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साई लाल दास ने अपनी अमूर्त वाणी से बरसाई सत्संग में अमूर्त वर्षा

सन्त साई लाल दास जी ने  अपनी अमूर्त वाणी से  सत्संग संध्या,, में बरसाई  अमूर्त वर्षा,,, इस सत्संग  की अमूर्त  वर्षा में   भीगकर,,स्रोताओं की  आत्मा तृप्त हो गई,,,,,ओर  सन्त लालदास भी  स्रोताओं की भक्ति देखकर  भाव विभोर हो उठे,, ,उन्होने ने कहा कि जो  आपके पास है उसी में  संतोष करो तो सुखी रहोगे  ।इस पे एक कथा सुनाई,,, ,,,की एक व्रद्ध दम्पति थे  जो लगभग 75 वर्ष के  स्टेशन पे चाय बेच के  गुजारा करते थे ।एक दिन  रामनाथ अपनी पत्नी से  कहता है कि हमने क्या  बिगाड़ा था उस भगवान  जो हमे इस उम्र में भी  मेहनत कर के जीवन का  गुजारा करना पड़ राहा है  । अगर हमें औलाद दी  होती तो आज हम आराम  से घर मे होते और हमारा  बेटा हमे कमा के खिलाता  उसकी पत्नी उसे  समझाती कहती कि जो है  उसमें सन्तोष करो और  राम नाथ उसकी बात से  सहमत नही होता था ।  एक रोज अपनी चाय  दुकान से वो एक ट्रेन से  अपनी हम उम्र जोड़े को  उतरते देखते है । सुबह से  शाम हो जाती है वो जोड़ा