,,,, बोया बबूल तो आम कान्हा से होये,,,,, ये बात बंगाल की मुख्यमंत्री,, ममता बेनर्जी ,,,पर सही बैठती है पैतीस साल तक बंगाल में राज करने वाली,,वाम मोर्चे की सरकार ओर ज्योति बसु का राजनीतिक अंत ममता बनर्जी ने ही किया था,,,,,,जय श्री राम के नारे से बौखलाने वाली ममता बैनर्जी को अपना भविष्य,, अंधकार में दिख रहा ,,,है मोदी जी और अमित शाह की रण नीति ने उनकी सत्ता की जड़ों को खोखला करना शुरू कर दिया है इसलिये ,,,वो बौखला गई है ,,,ममता जी की गुजरी ,,,जिंदगी के कुछ ,,अंश ,,,, कांग्रेस से मतभेद और तृणमूल का गठन अप्रैल 1996-97 में उन्होंने कांग्रेस पर बंगाल में सीपीएम की कठपुतली होने का आरोप लगाया और 1997 में कांग्रेस से अलग हो गईं. इसके अगले ही साल 1 जनवरी 1998 को उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस बनाई. वह पार्टी की अध्यक्ष बनीं. 1998 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने 8 सीटों पर कब्‍जा किया. पहला रेल बजट और मंत्री पद से इस्‍तीफा साल 1999 में उनकी पार्टी बीजेपी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का हिस्सा बन गई. उन्हें रेल मंत्री बना दिया गया. 2002 में उन्ह