गुरुवार, 10 जून 2021

Plastic Recycling बिजनेस केसे शुरु करे

Vinod meghwani

प्लास्टिक रीसाइक्लिंग बिजनेस कैसे शुरू करें। Plastic

Plastic Recycling की यदि हम बात करें तो यह प्लास्टिक के अपशिष्ट पदार्थों को नई सामग्री या वस्तुओं में बदलने की प्रक्रिया है । जैसा की हम जानते हैं की पहले भी और आज भी लोग अधिकतर प्लास्टिक के अपशिष्ट को फेंक देते हैं या फिर उसे अपने घर से बाहर फेंकने को ही उस सामग्री का निपटान समझते हैं। इसलिए यह प्रक्रिया पारम्परिक अपशिष्ट निपटान का एक विकल्प है जो सामग्री को तो बचा ही सकता है साथ में पर्यावरण को दूषित होने से भी बचा सकता है।

सिर्फ प्लास्टिक पदार्थों की ही नहीं बल्कि किसी भी पदार्थ की रीसाइक्लिंग प्रक्रिया संभावित उपयोगी सामग्रियों की बर्बादी को रोकने में मददगार साबित होती है। और ताजा कच्चे माल की खपत कम करने में भी सहायक होती है जिससे उर्जा का इस्तेमाल, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण इत्यादि में कमी हो सकती है। Plastic Recycling आधुनिक अपशिष्ट को कम करने का एक प्रमुख घटक है और यह रिड्यूस, रीयूज़, और रीसायकल पदानुक्रम का तीसरा घटक है।

केवल प्लास्टिक की सामग्री ही रीसायकल करने के योग्य नहीं होती हैं बल्कि कई प्रकार के ग्लास, पेपर, कार्डबोर्ड, धातु, प्लास्टिक, टायर, कपड़ा, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्री भी रीसायकल करने के योग्य होती हैं। स्पष्ट शब्दों में यदि हम रीसाइक्लिंग प्रक्रिया को समझने की कोशिश करें तो हम पाएंगे की किसी सामग्री की रीसाइक्लिंग प्रक्रिया के माध्यम से उसी सामग्री के नए रूप को प्राप्त किया जा सकता है।

हालांकि यहाँ यह भी देखा गया है की यह ताजे कच्चे माल से उत्पादों का निर्माण करने की तुलना में थोड़ा महंगा होता है यही कारण है कई उत्पादों या सामग्रियों का रीसाइक्लिंग करने की बजाय अलग अलग उत्पादन में उनका इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए Plastic Recycling Process में भी पुरानी प्लास्टिक सामग्री को रीसायकल करके नई सामग्री का ही निर्माण किया जाता है।

Plastic Recycling Business plan hindi

प्लास्टिक रीसाइक्लिंग के फायदे (Benefits of Plastic Recycling)

Plastic Recycling के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार से हैं ।

  • प्लास्टिक रीसाइक्लिंग से उर्जा एवं प्राकृतिक संसाधनों को बचाने में मदद मिलती है। प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेट्रोलियम, पानी इत्यादि को बचाने से प्रकृति का संतुलन बनाये रखने में भी मदद मिलती है। इसलिए कहा जा सकता है की प्लास्टिक रीसाइक्लिंग उर्जा और प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करने में सहायक है।
  • जैसा की हम सब जानते हैं की प्लास्टिक को मृदा एवं आस पास के वातावरण के लिए खतरा माना जाता है। इसका कारण यह है की जब प्लास्टिक के अपशिष्ट को जमीन पर फेंका जाता है तो यह तेजी से विघटित होता है और एक निश्चित समय कजे बाद खतरनाक जहरीले धुएं का उत्सर्जन करता है। और ये जो खतरनाक धुआं होता है वह आस पास के वातावरण के लिए बेहद हानिकारक होता है जिससे विभिन्न प्रकार के फेफड़े सम्बन्धी रोग और त्वचा रोग हो सकते हैं। इसलिए Plastic Recycling का एक फायदा यह भी होता है की यह इस खतरे से प्रकृति एवं मनुष्य दोनों को बचाने में सहायक होता है। 

