सोमवार, 31 जुलाई 2023

रद्राभिशेक हुआ सिंधुभवन मे सिंधी समाज के सानिध्य में

Vinod meghwaniजय झूलेलाल
,,,,आज सिंधु भवन दुर्ग मे सावन के महा मे,,,,रूद्राभिषेक का कार्यक्रम हुआ ,,,जो स्वागत योग्य है,,,सिंधी समाज के लिए,,,,दुर्ग के नए,,उभरते ,,,समाज सेवक ,,,मुकेश लालवानी ने ,,ने इस कार्यक्रम का,,आयोजन किया । ,,,ये  कड़वा सत्य है ये,,,कार्यक्रम ,,नाम कमाने के उद्देश्य से किया गया पर ये ,,,तारीफ काबिल समाज सेवा है,,। एक ओर दुखद समाचार ये है क्योंकि हाल मे सट्टे के कारण  एक युवा ने,,, छत्तीसगढ़ में आत्महत्या कर ली ,,ओर एक ये सुखद,,,समाचार ये युवा जो समाज सनातन धर्म की जय जय कार कर रहे,,,ये आयोजन पूरे,,,, छतीसगड के सिंधी समाज के युवाओं को करना चाहिए,,,क्योंकि भक्ति की राह मे ही,,, सर्वसुख है,,



vinod meghwani ,,, एक खबर,,,

बुधवार, 19 जुलाई 2023

शनिवार, 15 जुलाई 2023

आडवाणी जी को ,,,भारत रत्न ,,से सम्मानित करे __विनोद मेघ वानी

Vinod meghwani,,*,, लाल कुष्न आडवाणी जी को ,,,भारत रत्न से सम्मानित करे भारत सरकार ---विनोद मेघ वानी,,,,* 

पांच सौ साल से राम मंदिर अयोध्या मे बाबरी मस्जिद का अवैध कब्जा था उस ,,अवैध कब्जे को ,,ध्वस्त,, करने की पहल आडवाणी जी ने ,,रथ यात्रा,,से शुरू की,   ओर सनातन धर्म की रक्षा के लिए जेल गए । बीजेपी को फर्श से अर्श पर  स्व: अटल बाजपेई ओर आडवाणी जी थे ,,, स्व:अटल जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया अब आडवाणी जी को,,भारत रत्न से सम्मानित करे ।
✅अटल बिहारी वाजपेयी जी को भारत रत्न 27 मार्च 2015 को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के द्वारा उनके आवास पर दिया गया, यह पुरुस्कार उनको ऐसे समय दिया गया, जब वह किसी भी  प्रकार के सम्मान को नहीं पहचान सकते थे, उस समय उनके कक्ष को किसी भी संभावित विषाणुओं से मुक्त रखने के लिए सख्त नियम लागू थे, उनके पास केवल नर्सिंग स्टाफ को जाने की अनुमति प्रदान की गयी थी |

✅उस समय उनका स्वास्थ्य बहुत ही ख़राब था, जिस कारण किसी भी वीवीआईपी तक को वहां आने की इजाजत नहीं दी गयी थी, जिस कारण उस समय उनके किसी भी फोटो को सार्वजनिक नहीं किया जा सका था |


✅अटल बिहारी वाजपेयी के मीडिया सलाहकार रहे वरिष्ठ पत्रकार अशोक टंडन के अनुसार वाजपेयी जी को प्रधान मंत्री पद पर रहते हुए भारत रत्न से सम्मानित करने को कहा गया, जिसे वाजपेयी जी ने मना कर दिया, उन्होंने कहा कि “यह उचित नहीं लगता कि अपनी सरकार में खुद को ही सम्मानित किया जाए” | इससे पहले जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी नें प्रधानमंत्री रहते हुए स्वयं को भारत रत्न दिलवाया था |

✅उनके वरिष्ठ मंत्रियों ने योजना बनाई कि जब अटल बिहारी वाजपेयी जी किसी विदेश यात्रा पर जाएं तब उनकी अनुपस्थिति में भारत सरकार उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा करे, परन्तु वाजपेयी जी को इसकी जानकारी हो गयी | उन्होंने इसके लिए सख्त निर्देश देकर इसे मना कर दिया |

