गुरुवार, 3 जून 2021

सुहिणी सोच संस्था की सिन्धी समाज की महिलाएँ समाज में जागरूकता ला रही है - किरणमयी नायक

 एक खबर रायपुर(  विनोद मेघवानी )

                           

“शारीरिक कष्ट ही नहीं वरन मानसिक प्रताड़ना को भी घरेलू हिंसा कीं परिभाषा में शामिल है”:- निधि बुधवानी 


“महिलाओं को अशासकीय कार्यालय में भी 26हफ़्तों का वेतन सहित प्रसूति अवकाश पाने का हक़ है”:- निधि बुधवनी


“सुहिणी सोच की  महिलाएं समाज में जागरूकता के लिए अच्छा प्रयास कर रही हैं”:-डॉ किरणमयी नायक


“महिलाओं को अपने पति की संपतियो में हक़ पाने के साथ अपने पिता की सम्पतियो में भी हक़ पाने का अधिकार है”:- मनीषा तारवानी 


सिंधी महिला सामाजिक संस्था   सुहिणी सोच की ओर से जूम मीटिंग द्वारा भारतीय कानून में महिलाओं की सुरक्षा एवं अधिकार विषय पर वेबिनार आयोजित किया गया I कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति सजगता और जागरूकता पैदा करना है, ताकि वो विपरीत परिस्थितियों में अपने आपको कमजोर न समझे I  इस  कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में माननीय डॉ किरणमयी नायक (अध्यक्ष छत्तीसगढ राज्य महिला आयोग) तथा मुख्य वक्ता के रूप में एडवोकेट निधि बुधवानी जो कि महिला कानून की विशेष सलाहकार हैं, को आमंत्रित किया गया I सर्वप्रथम कार्यक्रम की जानकारी नीलिमा द्वारा दी गई, तदुपरांत शालिनी के द्वारा गायत्री मंत्र का उच्चारण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई, अध्यक्ष पायल जसवानी ने स्वागत भाषण देकर सुहिणी सोच का परिचय दिया I    संस्था की संस्थापक मनीषा तारवानी ने  कहा कि महिलाओं को कानून की जानकारी न होने के कारण शोषण का शिकार होती है, इसके विपरीत कुछ ऐसी भी महिलायें होती है जो इन अधिकारो का दुरुपयोग़ करती है  ऐसे में महिलाओं को कुछ ज़रूरी  क़ानून  मालूम होने चाहिए ताकि वो इनका सही उपयोग कर सके । आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी क़ि महिलाओं को अपने पति की संपतियो में हक़ पाने के साथ अपने पिता की सम्पतियो में भी हक़ पाने का अधिकार है ऐसी अनेक सारी बाते मुख्य वक्ता द्वारा बताई जाएँगी ।

मुख्य वक्ता एडवोकेट निधि बुधवानी जो कि पुणे से एलएलबी करने के बाद एलएलएम की डिग्री भी हासिल की, ने महिलाओं को प्रेरित किया कि वह कानून अपने लिए ही नहीं बल्कि समाज के हित के लिए भी जानें। उन्होंने स्त्रियों के लिए महत्वपूर्ण कानून के बारे में पीपीटी दिखाते हुए जानकारी  दी जैसे 