मार्किट विश्लेषण

सिर्फ Plastic Recycling की ही नहीं यदि हम सम्पूर्ण रीसाइक्लिंग व्यापार की बात करें तो इनोवेटिव बिजनेस मॉडल जैसे डिपॉजिट रिटर्न स्कीम, ईवी बैटरी का सेकेंडरी स्टोरेज और खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए रिटेल टेक-बैक इत्यादि  विघटनकारी अनुप्रयोगों जैसे कि समग्र प्लास्टिक पृथक्करण इत्यादि के माध्यम से अपशिष्ट रीसाइक्लिंग बाजार को चलाने की संभावना है।

एक अध्यन में हुए खुलासे के मुताबिक यह अपशिष्ट रीसाइक्लिंग और रिकवरी मार्केट का अध्यन जो 2019 में हुआ था वह इस क्षेत्र यानिकी वैश्विक रीसाइक्लिंग बाजार पर एक समग्र अपडेट प्रदान करता है। इसके मुताबिक 2018 में इस बाजार का मूल्य $ 354.7 बिलियन था जो सन 2019 में बढ़कर $ 376.9 बिलियन हो गया था।

अब लोगों को ही नहीं अपितु विभिन्न राष्ट्रों की सरकारों को भी रीसाइक्लिंग के फायदे नज़र आने लगे हैं इसलिए सरकार भी इस तरह के व्यवसायों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

प्लास्टिक रीसाइक्लिंग बिजनेस कैसे शुरू करें (How to Start Plastic Recycling Business):

Plastic Recycling Business शुरू करने के लिए भी कुछ ISO मानक जैसे 15270:2008 उपलब्ध हैं इसलिए इस तरह का यह व्यवसाय इन्हीं मानकों के अनुरूप किया जाना चाहिए। इसके अलावा इस तरह का यह व्यवसाय शुरू करने के लिए भी उद्यमी को वह सभी प्रबंध एवं कदम उठाने की आवश्यकता होती है जो की किसी अन्य बिजनेस को । तो आइये जानते हैं की कैसे कोई व्यक्ति खुद का प्लास्टिक रीसाइक्लिंग का बिजनेस शुरू कर सकता है।

1. जमीन का प्रबंध

Plastic Recycling Business शुरू करने के लिए उद्यमी को न सिर्फ वर्कशॉप के लिए जगह की आवश्यकता होती है बल्कि इन्वेंटरी स्टोर करने के लिए, बिजली उपयोगिताओं के लिए और एक छोटे सा ऑफिस स्थापित करने के लिए भी जगह की आवश्यकता होती है।

इस तरह से देखें तो इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए उद्यमी को 700-800 Square Feet जगह की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह का व्यवसाय शुरू करने के लिए जरुरी नहीं है की उद्यमी किसी स्थानीय बाजार में ही इस तरह की इकाई स्थापित करे बल्कि वह कहीं भी जहाँ उसे सस्ती कीमत या किराये पर गैर कृषि योग्य भूमि मिल रही हो, वह वहीँ इस तरह की यह इकाई स्थापित करने की योजना बना सकता है।

लेकिन उद्यमी को इस बात का ध्यान रखना होगा की उसे इस बिजनेस को चलाने के लिए कच्चे माल के तौर पर प्लास्टिक के अपशिष्ट की आवश्यकता होती है और प्लास्टिक का अपशिष्ट आवासीय कॉलोनीयों या औद्योगिक एरिया से ही निकलेगा इसलिए प्लांट कच्चे माल के स्रोतों से अधिक दूर नहीं होना चाहिए।   

2. वित्त का प्रबंध

यद्यपि इस परियोजना को शुरू करने में उद्यमी को एक बहुत बड़ी रकम यहाँ तक की 30-35 लाख रुपयों से अधिक की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए इतनी बड़ी रकम का प्रबंध किसी भी व्यक्ति के लिए व्यक्तिगत स्तर पर कर पाना लगभग मुश्किल है।

इसलिए उद्यमी चाहे तो Plastic Recycling को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा जारी की गई योजनाओं के बारे में जानकारी जुटा सकता है। और यदि इन योजनाओं में कोई सब्सिडी ऋण प्रदान करने से सम्बंधित योजना हो तो उद्यमी उसका लाभ लेने का प्रयत्न कर सकता है।  कहने का आशय यह है की उद्यमी बैंक से ऋण लेकर या वेंचर कैपटीलिस्ट इत्यादि के माध्यम से भी वित्त का प्रबंध कर सकता है।     

3. आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण (Required License for Plastic Recycling):

सबसे पहले उद्यमी को अपने व्यवसाय को रजिस्ट्रार ऑफ़ कम्पनीज में रजिस्टर करने की आवश्यकता होगी। और जब उद्यमी का Plastic Recycling का व्यवसाय एक वैधानिक रूप प्राप्त कर लेता है तो उसके बाद उद्यमी को स्थानीय प्राधिकरण से ट्रेड लाइसेंस या फैक्ट्री लाइसेंस लेने की आवश्यकता हो सकती है । टैक्स रजिस्ट्रेशन के तौर जीएसटी रजिस्ट्रेशन, फायर एवं पोल्यूशन डिपार्टमेंट से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट, उद्योग आधार रजिस्ट्रेशन इत्यादि की भी आवश्यकता हो सकती है।     

4. मशीनरी की खरीदारी

Plastic Recycling Business शुरू करने के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनरी इस्तेमाल में लायी जाती है जिनकी कीमतें कई लाख रुपयों में हो सकती है। इसलिए मशीनरी की खरीदारी करते समय किसी भी धोखे से बचने के लिए बेहद सावधानी एवं समझदारी से काम लेना अति आवश्यक है। मशीनरी की खरीदारी से पहले उद्यमी को विभिन्न मशीनरी सप्लायर से कोटेशन मंगा लेनी चाहिए और फिर उनका तुलनात्मक विश्लेषण करने के पश्चात सप्लायर का चुनाव करना चाहिए। इस व्यवसाय में इस्तेमाल में लायी जाने वाली कुछ प्रमुख मशीनरी की लिस्ट इस प्रकार से है।

विभिन्न मोटर क्षमता के ग्राइंडर

  • डस्ट क्लीनर
  • कन्वेयर बेल्ट
  • राउंड वाशिंग मशीन
  • हाइड्रो ड्रायर
  • मिक्सर मशीन
  • अग्ग्लोमेरेटेड मशीन
  • रीसाइक्लिंग     

5. प्लास्टिक के अपशिष्ट को खरीदना

हालांकि ऐसे लोग जो लोगों के घरों एवं अन्य स्थलों से प्लास्टिक अपशिष्ट को एकत्रित करते हैं वे नजदीकी Plastic Recycling Plant में इन्हें बेचने के लिए अपने आप पहुँच जाते हैं। लेकिन यदि ऐसा नहीं होता है तो उद्यमी उस एरिया में स्थित कबाड़ एकत्रित करने वाले लोगों से संपर्क करके प्लास्टिक के अपशिष्ट खरीद सकता है।  

6. प्लास्टिक रीसाइक्लिंग शुरू करना (Start Plastic Recycling Process):

Plastic Recycling Process में प्लास्टिक सामग्री को रीसायकल करने से पहले इसे विभिन्न स्तरों से होकर गुज़ारा जाता है। ताकि इसे रीसायकल करने के बाद विभिन्न उत्पादों को बनाने के इस्तेमाल में लाया जा सके।

छंटाई प्रक्रिया : सबसे पहले प्लास्टिक के अपशिष्ट की इसके मेक एवं प्रकार के आधार पर छंटाई की जाती है ताकि उसे मशीन के अनुसार संसाधित किया जा सके।

प्लास्टिक के छोटे टुकड़े बनाना: प्लास्टिक के छोटे टुकड़े बनाने की इस प्रक्रिया को श्रेडिंग भी कहा जाता है। इसमें प्लास्टिक के अपशिष्ट को अलग अलग कन्वेयर बेल्ट में लोड कर दिया जाता है और फिर विभिन्न श्रेडर की मदद से इन्हें छोटे छोटे टुकड़ों में परिवर्तित कर दिया जाता है।  

ग्राइंडिंग प्रक्रिया : उसके बाद ग्राइंडिंग प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है ग्राइंडर का इस्तेमाल प्लास्टिक के छोटे दानों से अपशिष्ट को हटाने के लिए किया जाता है।

