क्या है Metaverse
साल 1992 में साइंस फिक्शन लेखक नील स्टीफेन्सन ने एक उपन्यास लिखा था, जिसका नाम था 'स्नो क्रैश'. इस उपन्यास में पहली बार 'मेटावर्स' नाम का जिक्र था. उपन्यास में लेखक ने इंटरनेट की ऐसी दुनिया की कल्पना की थी, जिसमें इंसान घर बैठा रहे लेकिन उसकी थ्री डी इमेज दुनिया में कहीं भी पहुंच जाए. मतलब एक असल दुनिया के साथ ही एक वर्चुअल दुनिया भी होगी जिसमें आप घर बैठे-बैठे दुनिया में कहीं भी पहुंच सकते हैं.
गौरतलब है कि क्रिप्टो करेंसी का भी पहले एक नोवेल में ही जिक्र किया गया था. आज तकनीक के तेजी से विकास से क्रिप्टो करेंसी एक हकीकत बन चुकी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में मेटावर्स भी एक हकीकत होगा.
10 हजार लोगों की होगी भर्ती
जुकेरबर्ग मेटावर्स को हकीकत बनाने के लिए बड़ा निवेश कर रहे हैं. इसके तहत जुकेरबर्ग यूरोपीय यूनियन से 10 हजार तकनीकी एक्सपर्ट को नौकरी देंगे और 50 मिलियन डॉलर की रकम भी खर्च करेंगे.
कैसी होगी मेटावर्स की दुनिया?
मेटावर्स की दुनिया को एक आसान से उदाहरण से ऐसे समझा जा सकता है कि अगर किसी व्यक्ति की शादी होती है तो आज के समय में लोग एक जगह इकट्ठा होते हैं लेकिन मेटावर्स के आ जाने से ये होगा कि दूल्हा-दुल्हन भी शायद अपने घर पर रहें और बाकी मेहमान भी. बस सब वर्चुअल तरीके से अपनी-अपनी इमेज के जरिए इकट्ठा हो जाएं और आपस में 3डी इमेज के जरिए बात करें और अन्य रस्म रिवाज करें.