मंगलवार, 26 जुलाई 2022

सराफा व्यापारियों ने रायपुर में जश्न मनाया___एक खबर


Vinod meghwani,,,एक खबर (विनोद meghwani )आभार रैली निकली, सराफा में जीत का जश्न

25 जुलाई को रायपुर सराफा एसोसिएशन के चुनाव में विजयी प्रत्याशियों की आभार रैली दोपहर 3:00 बजे बाजे गाजे के साथ सिटी कोतवाली स्थित ज्वेलर्स अनौपचंद भंसाली से निकली ।
महावीर स्तूप होते हुए रैली सर्राफा बाजार के प्रत्येक दुकान में विजयी प्रत्याशियों ने जाकर मतदान के लिए धन्यवाद एवं आभार ज्ञापित किया ।

आभार रैली  में जगह जगह विजयी प्रत्याशियों को फूल माला पहनाकर उनका स्वागत किया गया ,मिठाइयों के द्वारा मुंह मीठा कराया गया। नवनिर्वाचित अध्यक्ष सुरेश भंसाली, उपाध्यक्ष सुनील सोनी , हरीश डागा, सचिव दीपचंद कोटडिया ,कोषा ध्यक्ष जितेंद्र गोलछा ,सहसचिव प्रवीण मालू , दिलीप टाटिया के साथ सैकड़ों समर्थक और सराफा सदस्य नाचते गाते चल रहे थे। जगह जगह पर स्वागत हो रहा था, सदर में दिवाली का माहौल बन गया था ।फटाकों की गूंज से सदर गूंजायमान हो रहा था ।

वरिष्ठ सदस्यों से भरपूर आशीर्वाद मिल रहा था ,खूब काम करने की प्रेरणा मिल रही थी ।रैली सदर बाजार होते हुए हलवाई लाइन, आर एस शुक्ला रोड ,एडवर्ड रोड होते हुए पुनः सदर बाजार से सती बाजा पहुंची ।

पूरे एकता एकता पेनल की जीत पर सभी प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे रैली में विशेष रुप से छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कैलाश खेमानी, अमर गिदवानी ,राकेश गुप्ता, कन्हैया अग्रवाल वासु मखीजा, टी श्रीनिवास रेड्डी ,शंकर बजाज, पृथ्वी छाबड़ा ,जयराम भाई सर्राफा से सुशील टाटिया प्रकाश झाबक नरेंद्र दुग्गड़,नवरत्न गोलछा,  ज्ञान चंद मालू ,दिनेश तातेड़, महावीर मालू अभय भंसाली ,नीलेश सेठ ,चंद्र प्रकाश गोलछा, कमल भंसाली, अशोक सोनी ,ओम प्रकाश सोनी ,श्रेणिक भंसाली राजेश कानूगा, संजय कानूगा ,अमर बरलोटा ,अनिल दुग्गड़, कालू गोलछा,शिवराज बैद , तरुण कोचर ,भरत जैन ,रवि वासवानी आदि अनेक लोग शामिल हुए ।
कल रात्रि विजयश्री प्राप्त करने के बाद आज सर्वप्रथम नई टीम ने दोपहर 1:30 बजे चेंबर कार्यालय जाकर छत्तीसगढ़ चेंबर के अध्यक्ष श्री अमर पारवानी , चेयरमैंन मनमोहन अग्रवाल ,विक्रम सिंह देव , कैलाश खेमानी, देवेंदर सिंह एवं युवा चेंबर के निलेश मूंदड़ा , अध्यक्ष मनोज भाई एवं पूरी टीम से  मुलाकात की, आशीर्वाद मांगा।
 चेंबर ने विजई प्रत्याशियों का खूब उत्साह के साथ स्वागत किया ,शाल ओढाकर अभिनंदन किया  । मुंह मीठा कराया गया, शुभकामनाएं दी।
 वहां से सभी प्रत्याशी पूर्व अध्यक्ष रायपुर सराफा हरक मालू जी के दुकान जाकर उनसे मुलाकात की और सहयोग मांगा ।

सदर का माहौल महोत्सव जैसा हो गया था। कल से नई टीम अपना कार्यभार संभाल लेगी। उपरोक्त सूचना नरेंद्र दुग्गड़ एवं लक्ष्मी नारायण लाहोटी ने विज्ञप्ति के माध्यम से दी।

