सोमवार, 25 अक्तूबर 2021

श्री राम भगवान का जन्म आयोध्या में हुआ था,,,,

Vinod meghwani,,,,,,,,,एक खबर ( vinod meghwani )

श्री राम भगवान सत्य है कोई काल्पनिक कहानी नही,,,,,जिनको विश्वाश नही ,,,,,,रामायण की कहानी ,,विज्ञान की जुबानी,,,,इस पुस्तक में सरल ढंग से विज्ञान की गणना से श्री राम भगवान की जीवनी को समझाया गया है ।
श्रीराम की जीवनगाथा तिथि, स्थान तथा संदर्भों के साथ 1. विभिन्न वैज्ञानिक साक्ष्यों से छनकर निकले रामायण रूपी अमृत का आनंद आप भी उठाएँ। 2. इस पुस्तक में रामायण की महत्त्वपूर्ण घटनाओं के समय महर्षि वाल्मीकि द्वारा देखे गए आकाशीय दृश्यों को प्लैनेटेरियम सॉफ्टवेयर के माध्यम से आप भी देखें। निर्धारित खगोलीय तिथियों के समर्थन में दिखाई देंगे, कई रोचक चित्रों के साथ अनेकों अन्य वैज्ञानिक प्रमाण। 3. नए वैज्ञानिक उपकरणों तथा साक्ष्यों का उपयोग कर पुस्तक ने नारायण को मिथ्या बतानेवालों को असत्य सिद्ध कर रामायण में वर्णित घटनाओं की वास्तविकता एवं ऐतिहासिकता पर प्रकाश डाला है। 4. श्रीराम के जीवन में घटी मुख्य घटनाओं के क्रमिक व्योम चित्रों के साथ देखें ताँबे के वाणाग्र, सोने-br>चाँदी के आभूषण, पत्थरों व मोतियों के गहने, टैराकोट के बरतन तथा विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधों के चित्र, जिनकी कार्बन डेटिंग इन्हें सात हजार वर्ष पुराने बताती है। 5. श्रीराम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था और उन्होंने एक आदर्श पुत्र, एक आदर्श भाई, एक आदर्श समाज-सुधारक तथा एक आदर्श शासक के रूप में अतुलनीय उदाहरण पेश किए। पढ़ें अनेक तथ्य व प्रमाण।.

About the Author
सरोज बाला भारतीय राजस्व सेवा की प्रतिष्ठित अधिकारी रही हैं। उन्होंने एल-एल.बी. के साथ राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त की है। 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में हुई कई अकल्पनीय घटनाओं ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। वेदों और महाकाव्यों की ऐतिहासिकता तथा पुरातनता के बारे में पता लगाने के लिए उन्होंने पूरी तरह से बहु-अनुशासनात्मक वैज्ञानिक शोध में स्वयं को सराबोर कर लिया। उन्होंने आठ अलग-अलग वैज्ञानिक विषयों से संबंधित प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों से संपर्क किया और कई संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन किया। 2009 से 2017 के दौरान वेदों पर वैज्ञानिक शोध संस्थान की वे निदेशक रहीं। उनकी पुस्तक ‘वैदिक युग एवं रामायण काल की ऐतिहासिकता: समुद्र की गहराइयों से आकाश की ऊँचाइयों तक के वैज्ञानिक प्रमाण’ 2012 में हिंदी तथा अंग्रेजी में प्रकाशित हुई। तत्पश्चात् उनको इस विषय पर एक वास्तविक वैज्ञानिक शोधकर्ता के रूप में व्यापक रूप से स्वीकार किया जाता रहा है। गुरु जंभेश्वर विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार से इस शोध के लिए उन्हें डॉक्टर ऑफ साइंस (ऑनोरिस कौजा) की डिग्री प्रदान की। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठित मंचों पर इस विषय पर प्रस्तुतियाँ की हैं। अधिकांश टी.वी. चैनल इस विषय पर विशेषज्ञ के रूप में उनकी टिप्पणियाँ प्रसारित करते रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने इस पुस्तक की रचना हेतु उन्हें बहुमूल्य मार्गदर्शन प्रदान किया।.

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