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सोमवार, 24 जून 2019
रविवार, 23 जून 2019
चीन से मोदी सरकार ,,,अपनी जमीन,,,कब वापस लेगी ,,,?
,विनोद मेघवानी एक खबर
चीनी सेना ने 20 अक्टूबर 1962 को लद्दाख में और मैकमोहन रेखा के पार एक साथ हमले शुरू किये। चीनी सेना दोनों मोर्चे में भारतीय बलों पर उन्नत साबित हुई और पश्चिमी क्षेत्र में चुशूल में रेजांग-ला एवं पूर्व में तवांग पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। चीन ने 20 नवम्बर 1962 को युद्ध विराम की घोषणा कर दी और साथ ही विवादित दो क्षेत्रों में से एक से अपनी वापसी की घोषणा भी की, हलाकिं अक्साई चिन से भारतीय पोस्ट और गश्ती दल हटा दिए गए थे, जो संघर्ष के अंत के बाद प्रत्यक्ष रूप से चीनी नियंत्रण में चला गया।
भारत-चीन युद्ध कठोर परिस्थितियों में हुई लड़ाई के लिए उल्लेखनीय है। इस युद्ध में ज्यादातर लड़ाई 4250 मीटर (14,000 फीट) से अधिक ऊंचाई पर लड़ी गयी। इस प्रकार की परिस्थिति ने दोनों पक्षों के लिए रसद और अन्य लोजिस्टिक समस्याएँ प्रस्तुत की। इस युद्ध में चीनी और भारतीय दोनों पक्ष द्वारा नौसेना या वायु सेना का उपयोग नहीं किया गया था।
स्थान
चीन और भारत के बीच एक लंबी सीमा है जो नेपाल और भूटान के द्वारा तीन अनुभागो में फैला हुआ है। यह सीमा हिमालय पर्वतों से लगी हुई है जो बर्मा एवं तत्कालीन पश्चिमी पाकिस्तान (आधुनिक पाकिस्तान) तक फैली है। इस सीमा पर कई विवादित क्षेत्र अवस्थित हैं। पश्चिमी छोर में अक्साई चिन क्षेत्र है जो स्विट्जरलैंड के आकार का है। यह क्षेत्र चीनी स्वायत्त क्षेत्र झिंजियांग और
तिब्बत (जिसे चीन ने 1965 में एक स्वायत्त क्षेत्र घोषित किया) के बीच स्थित है। पूर्वी सीमा पर बर्मा और भूटान के बीच वर्तमान भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश (पुराना नाम- नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी) स्थित है। 1962 के संघर्ष में इन दोनों क्षेत्रों में चीनी सैनिक आ गए थे।
ज्यादातर लड़ाई ऊंचाई वाली जगह पर हुई थी। अक्साई चिन क्षेत्र समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साल्ट फ्लैट का एक विशाल रेगिस्तान है और अरुणाचल प्रदेश एक पहाड़ी क्षेत्र है जिसकी कई चोटियाँ 7000 मीटर से अधिक ऊँची है। सैन्य सिद्धांत के मुताबिक आम तौर पर एक हमलावर को सफल होने के लिए पैदल सैनिकों के 3:1 के अनुपात की संख्यात्मक श्रेष्ठता की आवश्यकता होती है। पहाड़ी युद्ध में यह अनुपात काफी ज्यादा होना चाहिए क्योंकि इलाके की भौगोलिक रचना दुसरे पक्ष को बचाव में मदद करती है। चीन इलाके का लाभ उठाने में सक्षम था और चीनी सेना का उच्चतम चोटी क्षेत्रों पर कब्जा था। दोनों पक्षों को ऊंचाई और ठंड की स्थिति से सैन्य और अन्य लोजिस्टिक कार्यों में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और दोनों के कई सैनिक जमा देने वाली ठण्ड से मर गए।
परिणाम
चीन द्वारा जबरन अधिकृत भारतीय भूमि
चीन
चीन के सरकारी सैन्य इतिहास के अनुसार, इस युद्ध से चीन ने अपने पश्चिमी सेक्टर की सीमा की रक्षा की नीति के लक्ष्यों को हासिल किया, क्योंकि चीन ने अक्साई चिन का वास्तविक नियंत्रण बनाए रखा। युद्ध के बाद भारत ने फॉरवर्ड नीति को त्याग दिया और वास्तविक नियंत्रण रेखा वास्तविक सीमाओं में परिवर्तित हो गयी।
जेम्स केल्विन के अनुसार, भले ही चीन ने एक सैन्य विजय पा ली परन्तु उसने अपनी अंतरराष्ट्रीय छवि के मामले में खो दी। पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका, को पहले से ही चीनी नजरिए, इरादों और कार्यों पर शक था। इन देशों ने चीन के लक्ष्यों को विश्व विजय के रूप में देखा और स्पष्ट रूप से यह माना की सीमा युद्ध में चीन हमलावर के रूप में था। चीन की अक्टूबर 1964 में प्रथम परमाणु हथियार परीक्षण करने और 1965 के भारत पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान को समर्थन करने से कम्युनिस्टों के लक्ष्य तथा उद्देश्यों एवं पूरे पाकिस्तान में चीनी प्रभाव के अमेरिकी राय की पुष्टि हो जाती है।
भारत
