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जनवरी 28, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आयोध्या मन्दिर

अयोध्या की कहानी जिसे पढ़पकर आप रो पड़ेंगे। आपका लहू भी खोलेगा इन दरिन्दो की हैवानियत पड़ कर ।लाखो के लोगों ने जय श्री राम कहते आयोध्या के लिये अपनी कुर्बानी दी ।और हम आज तक अपने ही देश में अपना मन्दिर नही बना पाये ।और जलालशाह जेसे दरिंदे अपने मकसद में कामयाब हो गये । ######### विनोद मेघवानी छत्तीसगढ़ पार्टी इंडिया ############# कृपया इस लेख को पढ़ें, तथा प्रत्येक हिन्दूँ मिञों को अधिक से अधिक शेयर करें। जब बाबर दिल्ली की गद्दी पर आसीन हुआ उस समय जन्म भूमि सिद्ध महात्मा श्यामनन्द जी महाराज के अधिकार क्षेत्र में थी। महात्मा श्यामनन्द की ख्याति सुन कर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा आशिकान अयोध्या आये । महात्मा जी के शिष्य बनकर ख्वाजा कजल अब्बास मूसा ने योग और सिद्धियाँ प्राप्त कर ली और उनका नाम भी महात्मा श्यामनन्द के ख्यातिप्राप्त शिष्यों में लिया जाने लगा। ये सुनकर जलालशाह नाम का एक फकीर भी महात्मा श्यामनन्द के पास आया और उनका शिष्य बनकर सिद्धियाँ प्राप्त करने लगा। जलालशाह एक कट्टर मुसलमान था, और उसको एक ही सनक थी, हर जगह इस्लाम का आधिपत्य साबित करना । अत: जलालशाह ने अपने काफिर गुरू क