घरेलू हिंसा - "कलम की ताकत तलवार से कई गुना ज्यादा होती है"। आमतौर पर हमें यह लगता है कि घरेलू हिंसा शारीरिक होती है कानून के मुताबिक हिंसा में मानसिक प्रताड़ना भी शामिल है जी हां कई बार जो मानसिक हिंसा और दुर्व्यवहार से एक पीड़ित महिला को उसके दिल में ऐसे घाव लगते हैं जो उसे सालों साल भुलाए नहीं जाते मानसिक प्रताड़ना जैसे कि कड़वे ताने, बेइज्जत एवं पीड़ित महिला को जलील करना जैसे बच्चा न होने पर  बांझ कह कर उसे बार-बार जलील करना यह सब भी शामिल है इसके अलावा अधिवक्ता निधि जी ने यह भी बताया घरेलू हिंसा में यौनिक तथा आर्थिक हिंसा भी शामिल है उदाहरण के तौर पर अगर कोई व्यक्ति अपने घर की किसी महिला से उसका स्त्रीधन उसके मांगने पर भी उसे उससे वंचित रखे। इसलिए कानून में शेल्टर होम जैसे प्रावधान बनाए गए हैं जिसमें घरेलू हिंसा से बचने के लिए आश्रय हीन महिला इसका इस्तेमाल कर सकती है आपातकालीन स्थिति में जा सकती है। इसके अलावा सखी जैसी वन स्टॉप सेंटर योजना भी सरकार ने चालू की है जहां पर एक पीड़ित महिला का निशुल्क इलाज किया जाता है व कानूनी मदद भी प्रदान की जाती है, काउंसिलिंग भी की जाती है वह पीड़ित महिला, महिला आयोग में भी संपर्क कर सकती है अगर उसे पुलिस में जाने में हिचक है तो घरेलू हिंसा कानून के तहत उसे यह अधिकार प्राप्त है कि वह अपने बच्चों की कस्टडी तथा भरण पोषण भी न्यायालय से आग्रह कर सके l इसके अलावा  प्रसूति नवीन  प्रसुविधा अधिनियम (मेटरनिटी बेनिफिट )की धाराओं एवं प्रावधानों के बारे में बताया इस संसार को बढ़ाने में स्त्री का एक  महत्वपूर्ण किरदार होता है  यह देखा जाता था कि कामकाजी महिला जब गर्भ से होती थी तब उसे नौकरी  या काम से निकाल दिया जाता था यही नहीं,  उसे उसके नवजात शिशु के पालन पोषण के लिए अवकाश तथा वेतन नहीं मिलता था इसलिए मातृत्व का सम्मान बरकरार रखने हेतु सरकार ने कामकाजी महिलाओं के लिए कानून   बनाए हैं जिसमें उन्हें 26 हफ्तों तक की प्रसूति अवकाश मिलता है और तनख्वाह भी नहीं कटती। इसके अलावा महिलाओं के साथ कार्यस्थल पर हुए उत्पीड़न के खिलाफ अधिकार के बारे में बताया जिसमें यदि कोई महिला के साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न होता है तो वह उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा सकती है यह कानून महिलाओं को आगे बढ़ाने तथा एक सुरक्षित वातावरण में काम करने के लिए बनाया गया है। इसके साथ मजदूरी संहिता के अंतर्गत समान पारिश्रमिक अधिनियम ( इक्वल रैम्यूनरेशन )  जैसे भी कानून बनाए गए है, इसमें समान वेतन की मजदूरी की गई हो तो लिंग के आधार पर किसी के साथ भी भेदभाव नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा अधिवक्ता निधि जी ने पुश्तैनी संपत्ति पर एक घर की बेटी के अधिकार के बारे में भी बताया 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम  संशोधन में एक हिंदू अविभाजित परिवार में बेटियों को बेटों जितना अधिकार देने के लिए धारा 6 में  संशोधन किया गया था। वे पुश्तैनी संपत्ति   और देनदारी  को विरासत में लेने के बराबर  हकदार है। इसके अलावा कुटुंब न्यायालय के बारे में भी जानकारी दी जिसमें उन्होंने यह बताया कि न्यायालय में मध्यस्थता तथा काउंसलिंग जैसे प्रावधान भी होते है जिसके माध्यम से मसले सुलझाने का प्रयास किया जाता है, तलाक से पहले मध्यस्थता एवम काउंसलिंग  का सहारा लेकर पारिवारिक मसले सुलझाने का प्रयास किया जाता है । कुटुंब न्यायालय में सिर्फ तलाक ही नहीं होता बल्कि दूसरे मुकदमे चलते हैं जैसे कि भरण पोषण के मुकदमें आदि l

 निधि बुधवानी जी ने यह भी बताया कि किस तरह आधुनिक तकनीक से घर बैठे महिला जरूरत पड़ने पर ईमेल का सहारा लेकर  शिकायत  कर सकती हैl

इस तरह निर्धारित समय में अधिक से अधिक जानकारी देकर निधि जी ने महिलाओं को कानून के प्रति जागरुक किया।

 मुख्य अतिथि माननीय 

 डॉ किरणमयी नायक ने कहा कि सुहिणी सोच की  महिलाएं समाज में जागरूकता के लिए अच्छा प्रयास कर रही हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि वक्त पड़ने पर महिलाओं को अपने कानून के अधिकारों का उपयोग करना चाहिए साथ ही उन अधिकारों का दुरुपयोग न करने की भी सलाह दी।

 इस वेबिनार में विशेष अतिथि के रुप में श्रीचंद सुंदरानी जी एवम सीए चेतन तारवानी जी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन नीलम परथनी और महिमा लहोरी ने किया। इस वेबिनार में अलग अलग शहरों से कई लोग जुड़े। संगीता ने सभी का आभार व्यक्त किया । प्रेस विज्ञप्ति ज्योति बुधवानी ने किया। माही बुलानी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। वेबिनार में मुख्य रूप से साईं रामचंद वाधवा काजल लालवानी दिव्या खत्री सोनिया इसरनी आरती कोडवानी शालिनी अंजलि भाटिया अंजलि हिंदुजा भक्ति चेलानी दीक्षा बुधवानी डॉ. नीलम आहूजा एकता जेसवानी गीता गुरनानी गुंजन अग्रवाल जया तारवानी जूही दरयानी जानवी बुधवानी ज्योति कमलानी  कंचन जेसवानी क्रतिका बजाज करिश्मा कमलानी काव्या जसनानी खुसी सोनी लक्ष्मी बजाज चंचलानी मांशी लहोरी मीना पंजवानी मीत चगलानी मुस्कान लालवानी नेहा पंजवानी नेहा अशपालिया रेखा पंजवानी पलक कुकरेजा पल्लवी चिमनानी पूजा होतवानी पूनम बजाज प्राची सज़नानी प्रियंका मोटवानी राजकुमारी डिंगानी साक्षी खटवानी रेखा आहूजा सिया कुकरेजा सिमरन खुबचंदानी सोनम माधवानी सोनिया कुकरेजा विध्या गंगवानी तम्मना हंसपाल नेहा किंगरनी तरूना द्रिवेदी तथा बिलासपुर से विनीता भावननी सुनीता ज्योति डूसेजा इत्यादि सदस्यों ने सहभागिता दर्ज करवायी तथा निधि ने इनके प्रश्नों का भी उत्तर दिया । 


ज्योति बुधवानी 

प्रवक्ता 

सुहिणी सोच



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