बुधवार, 15 अप्रैल 2020

न्यूज पोर्टल

फर्जी पत्रकार के खिलाफ होगी एफआईआर..

नई दिल्ली.भारत के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने जाली पत्रकारों पर सिकंजा कसने को तैयार है । आज दोपहर को हुई प्रेस ब्रीफिंग में पत्रकारों से बात करते हुए, सूचना प्रसारण राज्य मंत्री कर्नल राजवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि देश भर में जितने भी प्रेस आई○डी○ लेकर घुम रहे लोगों की तत्काल जांच शुरू होगी । इस मामले में दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति पर त्वरित कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया जाएगा । आगे श्री राठौर ने कहा कि कुछ दोषी लोगों के कारण अच्छे, सच्चे एवं ईमानदार पत्रकारों के छवि खराब हो रही है, एवं उनके कार्य करने में बाधा उत्पन्न हो रही है । आगे जानकारी देते हुए श्री राठौर ने कहा कि पूरे देश में कुछ पैसा लेकर जाली प्रेस आई○डी○ बांटने एवं जाली पत्रकार नियुक्ति करने तथा प्रेस के नाम पर ब्लैकमेलिंग करने का धंधा चल रहा है। जिसपर अंकुश लगाना अति आवश्यक है । इस संबंध में सभी राज्यों के प्रेस सूचना मंत्रालय को निर्देश जारी कर दिया गया है । आगे उन्होंने बताया कि जो अखबार/पत्रिका भारत सरकार के आर○एन○आई○ द्वारा रजिस्टर्ड हो या जो टीवी/रेडियो सूचना प्रसारण मंत्रालय से रजिस्टर्ड हो उसी के द्वारा पत्रकार/संवाददाता की नियुक्ति हो सकती है व केवल उसका सम्पादक ही प्रेस कार्ड जारी कर सकता है । जब न्यूज पोर्टल के बारे में पत्रकारों ने पूछा तो श्री राठौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि इन्टरनेट पर चल रहे न्यूज पोर्टल के रजिस्ट्रेशन का प्रावधान सूचना प्रसारण मंत्रालय में नहीं है एवं कोई भी न्यूज पोर्टल एवं केबल (डीस) टीवी पर चल रहे समाचार चैनल किसी भी तरह के पत्रकार की नियुक्ति नहीं कर सकता है और न ही प्रेस आई○डी○ जारी कर सकता है यदि कोई व्यक्ति ऐसा करता है तो वह अवैध है एवं उसके विरुद्ध कार्रवाई होनी सुनिश्चित है। श्री राठौर ने आगे बताया की इन्टरनेट पर न्यूज पोर्टल चलाने पर रोक नहीं है लेकिन इनको सरकारी सहयोग प्राप्त नहीं होगा ।वही इस मसले पर जानकारों का मानना है की सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज और गुजरात चुनाव में सोशल मीडिया की अहम भूमिका के चलते भाजपा की सीटें कम होने से अब सरकार मीडिया की आजादी पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है..

न घर का न घाट का ,,,मध्यमवर्गीय वर्ग

###लॉक डाउन  ###
" उधार  का अमीर "  

100 नम्बर की एक गाड़ी मेन रोड पर एक दो मंजिले मकान के बाहर आकर रुकी।
कांस्टेबल हरीश को फ़ोन पर यही पता लिखाया गया था, पर यहां तो सभी मकान थे। यहां पर
 खाना किसने मंगवाया होगा?

यही सोचते हुए हरीश ने उसी नम्बर पर कॉल बैक की।
अभी दस मिनट पहले इस नम्बर से भोजन के लिए फोन किया गया था। आप जतिन जी बोल रहे हैं क्या? 

हम मकान न.112 के सामने खड़े हैं, कहाँ आना है।
दूसरी तरफ से जबाब आया ,"आप वहीं रुकिए, मैं आ रहा हूं।"
एक मिनट बाद 112 न. मकान का गेट खुला और करीब पैंसठ वर्षीय सज्जन बाहर आए।

उन्हें देखते ही हरीश गुस्से में बोले,"आप को शर्म नहीं आई, इस तरह से फोन करके खाना मंगवाते हुए,गरीबों के हक का जब 
*आप जैसे अमीर* खाएंगे तो गरीब तक खाना कैसे पहुंचेगा।"
मेरा यहां तक आना ही बर्बाद गया।"