प्लीज़ शेयर ,,,,,,pmo,,,,,, एक खबर,,,

सोमवार, 10 जुलाई 2023

आडवाणी भारत में सबसे विन्रम सरल सहज राजनीतक नेता है ,,,

Vinod meghwani,,,आडवाणी जी सभी को हाथ जोड़कर नमस्ते करते
आडवाणी जी को सभी राजनीतिक दल के लोग पसन्द करते है ।ओर देश के सभी राज्यों की जनता भी उन्हें पसंद करती क्योंकि वो एक सहज ओर सरल राजनीतक है । हर किसी पे भोरोसा करना उनकी खासियत है अपनी सरलता ओर सहजता के कारण ही वो बीजेपी को फर्श से अर्श तक ले आए । पर उनकी सरलता के कारण मोदी जी ने श्रीफल देकर ओर शाल का सम्मान देकर ,,, राजनीती ,,,,विदा कर दिया,,,,,इस पर भी ,,उन्होंने ,,उफ़ तक नहीं की ओर बड़ी ही सहजता से राजनीति,,,,को अलविदा कह दिया,,,,, पर उनकी इस सरलता के कारण ही सिंधी समाज,,,,के पांव तले ,राजनीति की जमीन खिसक गई । ओर सिंधी समाज राजनीति में एक सदी पीछे हो गया। सिंधी प्रदेश ,, बन्नाने के लिए न मोदी जी आगे आये न राहुल जी ,,,सिंधी समाज कांग्रेस ,,,से मांग करता की गांधी जी ने सिंध दिया पाकिस्तान को ,,,अब राहुल जी,,,सिंधी प्रदेश बनाने की पहल करे । ओर मोदी जी ,,को आडवाणी जी ने राजनीति में अवसर दिया इसलिए ओर देश का प्रधानमंत्री होने के कारण ,,सिंध प्रदेश बनाने की पहल करे।वो ,,,भूली दास्नता फिर याद  आ गई ।  सिंध 1947 से पहले हिंदुस्तान का अभिन्न अंग था एक बेहद खुशहाल राज्य  जंहा मेरे पुवर्जो मेघा मल ,भगवान दास , राजा मल ,सचुमल ,बसरू मल ,टोक्यो मल ,, एईस अनगिनत नाम,,,जो मालगुजार थे । सेठ थे किसी कस्बे के चोधरी थे किसी हवेली के मालिक थे,,,,100/200/300 एकड़ जमीन के मालिक थे  । सिंध मे लाखों की संख्या मे सिंधी कोम थी । सिन्धी समुदाय कुछ नेताओं की ,,,आंखों की ,,किरकिरी,, बन चुके थे इसलिए उन नेताओ ने साजिश के तहत सिंध को पाकिस्तान बनाने की चाल चली । सिंध मे 1947 में 70से 80% जनसंख्या हिन्दू ओर सिखों की थी । हमारे बुजुर्गो से जमीन छीन ली गई उनके व्यापार छीन ली गई उनकी संपत्ति छीन ली गई सबसे दुखदाई ,,,बात तो ये ,,,लांखो की संख्या में सिंधी समुदाय के लोगों को ,, कत्ल ,, किया गया । उनके परिजनों के साथ कोई न्याय नहीं हुआ । हमारे कुछ सवाल है इन नेताओ से अगर इनके पास कोई जवाब हो तो दे।

1-- नेहरू ओर गांधी ने देश का बटवारा किसके कहने  पर किया ।

2-- गांधी ने विभाजन के बाद 1947 मे170लाख रूपए अनशन करके पाकिस्तान को दिलाए ।तो फिर विभाजन के बाद,,, विस्ताथपित हुए सिंधी समुदाय के लिए ,,,प्रदेश,,क्यो नही बनाया । अन्य विस्थापित हुए समुदाय को ,,नया प्रदेश मिल गया । सिन्धी समुदाय को राजनीति से दूर रखने के लिए उनका राज्य नहीं बनाया गया । क्योंकि नेहरू ओर गांधी जानते थे कि सिंधी समुदाय को जन्मजात से वितिय अर्थ्यवस्थाओं को सभालाने मे सक्षम है। ओर सिंधी समुदाय अनुवाशिंक रूप से तेज बुद्धिमान होते है । इसलिए उनको राजनीति से दूर रखा गया ओर आज भी कोई भी पार्टी,,,, न  ,,,सिंधी प्रदेश,,,बनाने के लिए आगे आती है ओर नहीं ही सिंधी समुदाय को राजनीति मे आगे बड़ने देती है

