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फेसबुक का खमियजा दुनिया भुगत रही है

Vinod meghwani,,,,,एक खबर vinod meghwani   सपनो की दुनिया को नया नाम दिया गया है  मेटावर्स  अब रात में देखे गए सपने  दिन की हकीकत में बदल जायेंगे । मेटावर्स क्या है और कैसे यह हमारी दुनिया को बदलने वाला है। पर एक बात दुनिया को याद रखनी होगी इंसान काल्पनिक की दुनिया की कल्पना कर सकता है । पर जी नहीं सकता आभासी दुनिया में मनुष्य का छायाचित्र उभर सकता है हु ब हू दिख सकता है क्यो की उसमे प्राण नहीं होंगे ऐसा में सोच राहा हू पर फेस बुक के जुकुरबरग अलग ही सोच रहे है इसलिए उन्होंने मेटावर्स की दुनिया की कल्पना की दोस्तो ये वहीं जुकर है जिन्होंने फेसबुक की कल्पना की ओर उसे हकीकत बना दिया जिसका खामियाजा दुनिया भुगत रही है । अब मेटावर्स से कही दुनिया का मटिया मेट न कर दे जूकर बर्ग।  क्या है Metaverse साल 1992 में साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने एक उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था 'स्नो क्रैश'. इस उपन्यास में पहली बार 'मेटावर्स' नाम का जिक्र था. उपन्यास में लेखक ने इंटरनेट की ऐसी दुनिया की कल्पना की थी, जिसमें इंसान घर बैठा रहे लेकिन उसकी थ्री डी इमेज दुनिया में कहीं भी पहुंच जाए