युद्ध के बाद भारतीय सेना में व्यापक बदलाव आये और भविष्य में इसी तरह के संघर्ष के लिए तैयार रहने की जरुरत महसूस की गई। युद्ध से भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर दबाव आया जिन्हें भारत पर चीनी हमले की आशंका में असफल रहने के लिए जिम्मेदार के रूप में देखा गया। भारतीयों में देशभक्ति की भारी लहर उठनी शुरू हो गयी और युद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों के लिए कई स्मारक बनाये गए। यकीनन, मुख्य सबक जो भारत ने युद्ध से सीखा था वह है अपने ही देश को मजबूत बनाने की जरूरत और चीन के साथ नेहरू की "भाईचारे" वाली विदेश नीति से एक बदलाव की। भारत पर चीनी आक्रमण की आशंका को भाँपने की अक्षमता के कारण, प्रधानमंत्री नेहरू को चीन के साथ शांतिवादी संबंधों को बढ़ावा के लिए सरकारी अधिकारियों से कठोर आलोचना का सामना करना पड़ा। भारतीय राष्ट्रपति राधाकृष्णन ने कहा कि नेहरू की सरकार अपरिष्कृत और तैयारी के बारे में लापरवाह थी। नेहरू ने स्वीकार किया कि भारतीय अपनी समझ की दुनिया में रह रहे थे। भारतीय नेताओं ने आक्रमणकारियों को वापस खदेड़ने पर पूरा ध्यान केंद्रित करने की बजाय रक्षा मंत्रालय से कृष्ण मेनन को हटाने पर काफी प्रयास बिताया। भारतीय सेना कृष्ण मेनन के "कृपापात्र को अच्छी नियुक्ति" की नीतियों की वजह से विभाजित हो गयी थी और कुल मिलाकर 1962 का युद्ध भारतीयों द्वारा एक सैन्य पराजय और एक राजनीतिक आपदा के संयोजन के रूप में देखा गया। उपलब्ध विकल्पों पर गौर न करके बल्कि अमेरिकी सलाह के तहत भारत ने वायु सेना का उपयोग चीनी सैनिको को वापस खदेड़ने में नहीं किया। सीआईए (अमेरिकी गुप्तचर संस्था) ने बाद में कहा कि उस समय तिब्बत में न तो चीनी सैनिको के पास में पर्याप्त मात्रा में ईंधन थे और न ही काफी लम्बा रनवे था जिससे वे वायु सेना प्रभावी रूप से उपयोग करने में असमर्थ थे। अधिकाँश भारतीय चीन और उसके सैनिको को संदेह की दृष्टि से देखने लगे। कई भारतीय युद्ध को चीन के साथ एक लंबे समय से शांति स्थापित करने में भारत के प्रयास में एक विश्वासघात के रूप में देखने लगे। नेहरू द्वारा "हिन्दी-चीनी भाई, भाई" (जिसका अर्थ है "भारतीय और चीनी भाई हैं") शब्द के उपयोग पर भी सवाल शुरू हो गए। इस युद्ध ने नेहरू की इन आशाओं को खत्म कर दिया कि भारत और चीन एक मजबूत एशियाई ध्रुव बना सकते हैं जो शीत युद्ध गुट की महाशक्तियों के बढ़ते प्रभाव की प्रतिक्रिया होगी।
सेना के पूर्ण रूप से तैयार नहीं होने का सारा दोष रक्षा मंत्री मेनन पर आ गया, जिन्होंने अपने सरकारी पद से इस्तीफा दे दिया ताकि नए मंत्री भारत के सैन्य आधुनिकीकरण को बढ़ावा दे सके। स्वदेशी स्रोतों और आत्मनिर्भरता के माध्यम से हथियारों की आपूर्ति की भारत की नीति को इस युद्ध ने पुख्ता किया। भारतीय सैन्य कमजोरी को महसूस करके पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर में घुसपैठ शुरू कर दी जिसकी परिणिति अंततः 1965 में भारत के साथ दूसरा युद्ध से हुआ। हालांकि, भारत ने युद्ध में भारत की अपूर्ण तैयारी के कारणों के लिए हेंडरसन-ब्रूक्स-भगत रिपोर्ट का गठन किया था। परिणाम अनिर्णायक था, क्योंकि जीत के फैसले पर विभिन्न स्रोत विभाजित थे। कुछ सूत्रों का तर्क है कि चूंकि भारत ने पाकिस्तान से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था, भारत स्पष्ट रूप से जीता था। लेकिन, दूसरों का तर्क था कि भारत को महत्वपूर्ण नुकसान उठाना पड़ा था और इसलिए, युद्ध का परिणाम अनिर्णायक था। दो साल बाद, 1967 में, चोल घटना के रूप में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच एक छोटी सीमा झड़प हुई। इस घटना में आठ चीनी सैनिकों और 4 भारतीय सैनिकों की जान गयी।
हेंडरसन-ब्रूक्स-भगत रिपोर्ट
हार के कारणों को जानने के लिए भारत सरकार ने युद्ध के तत्काल बाद ले. जनरल हेंडरसन ब्रुक्स और इंडियन मिलिट्री एकेडमी के तत्कालीन कमानडेंट ब्रिगेडियर पी एस भगत के नेतृत्व में एक समिति बनाई थी। दोनों सैन्य अधिकारियो द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट को भारत सरकार अभी भी इसे गुप्त रिपोर्ट मानती है। दोनों अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में हार के लिए सैन्य अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था।
एक खबर,,,,
मंगलवार, 18 जून 2019
सिंधी में शपथ ली लोकसभा,,,,में,,,शंकर लालवानी ने
मंगलवार, 11 जून 2019
Happiness,,,,,,,