बुधवार, 5 जुलाई 2023

चुनाव के नजदीक आते ही राइस मिलो मे छापे पड़ना शुरू,,,,,

Vinod meghwani

,,,छतिस गड मे  राइस मिलो मे छापे ,,,,लगना शुरू ,,,सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार,,,,सभी जिलों मे,,,रायपुर ,दुर्ग ,राज नंदगांव ,तिल्दा, मे राइस मिल ओर उनके घरों में ,,,छापे ,,,पड़ने की संभावना है,,, हिट लिस्ट बनाई गई है सूत्रों के अनुसार,,,,

चुनाव के नजदीक आते है व्यापारियों की नींद उड़ जाती है । क्योंकि हर राइस मिलर को चुनाव मे अघोषित चंदा देना ही पड़ता है सभी राष्टीय पार्टियों को।वैसे भी राइस मिलर ओर अधिकारियों की सांठ गांठ रहती । , 90लाख का धान जब्त मां राईस इण्डस्ट्रीज , मदनपुर में पहुंची खाद्य विभाग की • टीम , जांच में मिली गड़बड़ी   जिले के राइस मिलर समय पर कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं कर रहे है । ऐसे राइस मिल संचालकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है । इसी क्रम में खाद्य विभाग की टीम ने मॉ राईस इण्डस्ट्रीज , मदनपुर में छापामार कार्रवाई की । वहां के रिकार्ड में मिलान करने पर अनियमितता पाई गई । साथ ही मिल में 620 क्विंटल धान कम पाया गया । वहां रखा 90लाख रूपए कीमत का चौतीस सौ क्विंटल धान जब्त भी किया गया ।



 कलेक्टर के निर्देशानुसार जिले में कस्टम मिलिंग चावल समयावधि में जमा नहीं किए जाने के कारण खांद्य निरीक्षक बिल्हा उत्तर द्वारा राइस मिलर्स पर कार्यवाही की गई खाद्य निरीक्षक द्वारा मां राइस इण्डस्ट्रीज मदनपुर विकासखण्ड बिल्हा की जांच की गई । जांच में मिलर द्वारा आवश्यक पंजियों का संधारण नहीं किया जाना पाया गया । राईस मिल के भौतिक सत्यापन में उसके द्वारा उठाव किए गए धान भारतीय खाद्य निगम एवं नागरिक आपूर्ति निगम में जमा किए गए चावल एवं राइस मिल में उपलब्ध धान का मिलान किए जाने पर राइस मिल में 620 क्विंटल धान कम पाया गया । उपरोक्त अनियमितता पाए जाने के कारण राइस मिल में प्राप्त 4400 क्विंटल धान , जिसका समर्थन मूल्य अनुसार कीमत 90 लाख रुपए है , जब्त किया गया । छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग चावल उपार्जन आदेश 2016 के तहत प्रकरण निर्मित किया गया है । शासन द्वारा निर्धारित समय सीमा में कस्टम मिलिंग का चावल जमा नहीं करने वाले राइस मिलरों पर उक्त कार्यवाही जारी रहेगी

रविवार, 2 जुलाई 2023

अगर U C C कानून देश में लागू हो गया गया तो ,, विपक्ष की भेस गई पानी में

Vinod meghwani एक खबर (Vinod meghwani )

आप समान नागरिक संहिता पर 22 वे विधि आयोग को इस पर सुझाव भेज सकते है,,,,,http://legalaffairs.gov.in/law_commission/ucc/22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता और धार्मिक संगठनों से राय मांगी है. ऐसे में जानते हैं कि समान

नागरिक संहिता लागू करने में क्या-क्या चुनौतियां हो सकती है 
समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने सुझाव मांगे हैं. (समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग ने सुझाव मांगे हैं. 