नरेंद्र दुग्गड़ 89599-06595

गुरुवार, 21 जुलाई 2022

श्री लंका की गुफा में ताबूत मे रखा है । रावण का शव।


Vinod meghwani*,,रावण जिंदा है क्या आज भी ,,,श्री लंका में --vinod meghwani (एक खबर),,* *लंका में हमेशा अफरा तफरी मची रहती है क्यो ,,,,,क्यो की लंका,, रावण,, की थी,,,,ओर रावण,,,,के स्वभाव के अनरूप ही उसका देश,,,भगवान श्री राम के हाथो मारे गए थे ,10000 वर्ष पहले  पर रावण का नाम आज भी है । ओर श्री लंका में एक ताबूत मे रावण का शव आज भी रखा हुआ है । जब श्री राम भगवान से युद्ध के दौरान मत्यू को प्राप्त हुए ।उसके बाद उसका शव विभीषण को सौंपा गया तो विभीषण ने रावण का अंतिम संस्कार नहीं किया उसके शव को लेप लगाकर ताबूत में रख कर उस गुफा में रखा जिसमे रावण तपस्या किया करता था । उस गुफा आसुरी शक्तियों का वास था उन शक्तियों ने रावण को पुन जीवित करने की कोशिश की जिसमे उनको आंशिक सफलता मिली ,,,रावण कुछ समय तक उस गुफा में जीवित था ,,कुछ एसे संकेत मिले थे लंका वासियों को अधिक जानकारी के लिए वीडियो देखे

मंगलवार, 19 जुलाई 2022

खनन माफिया ने D S P की कुचलकर हत्या की __एक खबर

Vinod meghwaniएक खबर (हरियाणा मेवाड़ ) vinod meghwani खनन माफिया को किसी का डर डीएसपी सुरेंद्र सिंह की हत्या से भारी गुस्से में तावडू के लोग, कल बाजार रखेंगे बंद
डीएसपी सुरेंद्र सिंह ने अवैध खनन के शामिल एक ट्रक ड्राइवर ने कुचलकर मार डाला.
डीएस

पी सुरेंद्र सिंह ने अवैध खनन के शामिल एक ट्रक ड्राइवर ने कुचलकर मार डाला.
नूंह जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच कर रहे एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को मंगलवार ने एक ट्रक को रुकने का इशारा किया तो ट्रक ड्राइवर उन्हें कुचलता हुआ 
मेवात. हरियाणा के नूंह जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच के दौरान डीएसपी सुरेंद्र सिंह की डंपर से कुचलकर हत्या को लेकर तावडू के लोगों में भारी गुस्सा देखा जा रहा है. पुलिस अधिकारी की इस नृशंस हत्या पर शोक व्यक्त करते हुए लोगों ने यहां कल सभी दुकानें बंद रखते हुए साइलेंट मार्च निकालने का फैसला किया है.


दरअसल सुरेंद्र सिंह की हत्या से गुस्साएं सैकड़ों लोगों ने तावडू के पुरानी अनाज मंडी में स्थित अग्रवाल धर्मशाला में पंचायत कर घटना की कड़ी निंदा की और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है. इस दौरान तावडू शहर के वार्ड नंबर 11 के पार्षद ज्ञानी राम वर्मा ने बुधवार को बाजार बंद रखने की अपील की. ज्ञानी राम ने बताया कि शहर में पंचायत हुई थी, जिसमें ये फैसला किया गया है कि कल शहर की सभी दुकानों को बन्द रखा जाएगा. इस दौरान सिर्फ अस्पताल खुलेंगे.

बता दें कि नूंह जिले में अवैध पत्थर खनन की जांच कर रहे एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) को मंगलवार ने एक ट्रक को रुकने का इशारा किया तो ट्रक ड्राइवर उन्हें कुचलता हुआ आगे बढ़ गया. डीएसपी के चालक और सुरक्षाकर्मी ने सड़क के किनारे कूदकर अपनी जान बचाई, लेकिन सुरेंद्र सिंह ट्रक की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौत हो गई.

आपके शहर से (मेवात)

हरियाणा के नूंह में DSP की हत्या, अवैध खनन माफिया ने चढ़ाया डंपर, इसी साल था रिटायरमेंट

DSP सुरेंद्र सिंह 3 महीने बाद होने वाले थे रिटायर, रोते हुए भाई ने कहा- सुबह ही कही थी ये बात
DSP सुरेंद्र सिंह ने वीरता से निभाई ड्यूटी, परिवार को दी जाएगी 1 करोड़ की मदद, एक सरकारी नौकरी- सीएम खट्टर


डीएसपी सुरेंद्र सिंह मर्डर केस में पुलिस को बड़ी सफलता, एनकाउंटर में डंपर का खलासी गिरफ्तार


गृह मंत्री अनिल ने दिया आदेश

इस मामले में पुलिस ने ट्रक के खलासी इक्कर को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार कर लिया, जबकि ट्रक का ड्राइवर मित्तर फिलहाल फरार है. मुठभेड़ में इक्कर गोली लगने से घायल हो गया, जिस कारण उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस के मुताबिक, सदर थाना तावडू पुलिस ने पचगांव के रहने वाले मित्तर व इक्कर के अलावा 3-4 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 353, 186, 333, 120बी, 379, 188, 506, अवैध माइनिंग, अवैध हथियार की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है.


