पेगासस स्पाईवेयर मामला
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कांग्रेस ने कहा- अमित शाह बर्खास्त क्यों नहीं, गृह मंत्री बोले- ' क्रोनोलोजी समझि
कांग्रेस ने की जेपीसी या न्यायिक जाँच की माँग
कांग्रेस सांसद गौ रव गोगोई ने पेगासस जासूसी कांड पर जेपीसी जाँच की माँग की.
संसद परिसर में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, " केंद्र सरकार भारत के पत्रकारों और विपक्ष के नेताओं की जगह विदेशी कंपनी के बयान पर ज़्यादा भरोसा कर रही है. अगर जेपीसी जाँच के लिए सरकार तैयार हो जाती है तो स्वागत योग्य है. लेकिन जेपीसी से ज़्यादा इस मुद्दे पर हमारी माँग है कि किसी भी तरह की न्यायिक जाँच हो. इसके लिए चाहे इंक्वायरी कमेटी का गठन किया जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की देखरेख में जाँच हो. देखते हैं सरकार किस बात के लिए तैयार होती है. हम जानना चाहते हैं कि केंद्र सरकार आख़िर जाँच से भाग क्यों रही है?"
ग़ौरतलब है कि पेगासस जासूसी कांड पर केंद्र सरकार की तरफ़ से आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को लोकसभा में बयान दिया था.
लोकसभा में वैष्णव ने सोमवार को कहा था, "एक वेब पोर्टल पर कल रात एक अति संवेदनशील रिपोर्ट प्रकाशित की गई जिसमें बढ़ा-चढ़ाकर कई आरोप लगाए गए. ये रिपोर्ट संसद के मॉनसून सत्र के एक दिन पहले प्रकाशित हुई. ये संयोग नहीं हो सकता."
अश्विनी वैष्णव ने कहा, "इससे पहले भी वॉट्सऐप पर पेगासस के इस्तेमाल को लेकर मिलते-जुलते दावे किए गए हैं. वो बेबुनियाद थे और सभी पार्टियों ने उनका खंडन किया था. 18 जुलाई को प्रकाशित रिपोर्ट भी भारतीय लोकतंत्र और इसकी स्थापित संस्थाओं को बदनाम करने की कोशिश प्रतीत होती है."
लेकिन विपक्ष उनके जवाब से संतुष्ट नहीं है.
मंगलवार को संसद में हंगामे के पहले ही कई विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने सदन में इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव देते हुए चर्चा की माँग भी की. इनमें आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और सीपीआई के राज्य सभा सांसद विनॉय विश्वम शामिल थे.
पेगासस जासूसी मामला: 'नई लिस्ट' में कई चौंकाने वाले नाम
सपा बसपा ने ट्वीट कर जाहिर किया अपना पक्ष
कुछ विपक्षी दल के नेताओं ने ट्विटर पर अपनी बात रखी.
इनमें सपा नेता अखिलेश यादव हो और बसपा नेता मायावती प्रमुख हैं.
अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़ा, वहीं मायावती ने पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच की माँग की .
जब सपा और बसपा ने सवाल उठाए, तो जवाब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दिया.
गृह मंत्री अमित शाह की तरह ही उन्होंने पूरे जासूसी कांड को अंतरराष्ट्रीय साज़िश करार दिया और पूरी रिपोर्ट की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, "विपक्ष पूरी तरह नकारात्मक भूमिका के साथ काम कर रहा है और उन अंतरराष्ट्रीय साज़िशों का शिकार जाने अनजाने में बन रहा है, जो किसी न किसी रूप में भारत को अस्थिर करना चाहते हैं. ये कोई पहली घटना नहीं है. याद कीजिए 2020 के प्रारंभ में अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे के दौरान उनके दिल्ली पहुँचने के साथ ही दिल्ली में दंगे शुरू हो गए थे. क्या ये एक साज़िश का हिस्सा नहीं था?"
लेकिन सबसे चौंकाने वाला ट्वीट बीजेपी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने किया है.
ट्विटर पर उन्होंने लिखा कि पेगासस स्पाईवेयर एक कमर्शियल कंपनी है, जो पैसा लेकर ही काम करती है. इसलिए एक सवाल लाज़मी है कि भारतीय लोगों पर जासूसी के लिए उन्हें पैसे किसने दिए. अगर भारत सरकार ने नहीं दिए, तो आख़िर किसने दिए. मोदी सरकार को इसका जवाब देश की जनता को देना चाहिए.
पेगासस जासूसी मामले में रिपोर्ट आने के पहले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इसे लेकर ट्वीट किया था. उन्होंने लिखा था कि इस तरह की अफ़वाह है कि वॉशिंगटन पोस्ट और लंदन गार्डियन एक रिपोर्ट छापने जा रहे हैं. 'जिसमें इसराइल की फर्म पेगासस को मोदी कैबिनेट के मंत्री, आरएसएस के नेता, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और पत्रकारों के फ़ोन टैप करने के लिए हायर किए जाने का भंडाफोड़ होगा.'
अब तक इस मामले में दो रिपोर्ट सामने आई है. पेगासस जासूसी के संबंध में जारी कथित लिस्ट के मुताबिक़, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा,चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद पटेल और कुछ पत्रकारों के मोबाइल नंबर की जासूसी का अंदेशा है
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