अयोध्या में राम मंदिर बन रहा है. कश्मीर से धारा 370 भी हट चुकी है. तो क्या अब बीजेपी समान नागरिक संहिता लागू करने का अपना तीसरा वादा पूरा करने की तैयारी में जुट गई है. 

दरअसल, 22वें विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता पर आम जनता से विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आयोग ने जनता, सार्वजनिक संस्थान और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों से एक महीने में इस मुद्दे पर राय मांगी है.

इससे पहले मार्च 2018 में 21वें विधि आयोग ने विचार-विमर्श के बाद दी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि फिलहाल देश को समान नागरिक संहिता की जरूरत नहीं है. लेकिन पारिवारिक कानून यानी फैमिली लॉ में सुधार की सिफारिश जरूर की थी.

तलाक-ए-हसन की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. 
तलाक-ए-हसन सही या गलत? सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई... जानें तीन तलाक से कितना अलग है ये  
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2022 में फैसला सुरक्षित रख लिया था.।
चट मंगनी, पट ब्याह की तरह अब 'झट तलाक' भी मुमकिन, SC के फैसले के क्या मायने? 
सरकारी सर्वे के मुताबिक, 10 फीसदी महिलाएं पति के साथ मारपीट कर चुकी हैं. 
घरेलू हिंसा कानून में सिर्फ महिलाओं को प्रोटेक्शन... पुरुष कहां जाएं? जानें कानूनी उपाय 
भारत में सहमति से सेक्स की उम्र 18 साल है. 
18 या 16 साल... सहमति से सेक्स भी कब बन जाता है अपराध? उम्र घटाने पर क्यों है बहस 
21वें विधि आयोग की रिपोर्ट के पांच साल बाद 22वें विधि आयोग ने विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है. आयोग ने नोटिफिकेशन जारी समान नागरिक संहिता पर बड़े पैमाने पर जनता और मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों से राय मांगी है.

कैसे दे सकते हैं अपनी राय?

- विधि आयोग ने अपनी राय देने के लिए 30 दिन का समय दिया है. अपने सुझाव या राय देने की आखिरी तारीख 14 जुलाई है. 


- अपनी राय तीन तरह से दे सकते हैं. पहला- विधि आयोग की वेबसाइट के जरिए. दूसरा- ईमेल के जरिए. और तीसरा- पोस्ट के जरिए.

- ऑनलाइन सुझाव legalaffairs.gov.in/law_commission/ucc/ पर जाकर दे सकते हैं. यहां एक पेज खुलेगा. इसमें अपनी सारी डिटेल भरकर तीन हजार शब्दों में अपने सुझाव या राय दे सकते हैं.

- इसके अलावा आप चाहें तो अपनी राय या सुझाव को membersecretary-lci@gov.in पर ईमेल भी कर सकते हैं.

- तीसरा तरीका ये है कि आप अपने सुझाव या राय लिखें और पोस्ट के जरिए विधि आयोग तक भेज दें. इसका पता है- मेंबर सेक्रेटरी, लॉ कमिशन ऑफ इंडिया, चौथा फ्लोर, लोकनायक भवन, खान मार्केट, नई दिल्ली- 110003.

- 14 जुलाई तक राय और सुझाव आने के बाद विधि आयोग कुछ लोगों या फिर संगठनों के प्रतिनिधियों को भी चर्चा के लिए बुला सकता है.

समान नागरिक संहिता क्यों अहम है?

- समान नागरिक संहिता भारत में हमेशा से एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है. संविधान में इसे नीति निदेशक तत्व में शामिल किया गया है.

- संविधान के अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है. अनुच्छेद 44 उत्तराधिकार, संपत्ति अधिकार, शादी, तलाक और बच्चे की कस्टडी के बारे में समान कानून की अवधारणा पर आधारित है. 


- समान नागरिक संहिता को सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में 1998 और 2019 में भी शामिल किया था. नवंबर 2019 में बीजेपी सांसद नारायण लाल पंछारिया ने संसद में इस पर प्रस्ताव दिया था. हालांकि, विपक्षी सांसदों के विरोध के बाद प्रस्ताव को वापस ले लिया गया था.