उधर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है, जबकि विपक्ष ने अवैध खनन के मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. खट्टर ने ट्वीट किया, ‘तावडू (नूंह) के डीएसपी सुरेंद्र सिंह जी की हत्या के मामले में कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दे दिए गए हैं, एक भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा.’जो भी अधिकारी रोकोगा उसे कुचल कर मार दिया जायेगा ये मेसेज दिया है खनन माफिया ने पूरे देश को ओर कानून को ।

रविवार, 17 जुलाई 2022

2024 मे बीजेपी पसमांदा मुसलमानों के वोटो से सरकार बनाएगी क्या


Vinod meghwaniएक खबर विनोद meghwani   20240के लोकसभा में पसमांदा मुसलमान नरेंद्र मोदी जी को ,,, प्रधानमंत्री ,,बनाएंगे ,,,,ओवैसी जैसे नेता भी सोच मे पड जाएंगे,,,की मुसलमान ओर बीजेपी के साथ,,, क्यों ओर केसे ।कौन है पसमांदा मुसलमान, पीएम मोदी ने जिन्हें जोड़ने का किया आह्वान; क्या हैं इसके राजनीतिक मायने
Explainer: कौन हैं पसमांदा मुसलमान, पीएम मोदी ने जिन्हें जोड़ने का किया आह्वान; क्या हैं इसके राजनीतिक मायने

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भाजपा ने पिछले सप्ताह हैदराबाद में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि वह समाज के सबसे पिछड़े तबके तक अपनी पहुंच बनाएं। उन्होंने कहा था केवल हिंदू ही नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक समुदायों के कमजोर तबके तक भी हमें पहुंच बनानी चाहिए। अल्पसंख्यक समुदाय का जिक्र करते हुए उन्होंने 'पसमांदा मुस्लिमों' (Pasmanda Muslims) का उदाहरण दिया था।



पीएम मोदी द्वारा पार्टी मीटिंग में मुस्लिम समाज के एक विशेष और पिछड़े तबके का जिक्र किया गया। इसने राजनीतिक विशेषज्ञों का ध्यान आकर्षित किया है। राजनीतिक और मुस्लिम मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी ने एक सोची-समझी रणनीति के तहत पसमांदा मुस्लिमों का जिक्र किया है। ये भाजपा की भविष्य की राजनीति का रोडमैप हो सकता है। भाजपा मुस्लिम समुदाय के उस वर्ग पर फोकस कर रही है, जो पारंपरिक तौर पर विपक्षी दलों का वोट बैंक माना जाता है।

भारतीय मुसलमानों के तीन वर्ग

भारतीय मुसलमानों को मुख्यतः तीन सामाजिक समूहों में विभाजित किया जा सकता है। पहला अशरफ (Ashraf), दूसरा अजलाफ (Ajlaf) और तीसरा अरजाल (Arzal)। ये तीनों वर्ग मुसलमानों की सामाजिक और आर्थिक हैसियत दर्शाते हैं।


अशरफ मुसलमान (Ashraf Muslims)

अशरफ मुसलमानों का वो सामाजिक वर्ग है जो पारंपरिक तौर पर प्रभावशाली माना जाता है। मुस्लिम विद्वानों के मुताबिक इस समूह में ऐसे मुसलमान शामिल हैं, जो मुस्लिम विजेताओं के वंश से ताल्लुक रखते हैं। इनमें उच्च जाति के हिंदू भी शामिल हैं, जिन्होंने बहुत पहले इस्लाम धर्म अपना लिया था। अशरफ मुसलमानों में सैयद, मुगल, पठान आदि जातियां शामिल हैं। इसके अलावा हिंदू धर्म की उच्च जातियों से इस्लाम धर्म अपनाने वाले जैसे रंगद (मुस्लिम राजपूत) या तागा (त्यागी मुसलमान) भी इसी वर्ग में शामिल हैं। अशरफ मुसलमान, आर्थिक रूप से संपन्न और सामाजिक रूप से प्रतिष्ठित व उच्च पदों पर है।

