Vinod meghwani,,,,
,,,एक खबर Vinod meghwani ) आप कैसी जिंदगी जीना चाहते है ,🖊️सादगी ओर सरलता की जिंदगी आपके जीवन को स्वर्ग बना देती है।ओर महत्वाकांक्षा की जिंदगी आप के जीवन को नरक बना देती आप लोभ ओर विलास्ता का जीवन जीते है तो आप , लोन लेकर ओर कर्ज लेकर जब जीते है तो ये आप के जीवन को नरक बना देता है। कोरोना के बाद मेरे एक पहचान वाले ( मित्र नहीं ) ने ये कहते हुए अचानक लग्जरी जिंदगी जीना शुरू कर दी कि ' जिंदगी की क्या गांरटी है । ' उनकी जीवनशैली एकदम बदल गई । किसी भी खरीदारी में चाहे टीवी , कार , स्मार्टफोन या होटल स्टे में भी वह शुरुआती स्तर की चीजों की बात नहीं करते थे । क्लोज सर्किल में हम जब ऐसे किसी की चर्चा करते जो कभी पैसों को लेकर सजग उपभोक्ता थे और अचानक लग्जरी चीजें पसंद करने लगे , तो उनका उदाहरण दिया जाने लगा । अचानक एक दिन वह परिदृश्य से गायब हो गए । उनके बारे में कहानियां चलने लगी कि लग्जरी लाइफ जीने के लिए उन्होंने ढेर सारे लोन लिए थे , अंततः उनकी और उनके परिवार की जिंदगी तहस - नहस हो गई । धीरे - धीरे वह भुला दिए गए । इस सोमवार को वह मुझे याद आ गए , जब पता चला कि कई सारी नामचीन कंपनियां , जो रईसों के लिए उत्पाद बनाती हैं , अब भारत से लगातार आती लग्जरी की मांग के बाद यहां भी आउटलेट खोल रही हैं । भारत में भी कार निर्माताओं ने अपने बेस मॉडल बनाना कम कर दिए हैं । जैसे दस लाख से कम की कार की 2019 में जहां 57 वैरायटी थीं , जो आज 27 हैं और दस लाख से ज्यादा वालों की दोगुनी हुई हैं । छोटी टीवी स्क्रीन शायद कार की सीट पर चली गई हैं । नहीं तो इसे कैसे बताएंगे कि जनवरी से अभी तक बाजार में पेश टीवी की 170 कैटेगरी में 100 प्रीमियम कैटेगरी की 50 इंच से ज्यादा वाली हैं । क्या हम घर के मुख्य हॉल में जा रहे हैं या सिनेमा हॉल में ? कार , टीवी , मोबाइल के साथ दूसरे उत्पादों में महंगी चीजें पसंद बन रही हैं , ऐसे में ताज्जुब नहीं कि उत्पादकों के अनुमान से इस साल ये बाजार 12 हजार करोड़ रु . पार कर जाएगा । इसमें 8 हजार करोड़ के तो सिर्फ शादियों के परिधान हैं । ढेर सारी वैश्विक कंपनियों द्वारा भारत में जारी लेटेस्ट लग्जरी उत्पादों को अगर संकेत मानें तो कोई भी आसानी से कह सकता है कि लग्जरी चीजों के उपभोग में आ रही इस तेजी के लिए भारत तैयार है । पर किस कीमत पर ? आपको लगता है सबके पास ऐसी लग्जीरियस चीजों के लिए पैसा है ? या फिर सालों पहले उद्योगपतियों को कर्ज देकर पछता रहे बैंक का ध्यान अब लग्जरी की चाह रखने वाले भारतीयों पर है ? दूसरा जवाब सही है । यही कारण है कि राजेश्वरी सेनगुप्ता , हर्ष वर्धन जैसे अर्थशास्त्रियों ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंटल रिसर्च के लिए तैयार अपने पेपर में बताया कि यह ' उधार का उपभोगीकरण ' है । नहीं तो इसे कैसे सही ठहराएंगे कि फुटकर कर्ज मार्च 2023 की स्थिति में 40.85 लाख करोड़ रु . था । भले ही इसमें गृह ऋण भी शामिल है , लेकिन इकोनॉमिस्ट का मानना है कि ये जीडीपी का 10 % है और उनके द्वारा अध्ययन कई देशों की तुलना में कम है । अब सवाल है क्या हमें ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर अभी की जिंदगी का लुत्फ उठाने के लिए लग्जरी खरीदनी चाहिए या फिर इंतजार करना चाहिए कि उतनी जरूरत का पैसा जमा हो जाए , फिर जिंदगी का मजा लेने के लिए लग्जरी चीजें बाद में खरीदेंगे ? मेरे लिए ' लग्जरी और लोन ' वैसा ही है जैसे ' रम के साथ रसम ! ' कुछ लोगों को अभी भी ये बेमेल स्वाद पसंद आएगा , जिसका मतलब है । कि वे अभी भी कर्ज चुका सकते हैं और खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं , लेकिन ऊपर जिक्र किए मेरे परिचित जैसे लोगों के लिए थोड़े धैर्य की जरूरत है । फंडा यह है कि जब ईश्वर समय और दबाव का उपयोग करते हुए इल्ली को तितली बना सकता है , रेत को मोती में बदल सकता है , कोयले को हीरा बना सकता है , तो आपको नहीं लगता कि वह आप पर भी काम कर रहा है ? वह कर रहा है , पर आपसे भी धैर्य की उम्मीद है । एक खबर के इस लेख पर आप अपने विचार रखे
सोशल प्रिंट मीडिया अखबार( न्यूज पॉर्टल) एक खबर का सर्वेसर्वा अधिकार विनोद meghwani का है एक खबर के मुख्य संपादक विनोद meghwani है एक खबर ब्लॉग पर देश विदेश के न्यूज चैनल का युटुयब के वीडियो ओर राज्य ,छत्तीसगढ़ ,बॉलीवुड , हॉलीवुड, व्यंग ,हास्य अन्य लेख हिंदी, सिन्धी, उर्दू, अंग्रेजी अन्य विश्व की भाषाओ में ( सूचना आम जनता के लिये एक खबर में छपे लेख पे किसी प्रकार की आपत्ति या वाद विवाद का निपटारा दुर्ग न्यायालय के अंतर्गत होगा संपादक ,,,विनोद मेघवानी ,,
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