सोशल प्रिंट मीडिया अखबार( न्यूज पॉर्टल) एक खबर का सर्वेसर्वा अधिकार विनोद meghwani का है एक खबर के मुख्य संपादक विनोद meghwani है एक खबर ब्लॉग पर देश विदेश के न्यूज चैनल का युटुयब के वीडियो ओर राज्य ,छत्तीसगढ़ ,बॉलीवुड , हॉलीवुड, व्यंग ,हास्य अन्य लेख हिंदी, सिन्धी, उर्दू, अंग्रेजी अन्य विश्व की भाषाओ में ( सूचना आम जनता के लिये एक खबर में छपे लेख पे किसी प्रकार की आपत्ति या वाद विवाद का निपटारा दुर्ग न्यायालय के अंतर्गत होगा संपादक ,,,विनोद मेघवानी ,,
सोमवार, 11 अप्रैल 2022
क्या मुफ्त की योजनाएं ,,,भारत की अर्व्यवस्था को बदहाल कर देंगी
Vinod meghwani,,,एक खबर ( विनोद मेघ वानी ) हजार साल बाद फिर एक बार रावण की नगरी ,, श्री लंका बर्बादी के कगार पर है । चीन के कर्ज जाल में फंस ने के कारण श्री लंका मे आज बदहाली के हालात है यही हालत ,,आने वाले समय ,, पाकिस्तान ,,वर्मा , नेपाल व अन्य देशों में ये हालत पैदा हो सकते । भारत में कभी भी एसे हालत नहीं बनेंगे,,,क्योंकि भारत के,,,,पास अपनी शक्ति अपनी ऊर्जा है।। ये योजनाएं और । गौरतलब है कि श्रीलंका में पिछले कुछ समय से लागू की गई लोकलुभावन योजनाओं , करों में भारी कटौती और बढ़ते कर्ज ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को सबसे बुरे दौर में पहुंचा दिया है । 2018 में वैट की दर 15 फीसदी से घटाकर 8 फीसदी की गई और विभिन्न वर्गों को दी गई अभूतपूर्व सुविधाओं व छूटों के कारण श्रीलंका दर्दनाक मंदी और चीन के ऋण जाल में फंस गया है । श्रीलंका में इस साल महंगाई दर एक दशक में अपने सर्वाधिक स्तर पर पहुंच चुकी है । आर्थिक तंगी के खिलाफ तेज होते विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार को आपातकाल करना पड़ा । श्रीलंका की विपक्षी पार्टियों के द्वारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव और राष्ट्रपति पर महाभियोग की तैयारी की घोषणा की गई है । इतना ही नहीं श्रीलंका के द्वारा मौजूदा विदेशी मुद्रा संकट से निपटने में मदद करने के लिए भारत से आर्थिक राहत पैकेज का आग्रह किया गया है । निःसंदेह विभिन्न लोकलुभावन योजनाओं और विभिन्न कर छूटों के कारण श्रीलंका आर्थिक बर्बादी का सामना कर रहा है , ऐसे में हमारे देश में उन विभिन्न राज्यों की सरकारों के द्वारा श्रीलंका के उदाहरण को सामने रखना होगा , जिन राज्यों ने लोकलुभावन योजनाओं का ढेर लगा दिया है और उससे उन प्रदेशों की अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त होते हुए दिखाई दे रही हैं । इतना ही नहीं विभिन्न वर्गों के लिए मुफ्त यात्रा , मुफ्त बिजली , मुफ्त पानी या फिर नाम मात्र की दर पर ढेर सारी सुविधाएं देने वाले विभिन्न राज्यों में लोगों की कार्यशीलता और उद्यमिता में भी कमी आई है । साथ ही ऐसे प्रदेश चुनौतीपूर्ण राजकोषीय घाटे की स्थिति में आ गए हैं और वहां बुनियादी ढांचा और विकास बहुत पीछे हो गया है । इन राज्यों में पंजाब , केरल , आंध्रप्रदेश , पश्चिम बंगाल , छत्तीसगढ़ के नाम प्रमुख हैं । यदि हम देश में राजकोषीय घाटे के दलदल में पहुंच चुके विभिन्न राज्यों के द्वारा अपनाई गई मुफ्त सुविधाओं और योजनाओं के साथ केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा अपनाई गई कल्याणकारी योजनाओं की तुलना करें तो कुछ बड़े अंतर उभरकर दिखाई देते हैं । मोदी सरकार ने जो कल्याणकारी योजनाएं 5 1 व ऑ वितरण लागू की है , उनसे लोगों का आर्थिक सशक्तिकरण हो । रहा है । परिणामस्वरूप गरीब वर्ग की कार्यक्षमता बढ़ने के साथ उनकी आमदनी से वृद्धि हो रही है । साथ ही मोदी सरकार ने विकास के लिए कठोर फैसलों की भी रणनीति अपनाई हुई है , उससे आर्थिक मुश्किलों का सामना करते हुए देश विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है । स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि केंद्र सरकार ने कोविड -19 के बाद अब रूस यूक्रेन युद्ध के बीच बढ़ती महंगाई मद्देनजर जहां आम आदमी के आर्थिक सामाजिक कल्याण से प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री मुद्रा योजना , प्रधानमंत्री सुरक्षा इंडिया और किस लिए लागू कल्याणकारी योजन मुस्कुराहट दी है । जिस तरह कानाकर में आत भारत के तहत कल्याण आदमी की मुश्किाले कम हुई और देश की को गतिशीलता मिली , उसी प्रकार अन्य युक्रेत बढ़ के संकट के कारण बढ़ती महंगाई से आम आदमी को राहत दिलाने में देश की कल्याणकारी क भूमिका निभाते हुए दिखाई दे रही है तथा देश को आत्मनिर्भरता की डगर पर आगे बढ़ाया जा है । साथ संबंधित योजनाओं से लोगों की आर्थिक मुश्किलें कम करके उनके सशक्तिकरण का लक्ष्य रखा है , वहीं सरकार जीएसटी और आयकर में भारी रियायतों से दूर रही है । परिणामस्वरूप कोविड -19 के बाद लगातार टैक्स कलेक्शन बढ़ रहा है और देश आर्थिक पुनरुद्धार की डगर पर आगे बढ़ रहा है । ही सरकार उपयुक्त रणनीति के साथ राजस्व में भी वृद्धि कर रही है । देश में सरकारी तेल विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों के आधार पर पेट्रोल व डीजल की कीमतों में धीरे - धीरे वृद्धि की नीति पर चल रही है । इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश में आर्थिक और सामाजिक कल्याण की विशाल योजनाओं के लागू होने के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था एक बड़े आर्थिक पुनरुद्धार के ' मुहाने पर है । जीएसटी संग्रह मार्च 2022 में 1.42 लाख करोड़ रुपये रहा , जो रिकॉर्ड है । ज्यादा जीएसटी संग्रह के साथ ही सीमा शुल्क और प्रत्यक्ष कर संग्रह में इजाफा होने से सरकार का सकल कर राजस्व वित्त वर्ष 2021-22 के संशोधित अनुमान से अधिक दिखाई दे रहा है । भारत की अर्थव्यवस्था एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2021-22 में करीब 9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है । भारतीय रिजर्व बैंक ने 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है । इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कोरोना काल की तरह यूक्रेन संकट से बढ़ती महंगाई के बीच एक बार फिर देश में केंद्र सरकार के द्वारा लागू आर्थिक सामाजिक योजनाएं राहतदायी दिखाई दे रही हैं । विगत 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने यूक्रेन संकट की वजह से महंगाई को देखते हुए इस साल सितंबर 2022 तक 80 करोड़ आबादी को मुफ्त में राशन देने का फैसला किया है । यह कोई छोटी बात नहीं है कि देश में जनधन , आधार और मोबाइल ( जैम ) के कारण आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है । एकीकृत बुनियादी डिजिटल ढांचा विकसित हुआ है , वह आम आदमी की आर्थिक सामाजिक मजबूती का आधार बन गया है । यदि हम केंद्र सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का मूल्यांकन करें , तो पाते हैं कि अधिकांश योजनाएं राजकोषीय घाटा बढ़ाने का कारण नहीं बन रही हैं । वे आर्थिक सामाजिक सशक्तिकरण का काम कर रही हैं । ऐसी योजनाओं में एलपीजी गैस हम उम्मीद करें कि हमारे ऐसे राज्य जो लोकलुभावन योजनाओं व ढेर सारी रियायतों के प्रतीक बन गए हैं , वे सबसे बुरे आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका से सबक लेंगे । हम उम्मीद करें कि केंद्र सरकार भी किसी नई लोकलुभावन व मुफ्त की सौगातों की योजनाओं पर ध्यान नहीं देगी । साथ ही केंद्र सरकार आर्थिक सामाजिक कल्याण की योजनाओं के साथ - साथ विकास की वर्तमान रणनीति पर तेजी से आगे बढ़ेगी । (संपादक के अपने विचार है
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