डस्ट क्लीनिंग : ग्राइंडिंग के बाद डस्ट क्लीनिंग प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है यह प्रक्रिया प्लास्टिक अपशिष्ट से धूल इत्यादि हटाने कजे लिए की जाती है। हालांकि कठोर प्लास्टिक अपशिष्ट के लिए इसकी आवश्यकता नहीं होती है।

कन्वेयर वाशिंग : इस तरह की इस प्रक्रिया में प्लास्टिक अपशिष्ट को साफ़ पानी में अच्छी तरह धोया जाता है।

ड्रम वाशिंग : Plastic Recycling Process में कन्वेयर वाशिंग के बाद ड्रम वाशिंग प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता है। इसमें इस सामग्री को धोने के लिए एक बड़े से गोल आकार के ड्रम का इस्तेमाल किया जाता है।

ड्रायर प्रक्रिया : इस प्रक्रिया में सामग्री को सुखाने के लिए हाइड्रो ड्रायर का इस्तेमाल किया जाता है सामग्री को ड्रम से सीधे इसी में डाला जाता है।

एग्लोमरेशन प्रक्रिया : इस प्रक्रिया में सामग्री का मिश्रण तैयार किया जाता है हार्ड प्लास्टिक के लिए एग्लो-प्रोसेस मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे बाल्टी, मग इत्यादि के लिए एग्लो-प्रोसेस मशीन और और नरम प्लास्टिक जैसे पॉली बैग इत्यादि के लिए सामान्य मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।

रीसाइक्लिंग प्रक्रिया : इस प्रक्रिया में साफ़ किये गए प्लास्टिक को पिघलाया जाता है ताकि Extruded Machine से प्लास्टिक के दानों के तौर पर इसे बाहर निकाला जा सके। इन प्लास्टिक के छर्रों या दानों का इस्तेमाल प्लास्टिक के विभिन्न उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।

