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दिसंबर 26, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्वस्थ रहो,,,, मस्त रहो,,, एक खबर

एक खबर,,,,व्हाटसअप,,, अखबार,,,,,,पर पड़े ] Vinod Meghwani : मन वायु के समान चंचल है जिस तरह वायु की गति अपने आप कम और ज्यादा होती रहती है वैसी ही स्थिति हमारे मन की है । जो हर समय कुछ पाने की चाह में कभी मन्द ओर कभी तेज गति में भटकता रहता है । आप ने कभी शायद गौर किया हो न किया हो तो अब करना कि मन की गति कितनी तेज है ।आप दुर्ग में बैठे है और कहि बाहर जाने की प्लॉनिंग कर रहे है तब आपका मन उस जगह पुहुँच चुका होता है,,,,पर इस मन को हमेशा सम्भाल कर रखना खास कर 55 की उम्र के बाद क्यो की हमारा शरीर तो अधेड़ हो चुका होता है पर मन बच्चा होता है इस मनचले मन की वजह से कही लेने के देने पड़ जाये इसलिये सम्भल कर रहे और नीचे दि गई बातों में सावधानी बरतें ओर स्वस्थ हो लम्बा जीवन जिये ,,,, *♡ वरिष्ठ नागरिक 55-70 से ऊपर की उम्र के ,*  *अवश्य पढें । हो सकता है आपके काम आये ...♡*            ● आप जानते है कि मन चाहे कितना भी जोशीला हो , साठ की उम्र होने पर यदि आप अपने आप को फुर्तीला ओर ताकतवर समझते हैं  लेकिन वास्तव में ढलती उम्र के साथ तन उतना ताकतवर और फ़ुर्तीला नहीं रह जाता । ● आपका शरीर ढलान पर है,