अजलाफ और अरजाल मुसलमान (Ajlaf & Arzal Muslims)

पसमांदा एक फारसी शब्द है, जिसका मतलब होता है 'पीछे छूट' गए लोग मतलब पिछड़े। अज्लाफ और अर्जल दोनों वर्गों को सामूहिक रूप से पसमांदा मुस्लिम कहा जाता है। इसमें मुस्लिम समुदाय के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोग शामिल हैं।

पसमांदा बनाम अन्य

विशेषज्ञों का मानना है कि पसमांदा मुसलमानों को बाकी मुस्लिमों की तुलना में निचले स्थान पर रखा गया। ऐसा इसलिए क्योंकि ये वो मुसलमान हैं, जिन्होंने दूसरे धर्मों से परिवर्तित होकर इस्लाम (Converted Muslims) अपनाया। धर्म परिवर्तन करने वाले ये मुसलमान स्थानीय आबादी का हिस्सा थे और इन्होंने काफी बाद में इस्लाम धर्म अपनाया है। इनमें से ज्यादातर लोगों ने व्यवसाय के आधार पर अपनी टाइटल का इस्तेमाल किया, जैसे अंसारी (बुनकर) और कुरैशी (कसाई) आदि।


80 फीसद हैं पसमांदा

पसमांदा मुसलमानों के नेताओं का दावा है कि भारतीय मुस्लिमों की कुल जनसंख्या में उनकी आबादी लगभग 80-85 फीसद है। शेष 15-20 फीसद आबादी अशरफों की है। पसमांदा समुदाय ने कई बार आवाज उठाई कि मुस्लिम आबादी में उनकी संख्या ज्यादा होने के बावजूद, नेतृत्व वाले पदों पर अशरफ मुस्लिमों का कब्जा है। 14वीं लोकसभा में पहली बार करीब 400 मुस्लिम सदन में पहुंचने में कामयाब रहे। इसमें  पसमांदा बैकग्राउंड के मुस्लिम नेताओं की संख्या मात्र 60 थी।

पसमांदा से हमदर्दी है तो बदलनी होगी विचारधारा

पत्रकार और समाज सेवक से राजनेता बने अली अनवर ने अपनी किताब 'मसावात की जंग - पसेमंजर : बिहार के पसमांदा मुसलमान' और 'दलित मुसलमान' में पसमांदा मुसलमानों के मुद्दों और उनकी आर्थिक व सामाजिक स्थिति को प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने पिछड़े व दलित वर्ग के मुस्लिमों की आवाज उठाने के लिए 1998 में पसमांदा मुस्लिम महज (Pasmanda Muslim Mahaz) नाम से संगठन बनाया था। वह बताते हैं कि मसावात का मतलब है बराबरी, जो कि इस्लाम की रीढ़ की हड्डी है। इसी मसावत मतलब बराबरी का दर्जा पाने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों ने इस्लाम धर्म अपनाया था। अली अनवर के अनुसार मुस्लिम दलितों की स्थिति में तब तक कोई सुधार नहीं हो सकता, जब तक उन्हें आर्टिकल 341 के तहत दलित घोषित कर आरक्षण न मिले। राजनीति में उनकी भागीदारी बढ़ाना भी आवश्यक है। इसलिए मुस्लिम सहित सभी धर्मों में जातिगत जनगणना जरूरी है। पसमांदा (पिछड़ा वर्ग या दलित वर्ग) सभी धर्मों में है। इसकी मांग 2009 में राज्यसभा सदस्य रहते हुए सदन में की थी। अगर वास्तव में पीएम मोदी को पसमांदा मुस्लिमों से हमदर्दी है और वह उन्हें साथ लाना चाहते हैं तो भाजपा को अपनी विचारधारा में परिवर्तन करना होगा।

मुस्लिम व ईसाई को दलित का दर्जा नहीं

अनुच्छेद 341 के तहत पूर्व में केवल हिंदू दलितों को मान्यता दी गई थी। बाद में अनुच्छेद में संशोधन किया गया और उन हिंदू दलितों को भी इसमें शामिल किया गया, जो धर्म बदलकर सिख या बौद्ध हो गए। वहीं, इस्लाम या ईसाई धर्म अपनाने वाले हिंदू दलितों को इस कैटेगरी से बाहर कर दिया गया। मंडल आयोग की सिफारिश पर वीपी सिंह सरकार ने 1989 में ओबीसी वर्ग के लिए 27 फीसद कोटा निर्धारित किया था। तब मुस्लिमों की कई उपजातियों को इसमें शामिल किया गया था। अभी मुसलमानों की 79 उपजातियां ओबीसी कैटेगरी में आती हैं।।

