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स्वर्ग और नर्क यही है


Vinod meghwani,,,,एक खबर


स्वर्ग और नरग  यही हैं - संत लाल साईं,,,,


श्री झूलेलाल मंदिर झूलेलाल नगर चकरभाटा के संत लाल साई  जी का महा दिव्य सत्संग का आयोजन पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपिय
सभागृह जेल रोड रायपुर में  आयोजित किया गया

साईं  जी का भव्य स्वागत आतिशबाजी फूलों की वर्षा से वह आरती करके  किया गया
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान झूलेलाल जी के मूर्ति पर फूल माला पहनाकर वह दीप प्रज्वलित करके की गई
रायपुर उत्तर के वर्तमान विधायक कुलदीप जुनेजा पूर्व विधायक श्री चंद सुंदरानी प्रदेश कांग्रेश महिला मोर्चा की महासचिव राष्ट्रीय सिंधी समाज की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राधा राजपाल
पूज्य सिंधी छत्तीसगढ़ युवा विंग  के प्रदेश अध्यक्ष अमित चिमनानी
सामाजिक संस्था बढ़ते कदम एक पहल और
सिंधु सेवा मंच समाधान सिंधु सभा भारतीय सिंधु सभा महिला विंग  रायपुर की अध्यक्ष डिंपल शर्मा  छत्तीसगढ़ सिंधी पंचायत की  प्रदेश अध्यक्ष भावना कुकरेजा
सामाजिक संस्था  एक पहल और की महिला विंग की अध्यक्ष रोमा वाधवानी
समाजसेवी
इंदर डोडवानी
सुनील छतवानी  गुलाब मखीजा
महेश आहूजा एवं अन्य सामाजिक संस्थाओं व पूज्य सिंधी पंचायत के अध्यक्ष पदाधिकारी जनों के द्वारा साईं जी का फूल माला पहनाकर स्वागत किया गया साई जी ने भी सभी को शाल पहनाकर  प्रसाद देकर सम्मान किया व  आशीर्वाद दिया
स्वागत सत्कार के बाद सत्संग की शुरुआत बाबा गुरमुखदास सेवा समिति रायगढ़ के सदस्य हेमू के द्वारा भक्ति भरे भजन से की गई
अब वह घड़ी भी आ गई जिसका था सबको था इंतजार की कब  साई जी  की अमृतवाणी हमें सुनने को मिलेगी
इंतजार  समाप्त हुआ 
साईं जी ने अपनी  अमृतवाणी में
कई कथा सुनाई जिसमें  एक प्रमुख ज्ञानवर्धक कथा है
एक गांव में माला नाम की औरत रहती थी और उसकी एक सखी थी ममता वह औरत वैश्या थी गलत कार्य करके अपना जीवन यापन कर थी समाज के नजरों में वह जो कार्य करती थी गलत था लेकिन उसका कहना था कि यह मेरा धंधा है मेरा पेट इसी से चलता है तो वह उसे सही मानती थी पर एक दिन किसी संत के द्वारा सत्संग में कही गई दो बातें उसको दिल में लग गई उसने सारे गलत कार्य छोड़ के भगवान की शरण में पहुंची ओर  भक्ति पूजा करने लगी सिमरन करने लगी जो मिलता था उसे खा कर अपना जीवन यापन करने लगी 
अब वह जोगन बन गई थी और उसका नाम अब दूर-दूर तक फैल गया था उस गांव से एक साधु गुजर रहा था तो उसे पता चला कि औरत बड़ी दयालु है  व साध्वी है
वह साधु उससे घर पहुंचा और कहां हे  साध्वी हम बड़े दूर से आए हैं और बड़ी दूर जाना है आज का भोजन हम आपके यहां करना चाहते हैं तो वह साध्वी माला बड़ी प्रसन्न हुई बोली क्यों नहीं महाराज आप की  सेवा कर के हमें भी पुण्य मिलेगा उसे आदर सहित अंदर बुलाया उसके लिए मिष्ठान अच्छा भोजन बनाकर परोसा जैसे ही साधु भोजन करने लगा बाहर से राम नाम सत्य है कि आवाज आने लगी साध्वी ने अपनी सेवादार  माधुरी को कहा बाहर जाकर देखो जो व्यक्ति की अंतिम यात्रा जा रही है वह स्वर्ग में गया है या नर्क में बाहर जाकर देखो बाहर  आकर देखा और साध्वी को बताया कि वह नर्ग में गया है थोड़े से समय के बाद फिर से आवाज आई राम नाम सत्य है साध्वी ने फिर से कहा अपनी सेवादारनी को जाकर देखो यह स्वर्ग में गया कि नर्क में गया सेवादर्णी बाहर गई   और देखकर वापस अंदर आकर बताया कि यह जो मर गया है इसकी अंतिम यात्रा जा रही है  व स्वर्ग में गया साधु खाना खा रहा था साध्वी की बातें सुनकर हैरान हो गया उससे रहा नहीं गया उसने साध्वी से पूछा कि मैं भगवान के बहुत तपस्या किया हूं कई  सालों से मैं वैराग्य जीवन यापन कर रहा हूं प्रभु की शरण में दिन-रात लगा रहता हूं लेकिन फिर भी मुझे इतना ज्ञान नहीं है तुम्हें इतना ज्ञान कैसे हो गया और तुम्हें कैसे पता चला कि यह व्यक्ति जो मर गया है स्वर्ग में गया और वह नरक में गया और वह तुमसे ज्यादा तुम्हारी जो सेवादार नी   है उसको कैसे पता चल गया साध्वी ने साधु के सवाल का जवाब दिया
जब कोई स्वर्ग में जाता है तब उस व्यक्ति को लोग बहुत याद करते हैं उसके अच्छे कार्यों को याद करते हैं और उसके अच्छे किए गए कर्मों को याद करते हैं वह जब वह मर जाता है तो उसकी अंतिम यात्रा में हजारों की संख्या में लोग पीछे पीछे जाते हैं और जो व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी अच्छा कार्य न किया हो हमेशा बुरे कार्य किया हो वह व्यक्ति नरक में जाता है और उसकी अंतिम यात्रा में उसके परिवार के भी गिने-चुने लोग शामिल होते हैं बाकी कोई नहीं जाता है और दोनों यहीं फर्क है आपके अच्छे कर्मों का फल यही मिलेगा और आपके बुरे कर्मों का फल भी यही मिलेगा इंसान अपने साथ लेकर कुछ जाएगा 
साईं जी के द्वारा घाघर    की महिमा बताई गई श्री झूलेलाल चालिहा महोत्सव साल में दो बार मनाया जाता है एक सावन  के महा में दूसरा दिवाली के बाद जो चंद्र  आता है उसके बाद मनाया जाता है तथा यह  सिंध  से चली आ रही है क्योंकि सिंध में भी अप्पर ओर लोअर 2 स्थान हैं ज्यादा  एक जगह जयेदा  गर्मी पड़ती है दूसरे स्थान पर गर्मी कम पड़ती है जहां गर्मी कम पड़ती है वहां पर सावन के माह में चालि हा उत्सव मनाया जाता है वह जहां गर्मी ज्यादा पड़ती है वहां पर दिवाली के बाद जो चंद्र  आता है उसके बाद चालिहा  ऊसत्व  मनाया जाता है जैसे साल में दो नवरात्रि होती है दोनों का महात्व   बराबर होता है उसी तरह यह चालीहा  का भी महत्व बराबर है
इस 40 दिनों में भगवान की पूजा अर्चना करने से उपवास रखने से सिमरन करने से तन और मन दोनों को शांति मिलती है वह कई दुखों का अंत होता है कई फल की प्राप्ति भी होती है इसलिए सभी को चालिहा  का उपवास रखना चाहिए यहां जो नहीं रख पाते हैं आखरी के 5 दिन कम से कम भगवान झूलेलाल के नाम पूजा अर्चना करें सिमरन करें
सत्संग में लाल  साईं जी व वरुण साइं  के द्वारा कई भक्ति भरे भजन गाय गए