- दूसरी बार मार्च 2020 में बीजेपी से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीना इस पर बिल लेकर आए थे. हालांकि, इस बिल को संसद में पेश नहीं किया गया. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट में भी इसे लेकर कई याचिकाएं दायर हैं.

- 2018 में विधि आयोग ने अपने कंसल्टेशन पेपर में लिखा था, 'भारत में अलग-अलग पारिवारिक कानूनों में कुछ ऐसी प्रथाएं हैं, जो महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करती हैं, जिनमें सुधार करने की जरूरत है.'

जब अदालतों ने की टिप्पणी

- 1985 में शाहबानो के मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'संसद को एक समान नागरिक संहिता की रूपरेखा बनानी चाहिए, क्योंकि ये एक ऐसा साधन है जिससे कानून के समक्ष समान सद्भाव और समानता की सुविधा देता है.'


- 2015 में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ईसाई कानून के तहत ईसाई महिलाओं को अपने बच्चे का 'नैचुरल गार्जियन' नहीं माना जा सकता, जबकि अविवाहित हिंदू महिला को बच्चे का 'नैचुरल गार्जियन' माना जाता है. उस समय सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि समान नागरिक संहिता एक संवैधानिक जरूरत है.

- 2020 में लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन की व्याख्या की थी. अदालत ने ऐतिहासिक फैसले में बेटियों को भी बेटों की तरह पैतृक संपत्ति में समान हिस्सेदार माना था. दरअसल 2005 में हिंदू उत्तराधिकार कानून,1956 में संशोधन किया गया था. इसके तहत पैतृक संपत्ति में बेटियों को बराबरी का हिस्सा देने की बात कही गई थी.

- 2021 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कहा था कि संसद को समान पारिवारिक कानून लाने पर विचार करना चाहिए, ताकि लोग अलग-अलग कानूनी बाधाओं का सामना किए बगैर स्वतंत्र रूप से मिल-जुलकर रह सकें. 


समान नागरिक संहिता मतलब क्या?

- समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून. अभी शादी, तलाक और संपत्तियों से जुड़े सभी धर्मों के अलग-अलग कानून हैं. जैसे- हिंदुओं के लिए हिंदू पर्सनल लॉ. मुस्लिमों के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ.


- अगस्त 2018 में 21वें विधि आयोग ने अपने कंसल्टेशन पेपर में लिखा था, 'इस बात को ध्यान में रखना होगा कि इससे हमारी विविधता के साथ कोई समझौता न हो और कहीं ये हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरे का कारण न बन जाए.'

- समान नागरिक संहिता का प्रभावी अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को सुव्यवस्थित करना होगा. 21वें विधि आयोग ने कहा था कि इसके लिए देशभर में संस्कृति और धर्म के अलग-अलग पहलुओं पर गौर करने की जरूरत होगी. 

ऐसा करने में क्या-क्या चुनौतियां हैं?

- आजादी के 75 साल में एक समान नागरिक संहिता और पर्सनल लॉ में सुधारों की मांग होती रही है, लेकिन धार्मिक संगठनों और राजनीतिक नेतृत्व में एकराय नहीं बन पाने के कारण ऐसा अब तक नहीं हो सका है. यहां तक कि अभी भी सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं.

- मुस्लिम महिलाओं की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हैं. इनमें इस्लामिक कानून की प्रथाएं- तलाक-ए-बैन (तुरंत तलाक), मुता (कॉन्ट्रैक्ट मैरिज), निकाह हलाला की वैधता को चुनौती दी गई हैं.


- सिखों की शादियां आनंद मैरिज एक्ट 1909 के दायरे में आती हैं. लेकिन इस कानून में तलाक का कोई प्रावधान नहीं है. लिहाजा सिखों में तलाक हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होता है.

- अलग-अलग धर्मों में गोद लेने के कानून भी अलग-अलग हैं. उदाहरण के लिए, पारसियों में गोद ली गई बेटी को कोई अधिकार नहीं है, जबकि गोद लिए बेटे को अपने पिता के अंतिम संस्कार का अधिकार है. हालांकि, संपत्ति में दत्तक बेटे का भी अधिकार नहीं होता. 