बुजुर्ग ने कहा साहब ..ये शर्म ही थी जो हमें यहां तक ले आयी।
सर्विस लगते ही शर्म के मारे लोन लेकर घर बनवा लिया, आधे से ज्यादा सेलरी क़िस्त में कटती रही और आधी बच्चों की परवरिश में जाती रही।
अब रिटायरमेंट के बाद कोई पेंशन नही थी तो मकान का एक हिस्सा किराये पर दे दिया।अब लाक डाउन के कारण किराया भी नहीं मिला।

 बेटे की सर्विस न लगने के कारण जो फंड मिला था उससे बेटे को व्यवसाय करवा दिया और वो जो भी कमाता गया व्यवसाय बड़ा करने के चक्कर में उसी में लगाता गया और कभी बचत करने के लिए उसने सोचा ही नहीं, अब 20 दिन से वो भी ठप्प है। पहले साल भर का गेंहू -चावल भर लेते थे पर बहू को वो सब ओल्ड फैशन लगता था तो शर्म के मारे दोनो टँकी कबाड़ी को दे दीं।अब बाजार से दस किलो पैक्ड आटा और पांच किलो चावल ले आते हैं।

 मकान होने के कारण शर्म के मारे किसी सामाजिक संस्था से भी मदद नही मांग सकते थे। कल से जब कोई रास्ता नहीं दिखा और सुबह जब पोते को भूख से रोते हुए देखा तो सारी शर्म एक किनारे रख कर 112 डायल कर दिया।

 इन दीवारों ने हमको अमीर तो बना दिया, पर अंदर से खोखला कर दिया। मजदूरी कर नहीं सकते थे और आमदनी इतनी कभी हुई नहीं कि बैंक में इतना जोड़ लेते की कुछ दिन बैठकर जीवन व्यतीत कर लेते।
आप ही बताओ मैं क्या करता?कहते हुए जतिन जी फफक पड़े।

हरीश को समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले, वो चुपचाप गाड़ी तक गया और लंच पैकेट निकालने लगा। तभी उसे याद आया कि उसकी पत्नी ने कल राशन व घर का जो भी सामान मंगवाया था वो कल से घर न जा पाने के कारण  डिग्गी में ही पड़ा हुआ है। उसने डिग्गी खोली, सामान निकाला और लंच पैकेट के साथ साथ सारा सामान जतिन के गेट पर रखा और बिना कुछ बोले गाड़ी में आकर बैठ गया। गाड़ी फिर किसी ऐसे ही भाग्यहीन अमीर का घर ढूंढने जा रही थी। 

यह आज के मध्यम वर्ग की कमोबेश यही वास्तविक स्थिति है।।  गरीब को तो केन्द्र व राज्य सरकार , एन जी ओ , सामाजिक संगठन , ट्रस्ट , स्थानीय निकाय  , राजनैतिक दल ,व्यावसायिक संगठन , सभी खिला रहे है ।अमीर  को जरूरत नही वो खुद बाट रहे है ।।
जय हिंद  जय भारत    जय छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री जी इस संकट में 3 माह का बिजली छत्तीसगढ़ की जनता का माफ करे

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  • माननीय ,,,,
  • हाईकोर्ट ,जज,महोदय जी,,मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी अपने संज्ञान में ले 👏🏻

  • नीम चढ़ा,,,,उस पे करेला,,,,इस कहावत को,,,,छत्तीसगढ़,, की बिजली कंपनी ने लॉक डाउन में चीरार्थ,,,, कर दिखाया,,,, लोंगो को खाने को नही,,,कमाई नही ,,,कोई आवक नही ,,,,जान के लाल पड़े है,,,,ऐसे में,,,छत्तीसगढ़ में बिजली कंपनी,,,यमदूत बनकर टूट पड़ी है । कोरोनो वायरस के चलते बिजली कंपनी ने मार्च में रीडिंग नही की है और एवरेज बिल भेजा । जो सीधा डबल है इस संकट काल मे उपभक्ताओं को सहानभूति ओर मदद की जरुरत है । इसके विपरीत बिजली कंपनी लोगो के दिलोदिमाग में दहशत पैदा कर रही है । ऐसे समय मे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी और हाई कोर्ट को ये मामला अपने संज्ञान में लेना चाहिये ।और छत्तीसगढ़ की जनता को राहत मिले ये 3महीने राज्य की जनता का बिजली बिल माफ किया जाये या हर उपभक्ताओं से 50% बिजली की राशि माफ की जाये ,,,,एक खबर ,,,,,विनोद मेघवानी
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बंद कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई

Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से  अंधी कमाई कितनी हे,,,?????