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जून 9, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

औलाद ( कहानी )

Vinod meghwani*एक पागल भिखारी: पढियेगा जरूर* -----------------------------------------------  जब बुढ़ापे में अकेला ही रहना है तो औलाद क्यों पैदा करें उन्हें क्यों काबिल बनाएं जो हमें बुढ़ापे में दर-दर के ठोकरें खाने  के लिए छोड़ दे । क्यों दुनिया मरती है औलाद के लिए, जरा सोचिए इस विषय पर। लेखक ,,अजनबी ,,,,कहानी --------------------------- औलाद,,, -------------------  औलाद ,,, पुत्र,,,के प्रति एक नया दृष्टिकोण आपको प्राप्त होगा।समय निकालकर अवश्य पढ़ें। 👇 हमेशा की तरह मैं आज भी, परिसर के बाहर बैठे भिखारियों की मुफ्त स्वास्थ्य जाँच में व्यस्त था। स्वास्थ्य जाँच और फिर मुफ्त मिलने वाली दवाओं के लिए सभी भीड़ लगाए कतार में खड़े थे। अनायाश सहज ही मेरा ध्यान गया एक बुजुर्ग की तरफ गया, जो करीब ही एक पत्थर पर बैठे हुए थे। सीधी नाक, घुँघराले बाल, निस्तेज आँखे, जिस्म पर सादे, लेकिन साफ सुथरे कपड़े।  कुछ देर तक उन्हें देखने के बाद मुझे यकीन हो गया कि, वो भिखारी नहीं हैं। उनका दाँया पैर टखने के पास से कटा हुआ था, और करीब ही उनकी बैसाखी रखी थी। फिर मैंने देखा कि,आते जाते लोग उन्हें भी कुछ दे रहे थे और व

तुह्नजी ,,भीत असांजी भीत गड़यल आहे ,,मस्त कामेडी

Vinod meghwani एक खबर भीत भीत जा जुड़यल ,,,पडोसी ,😐😄😄