चालिहा  आया है भगवान झूलेलाल का 

जय को खट्टी आयो  खेड़ सा  हो जमालो

भगवान झूलेलाल का मेला लगता ही रहेगा


पैसा कोड़ी तुमने बहुत कमाया पर झूलेलाल को तुमने भुला दिया


जिसको पैसे से है प्यार वह दुकान में बैठे जिसको घर से है प्यार वह घर में बैठे जिसको भगवान झूलेलाल से है प्यार व श्री झूलेलाल  मंदिर चकरभाटा आए


सारी दुनिया में चमकता  रहे भगवान झूलेलाल 

भारत का बच्चा-बच्चा बोलेगा  जय जय झूलेलाल

मैं बनके कबूतर उड़ के आया भगवान झूलेलाल के दर पर

ऐसे कई भजन गाए जिसे सुनकर भक्तजन झूम उठे नाचने लगे
इस अवसर पर पत्रकार फोटोग्राफर विजय गोविंद दुसेजा माचिस मीडिया के संपादक राकेश डेंगवानी  सिंधु यूथ  के संपादक देव आनंद शर्मा डिंपल शर्मा का संत लाल साई जी के द्वारा शाल ओढ़ाकर  सम्मान किया गया रायपुर की सामाजिक संस्था सेवा एक पहल  और की तरफ से भी विजय दुसेजा का शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया
कार्यक्रम के आखिर में आरती की गई अरदास की गई विश्व कल्याण के लिए पल्लो पाया गया प्रसाद वितरण किया गया
एवं भंडारे का आयोजन किया गया बड़ी संख्या में भक्तजनों ने भंडारा ग्रहण किया वह अपनी आत्मा व शरीर को तृप्त किया 
इस दिवस सत्संग में शामिल होने के लिए भक्तजन रायपुर बिलासपुर चकरभाटा तिल्दा भाटापारा रायगढ़ दुर्ग भिलाई राजनंदगांव से आए थे
इस सत्संग का प्रसारण 4 दिसंबर
रात्रि 10:30 बजे
  संस्कार चैनल में दिखाया जाएगा ताकि जो भक्तजन सत्संग में नहीं आ पाए या दूर बैठे हैं गांव में बैठे हैं वह सत्संग सुनकर चालीहा उत्सव अपने अपने शहर में व घरों में मना  सके घाघर   अपने घर में विराजमान कर सके
इस पूरे सत्संग समारोह को सफल बनाने में बाबा गुरमुखदास सेवा समिति के सभी सदस्यों का विशेष योगदान रहा
भवदीय 
विजय दुसेजा

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