योगी 2.0 में मुस्लिमों की भागीदारी

पसमांदा मुस्लिमों को भाजपा से जोड़ने की मुहिम यूपी से शुरू हो चुकी है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल (Yogi Adityanath 2.0 UP Government) में पसमांदा समुदाय से आने वाले दानिश आजाद अंसारी (Danish Azad Ansari) को राज्य मंत्री बनाया गया। साथ ही जावेद अंसारी (Javed Ansari) को यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन (UP Board of Madarsa Education) का चेयरमैन नियुक्त किया गया। वहीं, चौधरी काफिल-उल-वारा (Chaudhary Kafil-Ul-Wara) को यूपी उर्दू अकादमी (UP Urdu Akademi) का चीफ नियुक्त किया गया है। जावेद और चौधरी काफिल भी पसमांदा समुदाय से आते हैं। इतना ही नहीं, यूपी के आजमगढ़ और रामपुर में पिछले दिनों हुए उपचुनाव में भी भाजपा ने जीत दर्ज की थी। दोनों सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। इस जीत को भी भाजपा की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

पसमांदा मुस्लिमों की तीन प्रमुख मांग

1. अनुच्छेद 341 के तहत दलित मुस्लिमों को आरक्षण मिले। दलित मुस्लिमों को भी 1936 से 1950 तक आरक्षण मिलता था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे खत्म कर दिया था। इसके बाद जिस तरह से सिख व बौद्धों के लिए आरक्षण फिर से बहाल हुआ, उसी तरह दलित मुस्लिमों को भी मिलना चाहिए।

2. बिहार में जिस तरह से कर्पूरी ठाकुर ने आरक्षण का फार्मूला लागू किया था उसे अपनाया जाए, ताकि किसी भी धर्म अथवा जाति के लोगों में किसी तरह का भय अथवा संशय न हो।

3. पसमांदा मुस्लिमों के लिए नौकरी के अवसर और एमएसएमई सेक्शन के तहत सहायता।

भाजपा अल्पसंख्यक शाखा ने तैयार किया खाका

पीएम मोदी के सुझाव के बाद भाजपा की अल्पसंख्यक शाखा ने सबसे पिछड़े पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने का खाका तैयार कर लिया है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख जमाल सिद्दीकी, खुद पसमांदा मुस्लिम वर्ग से हैं। मोर्चा के अधिकांश सदस्य पसमांदा समुदाय के विभिन्न वर्गों से हैं। उनके अनुसार, पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए दो तरह की योजना बनाई गई है। पहला ये सुनिश्चित करना कि उन तक मोदी सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचे। दूसरा संगठन, विशेषकर पार्टी इकाइयों में उन्हें प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, जहां वे बहुमत में हैं। अल्पसंख्यक मोर्चा के सदस्य देशभर में पसमांदा मुसलमानों से संपर्क करेंगे। साथ ही भाजपा ने 1965 की जंग में शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद जैसे पसमांदा समुदाय के नायकों को सम्मानित करने और उनकी जयंती पर समारोह आयोजित करने की भी योजना तैयार की है। भाजपा का प्रयास है कि विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इस समुदाय तक पहुंच बना ली जाए।

भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में है ये भेदभाव

उर्दु समाचार पत्र इंकलाब के पूर्व संपादक शकील शम्सी के अनुसार मूलतः मुसलमानों में जात-पात का कोई अंतर नहीं है। आर्थिक स्तर पर कोई कम-ज्यादा हो सकता है, लेकिन समाजिक स्तर पर सब बराबर हैं। इसलिए दलित मुस्लिम जैसा कुछ नहीं होता। केवल भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में ही ये भेदभाव है। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां लोगों ने अतीत में धर्म परिवर्तन तो कर लिया, लेकिन अपनी मजबूत वंशावली से बाहर नहीं निकल सके। इसलिए यहां के मुसलमान सामाजिक भेदभाव को नहीं मिटा सके। बाकी देशों में वंशावली सिस्टम इतना मजबूत नहीं था, इसलिए वहां ये भेदभाव उत्पन्न नहीं हुआ।

