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अक्तूबर 4, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लोकतंत्र की आवाज हुँ ( कविता)

कविता,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,शीषर्क,,,,,,,,,,,,,,,,,लोकतंत्र,,,, की आवाज हुँ,,महात्मा गांधी की,,,,छवि हुँ नेहरू का प्रतिबिंब,,,,, हुँ,,,,,आज के मोदी की,आवाज हुँ,,,,,,,,लोकतंत्र की आवाज हुँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,2,,कोंन रोकेगा सत्यमेव जयते,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,को में लोकतंत्र की आवाज,,हुँ,,,,,, हमे *"" सिन्धी प्रदेश ,,,,चाहिये,,,,, हमारी इस मांग को,,,गांधी का सपना समझे,,,मोदी,,,की आवाज समझे में लोकतंत्र की आवाज हुँ,,,,तू सच,,,,है ,,,,विनोद,,, ये,,,,,,अहसास करता है मुझे,,शास्त्री ,,,नारा ,,,जय जवान जय किसान,,, में लोकतंत्र की आवाज हुँ,,,,,,, कलम मेरी,,,,आवाज,,,,,,सिंध,,,,,मेरी,,,,,,पहचान,,,,,,,मेरा सिंध,,,,मुझे ,,,,वापस दिला दो,,,या ,, फिर,,,,,,,हिन्द,,,में सिंध,,,,बना के दो हमे,,,मोदी जी,,,,,,,ये लोकतंत्र की,,,,मांग है,,,,,,,(सिन्धी प्रदेश,,सँघर्ष,,,,समिति,,,,,, महासचिव,,,,, विनोद मेघवानी,,,"*