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मुखी पैलेस पाकिस्तान सरकार ,,सिन्धी प्रदेश सँघर्ष समिति को सुपुर्द करे - विनोद मेघवानी

 एक खबर vinod meghwani ( सिन्धी प्रदेश सँघर्ष समिति ) भारत के गुजरात कच्छ में सिंध प्रदेश की मांग भारत सरकार के सामने रखी है जब कोरोना संक्रमण खत्म  हो जायेगा तब हम भारत सरकार से इस विषय पर चर्चा करेंगे । आओ आप को भूत काल मे ले चले जब अखण्ड भारत था ,,,,मेरे पूर्वजों मुखी जेठानन्द मेघवानी ओर गोविंदराम मेघवानी के पास अपनी बहुत आलीशान कोठी थी हैदराबाद में ।ये जो आप तस्वीरें देख रहे हैं ये आज के पाकिस्तान के सिंध प्रांत के हैदराबाद शहर के एक मकान की हैं। इस महलनुमा घर का नाम मुखी हाउस अथवा मुखी पैलेस है। 833 मुरब्बा गज (अर्थात 20,825 एकड़ अर्थात 84275866 स्केयर मीटर अर्थात 8428 हैक्टेयर) जमीन पर इसे जेठानंद मुखी और उनके भाई गोविंद राम मुखी ने 1920 में बनवाया था। उस समय पर इसकी लागत 1 लाख ₹20,000 आई थी। यह उस समय की बात है जब किसी आम जन के पास ₹100 होना बहुत बड़ी बात होती थी। इसमें लगाए गए पत्थर जयपुर और जोधपुर से मंगाए गए थे, पूरी सागवान की लकड़ी लगी है, रोशनदानों, खिड़कियों और दरवाजों पर शीशे में नक्काशी की हुई है। छतों पर अलग तरह की कलाकारी की गई है। इसे क्लासिकल रेनेसां आर्ट की तर्ज पर बनाया गया है। यह घर अपने आप में आर्किटेक्ट का बेजोड़ नमूना है। बड़े-बड़े हॉल हैं। इसमें  12 बेडरूम हैं, हर बेडरूम के साथ खूबसूरत बालकनी है। इतना बड़ा घर सिंधी मुखी परिवार ने अपने परिवारजनों के रहने के लिए बनाया था। 

जब देश का बंटवारा हुआ तो मुखी परिवार सब कुछ छोड़-छाड़ कर अपनी जान बचाकर भारत आ गया। 

यह तो हजारों-हजारों में से सिर्फ एक कहानी है। हैदराबाद शहर में हिंदुओं की ऐसी ही बड़ी-बड़ी इमारतें थी। कराची की कोर्ट में सब बड़े-बड़े वकील हिंदू थे। 2013 में पाकिस्तान सरकार के बुलावे पर मुखी जेठानन्द मेघवानी के परिवार के सदस्य अपने परिवार के सदस्यों के साथ पाकिस्तान  गये ओर पाकिस्तान सरकार के मामूली मुवाज़े पर मुखी हाउस मेघवानी पैलेस पाकिस्तान सरकार को मजबूरी में दे आये । एक इंटरव्यू में राम जेठमलानी ने बताया था कि मुहम्मद अली जिन्ना कराची की कोर्ट में (जहां जेठमलानी भी प्रैक्टिस करते थे) प्रैक्टिस करना चाहते थे। वे एक हिंदू वकील की फर्म हरचंद्रा एंड कंपनी में इंटरव्यू देने गए। हिंदू वकील ने उनका इंटरव्यूJ लिया और रखने के लिए तैयार हो गए परंतु जिन्ना ₹100 प्रतिमाह की तनख्वाह मांग रहे थे, जब कि फर्म का मालिक ₹75 से अधिक देने को तैयार नहीं था, बात नहीं बनी। 

लगभग इसी तरह की स्थिति लाहौर और कराची की थी। सब कुछ छोड़-छाड़ कर अपने तन पर कपड़े लेकर जिंदा बच पाना ही बड़ी उपलब्धि थी। परंतु सभी इतने भाग्यशाली कहां थे। महिलाओं के लिए तो वैसे ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। बड़ा दुख होता है जब लोग कह देते हैं कि आजादी बिना खड़ग, बिना ढाल मिल गई थी। इसमें लाखों का खून शामिल है, लाखों बहू बेटियों के शील भंग हुआ है पूरे सिंध में ऐसे हजारों पैलेस करोड़ो की जमीन सभी सिंधियों के पूर्वज छोड़ आये हमारे जब हम छोटे थे हमारे बुजुर्ग हमे ये सब बताते थे तो हम सिर्फ आह भरकर ओर गर्दन हिलाकर रह जाते थे,,,पर अब नही,,,हमारे बुजुर्गों ,,,,से राजनेताओं ने जो छीना था ,,,,,हम देश के राजनेताओं से वापस लेंगे,,,,,सिन्धी प्रदेश सँघर्ष समिति,,,,महासचिव विनोद मेघवानी


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