एक था हिटलर,,,,,,_विनोद meghwani


Vinod meghwaniएक खबर ,,(विनोद meghwani)आप ने हिटलर का नाम तो सुना ही होगा पर उसकी जीवनी नहीं मालूम होगी बड़ी दिलचस्प कहानी है हिटलर की वो तानाशाह था खूनी था साथ में राजनेता भी था कहते जंग ओर सता के खेल में सब जायज़ है आइए वीडियो देखे हिटलर की कहानी मेरी जुबानी

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

With the efforts of Bhupesh Baghel, America reached England,, Dunex,,

Vinod meghwaniAk khbar (vinod meghwani)

Bastar ... Till a few years ago, on hearing this name, the fear of Naxal violence and the picture of backwardness started appearing in front of the eyes, but now it is not so.  Today the entire Bastar division has started writing a new story of development, pushing back Naxalism.  When the wind of development reached, not only the life of the people but also the thoughts have started changing.

  A large number of Naxalites have started leaving the path of violence and returning to the mainstream.  Not only returning but also contributing to the development of the region and the state.  The economic condition and standard of living of the people has changed due to the schemes of the state government to send money directly to the pockets of the general public.  Tribals are buying tractors for farming in large numbers, so they are also buying motorcycles for their convenience.  Ease of daily life with vehicles in all seven districts of Bastar division

 Sales of other manufacturing goods have increased.  This is the reason that now the same voice is coming from the whole division that - Aamcho (own) Bastar is changing.  There has been an increase in the level of transportation, education, health, nutrition in Bastar division.  The income of the tribals is increasing.  The purchase of minor forest produce has increased in the area.  Ration shops are being opened in interior areas, schools which are closed are being operated again.  The villagers, who were earlier opposed to the security camp, are today demanding a security camp.  Friendship relations have not been established between the villagers and the security forces.  The real beneficiaries are getting the Forest Rights Recognition letter, in which they are doing agriculture, animal husbandry, fisheries, poultry farming etc.  The self-confidence of women has increased due to employment-oriented activities in Gothans and women are becoming financially self-reliant.

बुधवार, 13 जुलाई 2022

चेरापूंजी मे लिजिए बरसात मे घूमने का मजा

Vinod meghwani,,,,,,,बरसात का मज़ा - बारिश का असली मज़ा चाहिए तो निकल पड़िए इन 6 जगहों की सैर पर
बरसात का मज़ा
बरसात का मज़ा – बारिश का रोमांटिक मौसम भला किसे अच्छा नहीं लगता रिमझिम बरसती बूंदों में भीगना और फिर गरम-गरम चाय के साथ पकोड़ौ, वाह! मज़ा आ जाता है ऐसी बारिश का तो.

लेकिन बरसात में सिर्फ घर बैठकर ही असली मज़ा नहीं लिया जा सकता, बारिश का मज़ा तो तब है जब आप पार्टनर के साथ कहीं दूर सफर पर निकल जाएं.

बारिश का मज़ा लेने के लिए भारत की ये जगहें बेस्ट हैं. यहां आकर आपका मॉनसून यादगार बन जाएगा.

बारिश का मज़ा –

चलिए हम आपको कुर्ग, कर्नाटक ले चलते है (विनोद meghwani एक खबर)
1/भीड़ से दूर कर्नाटक का सबसे खूबसूरत हिल स्टेशन कुर्ग, बारिश में और भी ज्यादा खूबसूरत हो जाता है. यहाँ की सुंदर घाटियां, कॉफी-चाय के बागान, संतरे के बगीचे और नदियां आपका मन मोह लेंगी. यहां कई खूबसूरत वॉटर फॉल भी हैं, लेकिन हां यहां आपको पैदल चलना होगा तभी आप असली मजा ले पाएंगे.
2/मुन्नार, केरल

केरल का सबसे खूबसूरत स्थान मुन्नार, इडुक्की में है. यहाँ तीन नदियों मुधिरापुझा, नल्लठन्नी और कुंडाली का संगम है, जो मानसून में और ज्यादा खूबसूरत हो जाती हैं. खूबसूरत वादियों वाले इस जिले को ‘साउथ का कश्मीर’ भी कहा जाता है. मुन्नार बेहद हसीन हिल स्टेशन हैं जहां आना बारिश के मौसम को और सुहाना बना देगवैली ऑफ 3फ्लॉवर्स, उत्तराखंड

जरा सोचिये, हिमालय की वादियों के बीच एक घाटी में आपको हर तरफ फूल ही फूल नजर आ रहे हों और उनकी खुशबू महक रही हो तो आप कैसा महसूस करेंगे. ज़ाहिर है फूलों की महक हर किसी को अच्छी लगती है तो आपको ये खूबसूरत एहसास उत्तराखंड की वैली ऑफ फ्लॉवर्स में मिलेगा. इस जगह पर आपको 400 से ज्यादा प्रकार के फूल मिलेंगे. मॉनसून को यादगार बनाने के लिए एक बार यहां ज़रूर आएं.
 
