शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2020

appy fizz जूस या बियर 10 रुपये में बंच्चो को नशे की लत लगाई जा रही है ,,,क्या

सावधान ,,,appy fizz,,जूस के नाम पर बियर,,,,स्वाद जैसा जूस बनाकर 10 रुपये में इंडिया के बंच्चो  को नशे की लत की आदत डाली जा रही है । सम्भन्धित अधिकारी ,,,विभाग  तुरन्त करवाई करे ,,,,,,,एक खबर,,,,,,,appy fizz: फ्रूटजूस नहीं, गैसवाला पानी है: सुप्रीम जनवरी 20 15 में कोर्ट ने फटकारा appy fizz
लगाई थी appy fizz: फ्रूटजूस नहीं, गैसवाला पानी है: सुप्रीम कोर्ट ने फटकार जनवरी  21/2015 में लगाई थी 
। लोग अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए जूस का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उनको मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां धोखा दे रही हैं। कंपनियां जो फ्रूट जूस बेचती हैं उसमें सिर्फ 13 फीसदी ही फ्रूट जूस की मात्रा होती है, बाकी पानी होता है जिसमें गैस भरी होती है।
इस तथ्य का खुलासा होने पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे एक मैन्युफैक्चरर को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने ठगी करने वाले मैन्युफैक्चर्रस को नसीहत दी कि लोगों को बेवकूफ समझना छोड़ दें और अपने फैसले में एयरेटेड वॉटर ड्रिंक (गैस भरा हुआ पानी) पर लगने वाला हेवी टैक्स ऐसी कंपनियों पर भी लगाने को कहा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रूट जूस के लिए टैक्स में जो छूट मिलती है वे कंपनियां उस लायक नहीं हैं।
न्यायालय ने मेसर्स ट्रेड लाइन्स द्वारा दाखिल की गई उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कंपनी ने अपने प्रॉडक्ट 'ऐपी फिज' पर फ्रूट जूस के लिए वैट में मिलनी वाली छूट देने का आग्रह किया था। ऐपी फिज को पार्ले ने मैन्युफैक्चर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टैक्स छूट का लाभ तब ही मिल सकता है जब ड्रिंक फ्रूट जूस हो न कि सिर्फ हवा भरे पानी के लिए जिमें सिर्फ फ्रूट फ्लेवर मिलाया गया हो।

चीफ जस्टिस एच.एल.दत्तू और जस्टिस ए.के.सिकरी व आर.के.अग्रवाल वाली बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील एस.के.बागरिया को फटकार लगाते हुए कहा, ''आप लोगों को फ्रूट जूस के नाम पर क्या देते हैं, सिर्फ हवा भरा हुआ पानी। ऊपर से आप दवा करते हैं कि इसे पीकर लोगों की ताकत बढ़ेगी।''

कोर्ट ने कहा, ''पहले अपने ड्रिंक में फ्रूट जूस की मात्रा बढ़ाएं फिर टैक्स छूट का दावा करें। आप लोगों को यह कहकर बेवकूफ बनाने रहे हैं कि इसे पीने से उनको एनर्जी मिलेगी।''

बेंच ने कहा कि केरल हाई कोर्ट समेत कई कोर्टों ने इस फैसले को बरकरार रखा है कि एयरेटेड वॉटर ड्रिंक पर 20 फीसदी टैक्स लगाया जाए न कि 12.5 फीसदी जो फ्रूट जूस पर चार्ज किया जाता है। बेंच ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।

याचिकाकर्ता 'ट्रेड लाइन्स' ने सुप्रीम कोर्ट में केरल हाई कोर्ट के 17 नवंबर के उस फैसले को चुनौती दी थी जिसमें इसे ऐपी फिज पर 20 फीसदी वैट टैक्स का भुगतान करने के लिए कहा गया था। ड्रिंक में कॉन्टेंट की जांच करने के बाद उच्च न्यायालय इस नतीजे पर पहुंचा था कि यह प्रॉडक्ट एयरेटेड वॉटर ड्रिंक्स की कैटिगरी में आता है न कि फ्रूट जूस। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था, ''यह प्रॉडक्ट एयरेटेड सॉफ्ट ड्रिंक है जिसमें फ्रूट जूस भी मिला हुआ है और इसमें फ्रूट जूस की मात्रा सिर्फ 12.7 फीसदी है। या इसे यूं कहें कि प्रॉडक्ट एयरेटेड सॉफ्ट ड्रिंक है जिसमें फ्रूट जूस का सिर्फ फ्लेवर मिलाया जाता है जो प्रॉडक्ट के कैरेक्टर को नहीं बदल सकता है।''

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