लूट खसोट अगर सरकारी ढंग से की जाये तो उसे सही और वाजिब माना जाता है । एक तरफ W H O कहता है की कोरोना का अभी तक कोई ईलाज नही मिला । दूसरी तरफ ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स फेबिफलु टेबलेट को कोरोनो के इलाज के लीये मंजूरी मिल गई । और बाबा राम देव की कोरोलिन को मंजूरी नही मिली इसका कारण क्या है । दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल
दुनियाभर में 100 से ज्यादा वैक्सीन का ट्रायल प्री-क्लीनिकल ट्रायल पर हैं और उनमें से कुछ का इंसानों पर प्रयोग शुरू किया गया है.
इस महामारी के फैलने का सबसे बड़ा कारण यह है कि अब तक इसकी दवा इजाद नहीं हो सकी है.
शायद ही कभी बन पाए कोरोना का टीका
इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लेकर अलर्ट किया है कि हो सकता है कि दुनिया में कोविड19 का वैक्सीन ही न मिले. दरअसल, ऐसी आशंका इसलिए जताई गई है कि एचआईवी और यहां तक कि डेंगू की भी वैक्सीन कई सालों के रिसर्च के बाद भी नहीं मिल पाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में कोविड19 के विशेष दूत डॉ.डेविड नैबोरो ने कहा, 'यहां कुछ वायरस हैं जिनकी कोई वैक्सीन नहीं है. हम यह नहीं मान कर चल सकते कि वैक्सीन आ जाएगी और अगर यह आती है भी है, तो क्या सभी तरह की सुरक्षा और क्षमता के मानकों पर खरा उतरती है.' उल्लेखनीय है कि डब्ल्यूएचओ चीफ भी कोरोना वायरस को लेकर भयावह भविष्यवाणी करते रहे हैं और अब एक्सपर्ट की इस आशंका ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है.
सीएएन की रिपोर्ट के मुताबिक नैबोरो ने कहा, 'सबसे बुरी स्थिति यह हो सकती है कि कभी कोई वैक्सीन ही न हो.' उन्होंने कहा कि लोगों की उम्मीदें बढ़ रही हैं और फिर खत्म हो रही हैं, क्योंकि आखिरी मुश्किलों से पहले ही कई समाधान फेल हो जा रहे हैं.
चार दशकों से अब एचआईवी से 3.2 करोड़ लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन दुनिया उसका वैक्सीन नहीं ढूंढ पाई है. वहीं, डेंगू की बात की जाए तो यह हर साल चार लाख लोगों को प्रभावित करता है. वहीं, कुछ देशों में 9-45 साल के लोगों के लिए डेंगू का वैक्सीन मौजूद है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन बनी 'संजीवनी बूटी'
मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन कोरोना के इलाज में काफी कारगार बताई जा रही है. इसी के चलते भारत ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात पर रोक लगा दी थी. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से यह दवां मांगी थी. इसके बाद भारत ने इस दवा पर प्रतिबंध आंशिक रूप से हटा दिया है. भारत ने अमेरिका सहित कई देशों को यह दवा भेजी है.
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन कितनी कारगर ?
एक अध्ययन के मुताबिक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के साथ एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना के असर को कम कर सकता है. कई देशों में दोनों दवाओं के इस्तेमाल के अच्छे नतीजे मिले हैं. इससे उम्मीद जगी है.
आर्सेनिक एलबम 30 में कितना दम?
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कोरोना वायरस का इलाज अभी तक नहीं मिल पाया है. देश में एक होम्योपैथिक दवा की भी फोटो और दवा का नाम खूब वायरल हो रहा है. इसमें दावा किया जा रहा है कि यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में कारगर है. इस दवा का नाम आर्सेनिक एलबम 30 है.
सोशल मीडिया में चल रहे मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस एक तरह का वायरल इंफेक्शन है, जिसको होम्योपैथिक दवा आर्सेनिक एलबम 30 से नियंत्रित किया जा सकता है।
सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में कहा गया है कि कोरोना वायरस का होम्योपैथिक इलाज इससे बीमारी से काफी हद तक बचा सकता है. कोरोना वायरस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से संपर्क करें. इस बारे में ईटी के रिसर्च करने पर यह पाया गया कि आयुष मंत्रालय के ट्विटर हैंडल पर इस महीने इस तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है. मंत्रालय ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए कोई दवा खाने की सलाह भी नहीं दी है.
WHO ने कहा, 'बिना परीक्षण वाली’दवाओं का इस्तेमाल खतरनाक
कोरोना वायरस(COVID-19) की गिरफ्त में आकर विश्वभर में सैकड़ों लोगों की जान रोजाना जा रही है. समस्या ये है कि इस वायरस से लड़ने के लिए अभी तक कोई दवा या वैक्सीन ईजाद नहीं की जा सकी है। एक खबर ,,विनोद मेघवानी
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