4 उदयपुर, राजस्थान
कभी-कभी ज्यादा बारिश भी अच्छी नहीं लगती, ऐसे में आप यदि बारिश में बहुत भीगना नहीं चाहते, लेकिन बाहर घूमना हैं तो उदयपुर जा सकेत हैं. राजसी ठाठ-बाठ वाला उदयपुर अपनी खूबसूरती के साथ-साथ शाही मेहमान नवाजी से आपका दिल जीत लेगी.


5 कोडाइकनाल, तमिलनाडु

कोडाइकनाल, तमिलनाडु की पलानी पहाड़ियों में समुद्र तल से 2133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक सुंदर और मनमोहक हिल स्टेशन है. यहाँ कर्स वॉक, बियर शोला फॉल्स, ब्रायंट पार्क, कोडाइकनाल झील, ग्रीन वैली व्यू, पिलर्स रॉक, गुना गुफाओं जैसे कई सारे पर्यटन स्थल है. बारिश में आने के लिए ये बेस्ट जगह है.
6/ चेरापूँजी, मेघालय

अगर आपको बारिश से बहुत प्यार है, तो चेरापूंजी ज़रूर जाइए. यहाँ सबसे ज्यादा बारिश होती है। हरियाली की चादर ओढ़े इस जगह पर आपको इतने सारे नजारे देखने को मिलेंगे कि आप फोटोज क्लिक करते-करते थक जाएंगे. हमेशा हरा-भरा रहने वाले चेरापूंजी कई वॉटरफॉल भी नज़र आते हैं.
ये है वो जगहें जहाँ बारिश का मज़ा ले सकते है – हैं बारिश तो शुरू हो चुकी है, जल्दी से प्लान बनाइए, बैग पैक करिए और अपने पार्टनर के साथ बारिश को और रोमांटिक बनाने के लिए निकल पड़िए किसी खूबसूरत जगह की सैर पर.

शुक्रवार, 8 जुलाई 2022

मोदी जी के दोस्त ,,,जापान प्रधानमंत्री शिंजो आंबे की,,हत्या,,,

Vinod meghwani,,,,,,जापान ( नारा सिटी ) एक खबर ( विनोद meghwani )  क्या,,,?????? शिंजो किसी इंटरनेशनल साजिश का शिकार हुए । शिंजो को चीन के राजनीतिजञों की आंख के किरकिरी थे । शिंजो भारत के हितो का समर्थन करते थे ओर प्रधानमंत्री मोदी के मित्र थे । शिंजो आबे को गोली कैमरे जैसी दिखने वाली बंदूक से किया गया। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को गोली मारने से संबंधित मामले में पुलिस ने नारा सिटी में 41 वर्षीय यामागामी तेत्सुया को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ़्तार किया है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को गोली मारने से संबंधित मामले में पुलिस ने नारा सिटी में 41 वर्षीय यामागामी तेत्सुया को हत्या के प्रयास के आरोप में गिरफ़्तार किया है. उसके पास से एक बंदूक भी ज़ब्त की गई है, जो देखने में किसी कैमरे की तरह दिखाई दे रही है. हालांकि संदिग्ध ने किस वजह से यह हमला किया, इसकी जानकारी सामने नहीं आई है. इस घटना का सबसे नजदीकी वीडियो स्थानीय मीडिया एनएचके द्वारा ट्विटर पर साझा किया गया ।
इस वीडियो में वह बंदूक दिखाई दे रही है जिसका इस्तेमाल शिंजो आबे के खिलाफ किया गया. सारा खेल मात्र 30 सेकेंड का दिखाई दे रहा है. जाहिर है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या की तैयारी लंबे वक्त से की जा रही होगी. यदि हमलावर के हाथ में बंदूक दिखती तो उसका शिंजो आबे के करीब पहुंचना भी असंभव होता. संबोधन के दौरान सुरक्षाकर्मी सिर्फ मीडिया कर्मियों को ही आस पास आने जाने की अनुमति देते हैं.।
गोली लगने के बाद शिंजो आबे तुरंत अचेत हो गए थे. उनके सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें घेर लिया था. चूंकि गोली की आवाज बहुत धीमी थी इसलिए सुरक्षाकर्मियों के लिए यह अनुमान लगा पाना मुश्किल रहा होगा कि हमलावर कितने हैं. एक हमलावर को सामने देखने के बाद हिरासत में ले लिया गया.
भारत में बुलेट ट्रेन की नींव रखने वाले जापान के पूर्व पीएम शिंजो आबे की मौत गोली लगते ही जमीन पर गिरे शिंजो आबे, हमलावर ने कैसे किया अटैक, वीडियो में देखें
जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा 'आबे पर बर्बर हमला बर्दाशत नहीं' करेंगे।

शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

महाराष्ट्र में कठपुतली ,,मुख्यमंत्री , उपमुख्मंत्री कब तक रहेंगे ,,


Vinod meghwani(संपादकीय लेख) लेखक के अपने विचार ( एक खबर )
बागी ,,,कोई ,एक दो दिन में नहीं बनता,,,बागी तब बनता जब उसके अधिकार छीन लिए जाते उसकी बात न सुनी जाए उसको बेइज्जत किया जाए,,,,बगावत की आवज बुलंद करने के लिए,,, जिगरा चाहिए । क्या ये जिगरा ,, वर्तमान ,,मुख्यमंत्री ,,एकनाथ शिंदे के पास था तो ,,,जवाब ,नहीं,,,,जिगरा,,,देवेंद्र फडणवीस के पास था ,,,वरना शिंदे ,,, गुहवाटी नहीं जा पाता । अब सवाल ये कि शिंदे ,,,,भाजपा का ,,दबाव,,, कितने दिन झेल पाएंगे ओर कितने दिन मुख्यमंत्री बने रहेंगे क्यो की ,,,,देवेंद्र,,,उप मुख्यमंत्री ,,पार्टी के दबाव मे बने,,,,,है 
क्योंकि फड़णवीस के पर कतरे , मराठा वोट पर नजर . फडणवीस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह तक कह दिया कि वे सरकार में शामिल नहीं होंगे । इसके बाद नड्डा ने उन्हें सरकार में शामिल होने का निर्देश दिया । दो - टूक कहा गया कि संगठन में जो दायित्व दिया जाए उसे पूरा करना होगा । • शिंदे के सीएम बनने के क्या मायने हैं ? फडणवीस और गडकरी ब्राह्मण हैं । शिंदे मराठा हैं । शिंदे को सीएम बनाने से मराठा वोटर सध सकता है । इस फैसले से यह संदेश जाएगा कि भाजपा शिवसैनिकों के साथ है । खासकर उनके , जिन्हें लगता है कि एनसीपी और कांग्रेस के लोग उनका हक मार रहे हैं । यदि बाद में कोर्ट में मामला फंसता है तो भाजपा फजीहत से बच जाएगी । •
 फडणवीस की जगह शिंदे सीएम क्यों बने ? भाजपा की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर है ।

फडणवीस के सीएम बनने से मराठा वोट को साधने में मुश्किल होती , क्योंकि भाजपा के पास कद्दावर मराठा नेता नहीं है । शिंदे के सीएम बनने से मराठा - ब्राह्मण कॉम्बिनेशन और कट्टर हिंदुत्व के प्लॉट पर भाजपा मजबूत होगी । . न ■ फडणवीस को डिप्टी सीएम क्यों बनाया गया ? ताकि सरकार की स्थिरता पर संकट न हो न केंद्र यह भी चाहता है कि फडणवीस खुद को महाराष्ट्र भाजपा का बेताज बादशाह न समझें । फडणवीस विरोधी नेताओं में असंतोष न हो । यह भी स्पष्ट हो गया कि फडणवीस फिलहाल केंद्रीय राजनीति में नहीं जा रहे हैं । • क्या महाराष्ट्र भाजपा में कोई असंतोष था ? महाराष्ट्र के भाजपा नेताओं में यह चर्चा थी कि केंद्रीय नेतृत्व फडणवीस को तवज्जो देकर बाकी नेताओं को किनारे कर रहा है । • क्या उद्धव के सामने अस्तित्व का संकट है ? शिंदे खुद को शिवसैनिक बताते रहेंगे । वह उद्भव के साथ बचे हुए विधायकों और नेताओं को अपने पक्ष में लाने की कोशिश करेंगे । इससे उद्धव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं । पर एक बात तय,,,,,,महाराष्ट्र का  मुख्यमंत्री,,,,एक साल फिर बदलेगा,,,,,,कोन बनेगा,,,,??????ये तो  समय बताएगा,,,

बंद कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई

Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से  अंधी कमाई कितनी हे,,,?????