रविवार, 18 अगस्त 2019

साई लाल दास ने अपनी अमूर्त वाणी से बरसाई सत्संग में अमूर्त वर्षा

सन्त साई लाल दास जी ने


 अपनी अमूर्त वाणी से


 सत्संग संध्या,, में बरसाई


 अमूर्त वर्षा,,, इस सत्संग


 की अमूर्त  वर्षा में 


 भीगकर,,स्रोताओं की


 आत्मा तृप्त हो गई,,,,,ओर


 सन्त लालदास भी


 स्रोताओं की भक्ति देखकर


 भाव विभोर हो उठे,,


,उन्होने ने कहा कि जो 


आपके पास है उसी में


 संतोष करो तो सुखी रहोगे


 ।इस पे एक कथा सुनाई,,,


,,,की एक व्रद्ध दम्पति थे


 जो लगभग 75 वर्ष के


 स्टेशन पे चाय बेच के


 गुजारा करते थे ।एक दिन


 रामनाथ अपनी पत्नी से


 कहता है कि हमने क्या


 बिगाड़ा था उस भगवान


 जो हमे इस उम्र में भी


 मेहनत कर के जीवन का


 गुजारा करना पड़ राहा है


 । अगर हमें औलाद दी


 होती तो आज हम आराम


 से घर मे होते और हमारा


 बेटा हमे कमा के खिलाता


 उसकी पत्नी उसे


 समझाती कहती कि जो है


 उसमें सन्तोष करो और


 राम नाथ उसकी बात से


 सहमत नही होता था ।


 एक रोज अपनी चाय


 दुकान से वो एक ट्रेन से


 अपनी हम उम्र जोड़े को


 उतरते देखते है । सुबह से


 शाम हो जाती है वो जोड़ा


 बेंच पर ही बैठा था ।


 रामनाथ से राहा नही


 जाता वो उनसे पूछता है


 भाई साहब आपको कान्हा


 जाना है किस ट्रेन में जाना


 है में आपको चढ़ा दूंगा ।


 वो सज्जन कहते नही हमे


 कही नही जाना है हमे


 इसी स्टेशन पर हमारे छोटे


 बेटे ने उतरने के लीये


 काहा है ।हमे लेने के लिए


 हमारा बड़ा बेटा आएगा


 ।रामनाथ कहता है आप


 अपना एड्रेस पता बताओ


 में ऑटो कर देता हूँ ।


 सज्जन कहता हमारे बेटे


 ने एड्रेस दिया है पर हमें


 पड़ना नही आता आप


 खुद पड़ लो कहते हुऐ


 उनको कागज देते है


 ।कागज पड़ कर राम नाथ


 किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाता


 क्यो की उस कागज में


 लिखा होता है *! की ये मेरे माँ बाप है इनको आप व्रद्ध आश्रम पुहुचा देना  तब वो राम नाथ कहता है भगवान शुक्र है तूने हमे.....औलाद नही दी  ,,, !*

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