- यहां तक की नाबालिग बच्चे की गार्जियनशिप और उत्तराधिकार को लेकर भी अलग-अलग धर्मों के अपने कानून हैं. सुप्रीम कोर्ट में मृत पुरुषों और मृत महिलाओं के उत्तराधिकारियों के बीच भेदभाव को दूर करने के लिए हिंदू उत्तराधिकार कानून में बदलाव की मांग को लेकर याचिका दायर है.

- 1985 में विधि आयोग ने 110वीं रिपोर्ट में उत्तराधिकारियों की परिभाषा में बदलाव की सिफारिश की थी. रिपोर्ट में नाजायज बच्चों को भी उत्तराधिकारी बनाने की सिफारिश की गई थी. लेकिन इसका जमकर विरोध हुआ था.


- इसी तरह 174वीं रिपोर्ट में विधि आयोग ने पैतृक संपत्ति में महिलाओं को भी बराबर अधिकार की सिफारिश की थी. इसे लेकर 2005 में हिंदू उत्तराधिकारी कानून में संशोधन भी किया गया था. लेकिन 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ही ये साफ हो पाया था कि जिन महिलाओं के पिता की मौत 2005 से पहले हो चुकी है, वो भी पैतृक संपत्ति में बराबर की भागीदार हैं.

- 2018 में विधि आयोग ने एक ही धर्म के भीतर मौजूद अलग-अलग प्रथाओं का भी जिक्र किया था. उदाहरण के लिए, मेघालय में कुछ जनजातियां 'मातृसत्तात्मक' हैं और वहां पैतृक संपत्ति पर सबसे छोटी बेटी का अधिकार है. वहीं, गैरो जनजाति में दामाद अपनी पत्नी के माता-पिता के साथ रहता है. इसी तरह नागा जनजातियों में महिलाओं को अपने समुदाय से बाहर शादी करने और पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं है. 

- इससे पहले 1984 में विधि आयोग ने तलाक के बाद हिंदू महिलाओं के रखरखाव से जुड़े कानून में बदलाव की सिफारिश की थी. 1983 में ईसाई महिलाओं में तलाक के आधारों में बदलाव की सिफारिश भी की थी. इससे भी पहले 1960 में विधि आयोग ने ईसाइयों में शादी और तलाक से जुड़े कानूनों में सुधार की सिफारिश की थी. 

- 1961 में विधि आयोग ने अपनी 18वीं रिपोर्ट में पति या पत्नी में से किसी एक के धर्मांतरण करने पर तलाक का आधार मानने का सुझाव दिया था. इसी तरह 2009 में ये सिफारिश की थी कि अगर कोई व्यक्ति एक से ज्यादा शादी करने के लिए धर्मांतरण करने को अपराध के दायरे में लाया जाए. हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा था कि कुछ जनजातियों में बहुविवाह या बहुपति की भी अनुमति है जो संविधान के तहत संरक्षित है.

- 2017 में विधि आयोग ने 270वीं रिपोर्ट में शादियों के रजिस्ट्रेशन और शादी की कानूनी उम्र का मुद्दा उठाया था. इसमें कहा था कि बाल विवाह और सहमति से नाबालिग से संबंध बनाना रेप के दायरे में आता है, उसके बावजूद हिंदू कानून में 16 साल की लड़की और 18 साल के लड़के में शादी की इजाजत है, भले ही कानूनी रूप से ये 'शून्य' हो. इसी तरह मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत नाबालिगों की शादी की इजाजत है.

- इसके अलावा, बैंकिंग और टैक्स से जुड़े कानूनों में अविभाजित हिंदू परिवार को एक यूनिट माना गया है, जबकि बाकी धर्मों में ऐसा नहीं है.

क्या समाधान है इसका?

- 2018 में विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि समान नागरिक संहिता पर कोई आम सहमति नहीं होने के कारण पर्सनल लॉ में ही थोड़े सुधार करने की जरूरत है. 

- आयोग ने कहा था कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि पर्सनल लॉ की आड़ में मौलिक अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा है और इसे दूर करने के लिए कानूनों में बदलाव करना चाहिए.

बंद कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई

Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से  अंधी कमाई कितनी हे,,,?????