किसान और आत्महत्या
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एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2019 (सितंबर, 2020 में जारी)
एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2018
एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2017 (जनवरी, 2020 में जारी)
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो द्वारा रिपोर्ट एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया 2016
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की नई रिपोर्ट एक्सीडेन्टल डेथ्स् एंड स्यूसाइड इन इंडिया(2015) के कुछ प्रमुख तथ्य
एक्सीडेंटल डेथ्स एंड स्यूसाइड इन इंडिया 2014
एक्सीडेंटल डेथ एंड स्यूसाइड इन इंडिया-2013
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित एक्सीडेंटल डेथ एंड स्यूसाइड इन इंडिया-2012 नामक दस्तावेज
फार्मस् स्यूसाइड- फैक्ट एंड पॉसिबल प़लिसी इन्टरवेंशनस्(२००६)
फार्मस् स्यूसाइड इन इंडिया - एग्ररेरियन क्राइसिस, पाथ ऑव डेवलपमेंट एंड पॉलिटिक्स इन कर्नाटक
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खास बात
• राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 1996 में 15.6% , साल 2002 में 16.3% साल 2006 में 14.4% , साल 2009 में 13.7% तथा साल 2010 में 11.9% तथा साल 2011 में 10.3% रहा है। #
• राष्ट्रीय स्तर पर हुई कुल आत्महत्याओं में किसान-आत्महत्याओं का प्रतिशत साल 2014 में 9.4%,साल 2015 में 9.43%, साल 2016 में 8.7%, साल 2017 में 8.2%, साल 2018 में 7.69% रहा है।
• 2018 में किसानों द्वारा आत्महत्या करने की सबसे अधिक रिपोर्टें महाराष्ट्र (2239 किसानों द्वारा की गई आत्महत्या का लगभग 38.85 प्रतिशत) हैं, उसके बाद कर्नाटक (1,365), तेलंगाना (900), मध्य प्रदेश (303) और आंध्र प्रदेश (365) में दर्ज की गईं।
• 2017 में महाराष्ट्र में सबसे अधिक कृषि आत्महत्याएं (किसानों के साथ-साथ कृषि मजदूरों की कुल आत्महत्याएं) दर्ज की गईं (3,701, जो कुल कृषि आत्महत्याओं का लगभग 34.73 प्रतिशत है.), इसके बाद कर्नाटक (2,160), मध्य प्रदेश (955), तेलंगाना (851) और आंध्र प्रदेश (816) में दर्ज किया गया।
•2016 में सबसे अधिक कृषि आत्महत्याएं (किसानों के साथ-साथ खेतिहर मजदूरों द्वारा की गई आत्महत्या) महाराष्ट्र (3,661), कर्नाटक (2,079), मध्य प्रदेश (1,321), आंध्र प्रदेश (804) और छत्तीसगढ़ (682) में दर्ज की गईं।
• साल 2015 में पुरुष किसानों की आत्महत्या की सबसे बड़ी वजह रही कर्जदारी. कर्जदारी के कारण 2978 पुरुष किसानों ने आत्महत्या की. पुरुष किसानों की आत्महत्या की दूसरी बड़ी वजह रही खेती-बाड़ी से जुड़े मामले. खेती-बाड़ी से जुड़ी परेशानियों के कारण 1494 किसानों ने आत्महत्या की।
• साल 2014 में आत्महत्या करने वाले किसानों में पुरुषों की संख्या 5,178 और स्त्रियों की संख्या 472 है। प्रतिशत पैमाने पर यह साल 2014 में हुई कुल किसान आत्महत्याओं का क्रमश 91.6% तथा 8.4% प्रतिशत है।
• साल 2011 में जितने लोगों ने भारत में आत्महत्या की उसमें, 18.1 फीसद तादाद गृहणियों की थी। किसानों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में 10.3 फीसदी थी जबकि सरकारी नौकरी करने वालों की तादाद आत्महत्या करने वाले कुल लोगों में 1.2 फीसदी, प्राईवेट नौकरी करने वालों की 8.2 फीसदी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में काम करने वालों की 2.0 फीसदी, छात्रों की 5.7 फीसदी, ब्रेरोजगार लोगों की 7.7 फीसदी तथा वणिज-व्यवसाय के क्षेत्र में स्व-रोजगार में लगे लोगों की संख्या आत्महत्या करने वाले कुल लोगों की तादाद में 5.3 फीसदी थी तो स्वरोजगार में लगे पेशेवर लोगों की संख्या 3.1 फीसदी जबकि इससे भिन्न किसी अन्य तरह के काम को स्वरोजगार के तौर पर अपनाने वाले लोगों की तादाद 19.5 फीसदी। #
• साल 2011 में स्वरोजगार में लगे कुल 51901 लोगों ने आत्महत्या की। इसमें किसानों की संख्या 14027 यानी 27.03 फीसदी है।#
• साल 1997 - 2006 यानी दस सालों की अवधि में भारत में 1,66,304 किसानों ने आत्महत्या की।*
• साल 1997 - 2006 के बीच किसानों की आत्महत्या में सालाना 2.5 फीसद चक्रवृद्धि दर से बढ़त हुई।*
• आत्महत्या करने वाले किसानों में ज्यादातर नकदी फसल की खेती करने वाले थे, मिसाल के लिए कपास(महाराष्ट्र), सूरजमुखी,मूंगफली और गन्ना(खासकर कर्नाटक में)।**
• सबसे बड़ी वजह सेहत की खराब दशा, संपत्ति को लेकर पारिवारिक विवाद, घरेलू कलह और बेटी को ब्याहने की गहन सामाजिक जिम्मेदारी सहित शराब की लत ने किसानों को कर्ज ना चुकता कर पाने की स्थिति में आत्महत्या की तरफ ढकेला।**
• जिन स्रोतों से किसानों ने कर्ज लिया उनमें महाजन एक प्रमुख स्रोत रहे। २९ फीसदी कर्जदार किसानों ने महाजनों से कर्ज हासिल किया। ***.
# National Crime Records Bureau, http://ncrb.nic.in/
http://ncrb.nic.in/CD-ADSI2011/table-2.11.pdf
http://ncrb.nic.in/ADSI2010/table-2.11.pdf
http://ncrb.nic.in/CD-ADSI2009/table-2.11.pdf
http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI2006/Table-2.11.pdf
http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI2002/atable%202.11.pdf
http://ncrb.nic.in/adsi/data/ADSI1996/table-5s.pdf
** डाक्टर रिताम्बरा हेब्बार(२००७): ह्यूमन सिक्यूरिटी एंड द केस ऑव फार्मस् स्यूसाइड इन इंडिया-ऐन एक्सपोलोरेशन http://humansecurityconf.polsci.chula.ac.th/Documents/Pres
entations/Ritambhara.pdf
*** सीपी चंद्रशेखर, जयति घोष (2005):द बर्डेन ऑव फार्मर्स डेट, माइक्रोस्केन
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