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श्री मद भागवत माहापुराण

Vinod meghwaniश्रीमद् भागवत महापुराण और भगवद्गीता के बीच क्या अंतर है?
श्रीमद् भागवत या भागवत महापुराण:-
नारद जी की प्रेरणा से वेद व्यास जी ने श्रीमद् भागवत ग्रन्थ लिखा।श्रीमद् भागवत या भागवत महापुराण 18 विभिन्न पुराणों में से 5 वें प्रमुख पुराण हैं।इसमें 12 अलग-अलग स्कन्द ,335 अध्याय  और लगभग 18,000 श्लोक शामिल हैं।अन्य पुराणों के समान, श्रीमद् भागवत ऋषि वेद व्यास द्वारा लिखे गए हैं। ऋषि शुकदेव जी,जो वेद व्यास के बेटे थे उन्होंने श्रीमद् भागवत को राजा परीक्षित को सुनाया था।राजा परीक्षित वो जिनको ऋषि श्रुंगी द्वारा 7 दिनों में तक्षक सांप द्वारा मारे जाने के लिए शाप दिया गया था। 
श्रीमद् भागवत (10 वीं स्कंद) में:-
हमें श्री कृष्ण के बचपन के बारे बहुत कुछ जानने को मिलता है उनकी सम्पूर्ण बाल लीला बहुत ही अद्भुत है। कैसे उनका जन्म हुआ कैसे वो ग्वाल बाल के साथ खेले ,मक्खन चोरी लीला , गोपी के संग रस लीला को 10 वीं स्कंद में वर्णित किया गया है। इतना ही नहीं कृष्णा प्रेम की अद्भुत गाथा है इसमें भक्तो की श्री कृष्णा के प्रति समर्पण ,प्रेम को बहुत ही भक्तिमय तरीके से वेद व्यास जी ने गाया है।
ये ग्रन्थ सबसे आखरी ग्रन्थ है जिसको लिखने के बाद श्री वेद व्यास जी ने कोई और ग्रन्थ नहीं लिखा। ये इस ग्रन्थ की सबसे खास बात है।श्रीमद् भागवत में श्री विष्णु भगवान के 24 अवतारों के बारे में बताया गया है।
जब जब धरती पे अधर्म बढ़ता है।जब जब भक्तो की पुकार उनका प्रेम अपनी चरम सीमा से आगे निकल जाता है। तो भगवान को धरती पे प्रकट होना पड़ता है।धर्म की स्थापना के लिए और भक्तो को दर्शन देने के लिए।
श्रीमद् भागवत भगवान कृष्ण के जीवन से भरे हुए हैं। या यह कह सकते हैं श्रीमद् भागवत श्री कृष्ण का जीवन है। और श्रीमद् भागवत श्री कृष्ण की व्यक्तिगत डायरी भी हैं।इसमें बताया गया है कि वृंदावन प्यार की भूमि कैसे है।
क्यों पढ़ना चाहिए श्रीमद् भागवत :-
आज हमारा जीवन बहुत ही व्यस्त हो गया है। ऐसा नहीं की पहले के  लोगो का जीवन व्यस्त पूर्ण नहीं था। उनके जीवन में व्यस्तता होने के साथ ही धैर्य, संतोष भी था। समय बदलता गया और हमारी जरूरते भी बदलती गयी। समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता परिवर्तन ही नियति का नियम है। आज हम जीवन जीने का ढंग भूलते जा रहे है।श्रीमद् भागवत हमें सही जीवन जीने का ढंग सिखाती है।
श्रीमद् भागवत में इसका बहुत ही अच्छा प्रमाण मिलता है और सीख भी कि प्रेम सृष्टि का आधार है और स्वार्थ इंसान को विनाश की तरफ ले जाता है।केवल श्वास लेना ही जीवन नहीं है अपितु कर्तव्यपूर्ण कर्म में ही जीवन है।श्रीमद् भागवत हमें बार बार मरने से बचाती है जब तक हमें जीवन का परम लक्ष्य नहीं समझ आता जो सच्चिदानन्द पूर्ण परमात्मा है। तब तक बार बार हमें जन्म लेना पड़ेगा।
श्रीमद् भागवत में से आपको शिक्षा मिलती है कि जब सभी साथ छोड़ देते हैं,जब आप अपना सब कुछ उस पूर्ण परमात्मा पर छोड़ देते हैं तब श्री कृष्णा आपके कष्टों का पहाड़ उठा लेते है और आपकी रक्षा करते है।श्रीमद् भागवत में आपके सभी प्रश्नों का जवाब है। बस वो नज़र वो समझ होनी चाहिए जो उसे समझ सके।  जो उनकी कृपा से ही संभव है।
भगवद्गीता :-
महाभारत के भीष्म पर्व (6 वें भाग) का हिस्सा है। गीता में 18 छोटे अध्याय होते हैं और लगभग 700 श्लोक होते हैं। यह ऋषि वेद व्यास (जिन्होंने पूरे महाभारत की रचना की थी) द्वारा भी लिखा था। युद्ध के मैदान पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का जिक्र किया था।
महाभारत के अनुसार, भगवान कृष्ण ने उस समय को रोक दिया, जब महान युद्ध शुरू हो रहा था और गीता को अर्जुन से मानसिक रूप से स्थिर करने और बहादुरी से लड़ने के लिए पर्याप्त कुशल बनाने के लिए सुनाना था।
क्यों पढ़ना चाहिए भगवद्गीता :-
एक दिन पहले,अर्जुन युद्ध में जाने के लिए सभी पहलुओं में तैयार था लेकिन कुरुक्षेत्र (युद्ध स्थल) में प्रवेश करते समय गंभीर दिमाग में उलझन में उलझ गया,क्योंकि वह जिन लोगों के साथ लड़ने जा रहा था, वे अपने रिश्तेदार और शिक्षक थे। जांचें कि क्या आपके पास इन सभी संदेहों का उत्तर है और यदि नहीं, तो आपके पास गीता पढ़ने का एक कारण है।
एक प्रतिकूल परिस्थिति के दौरान सही क्या है, अपने कर्तव्यों का पालन करना या अपने प्रियजनों की देखभाल करना?अगर कर्त्तव्य पुकारता है धर्म की स्थापना करने के लिए परन्तु रिश्तेदारों ही अधर्म के पथ पे आगे निकल रहें हो तो क्या मुझे अपने रिश्तेदारों को मारना/सजा देनी चाहिए?
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