आज में खुश हूं ,,,मेरी लाडली बेटी ,,,,मुस्कान,,, ने एक बेहतरीन लेख लिखा,,,जो इंग्लिश,,,में जो मुझे,,,नही,,,आती,,,पर उस लेख,,
,,,हैपिनेस,,, में जो उसने लिखा है,,,उसका मतलब बताया तो,,,में बहुत,,,खुश,,हुआ,,,में चाहता हूं,,,,,ये,,लेख,,,हैपिनेस,,, पड़कर,,,,दुनिया भी खुशी,,,महसूस करे,,,
,,, Happiness,,,,
[Have you ever noticed that there's an endless amount of things that can make you happy?
There is no shortage of people and experiences that bring out the best in you and make you feel most alive.
You know there are alot of little little things that can make you happy its not always about the luxurious items instead of that there is many more little things that can make you really happy. All you need to do is figure out what are those little things that can make you really happy and can give you inner peace and inner Happiness.It can be listening a song it can be watching a movie it can be talking to your grandparents it can be sitting alone and enjoying your own company it can be going in a walk just with yourself and observing greenery and beautiful nature around you it can be playing with kids it can be going to shop and buying your favourite candies it can be playing with water it can be wearing your favourite outfit it can be reading a book it can be going out with ur parents it can be dancing like crazy it can be singing loudly like noone is watching you it can be anything there are many more little little things like that
that can make you really really happy. All you need to do is find out what are those little things that can make you feel really Happy.
Open yourself up let go a little more. Let life surprise you with its vastness.
~ By Muskan Meghwani
सोमवार, 10 जून 2019
आप से कोई रिश्वत मांगता है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से शिकायत करे
आप परेशान है की कोई भी अधिकारी आपका कार्य नही कर राहा ।आप से रिश्वत मांगी जा रही है आपके शहर का रोड सही नही है आप को पेंशन नही मिल रही है या आप अन्य परेशानियों है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी से उसकी शिकायत करना चाहते है ,,,तो ये है दस एड्रेस प्रधानमंत्री जी के,,,
आप 10 तरीकों से कर सकते हैं पीएम मोदी से संपर्क कर सकते है*
पीएम नरेंद्र मोदी फेसबुक से लेकर ट्वीटर तक पर एक्टिव रहते हैं। आज हम बता रहे हैं ऐसे 10 तरीके जिनके जरिए आप पीएम मोदी तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।
*- यदि आपके मन में कोई क्वेरी या सजेशन है तो आप www.pmindia.gov.in/en/interact-with-honble-pm/ पर लॉग इन कर सकते हैं और खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। यह एक ऑफिशियल पोर्टल है, जिसे पीएम नरेंद्र मोदी से इंटरेक्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है।*
*आप पीएम के ऑफिशियल एड्रेस पर उन्हें सीधे लेटर लिख सकते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीएम मोदी को रोजाना 2 हजार से ज्यादा लेटर देशभर से मिलते हैं।*
*क्या है ऑफिशियल एड्रेस :* वेब इंफॉर्मेशन मैनेजर, साउथ ब्लॉक, रायसीना हिल
नईदिल्ली : 110011
फोन नंबर : 23012312
फैक्स : 23019545,23016857
*आप 'ऑनरेबल प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया, 7 रेसकोर्स रोड, नईदिल्ली' लिखकर भी लेटर पहुंचा सकते हैं।*
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*आइडिया शेयरिंग के लिए आप www.mygov.in पर जा सकते हैं। यहां सजेशन, आइडिया दे सकते हैं।*
*- आप RTI के जरिए भी पीएमओ से कोई प्रश्न पूछ सकते हैं।*
*- आप @PMOIndia या @Narendramodi पर ट्वीट करके भी सीधे अपनी बात पीएम तक पहुंचा सकते हैं। मोदी के ट्वीटर पर 16 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।*
*- आप यू-ट्यूब के जरिए भी पीएम तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं। Narendra modi's Youtube Channel पर जाकर अपना मैसेज सेंड कर सकते हैं।*
*- Narendra modi Facebook Page या fb.com/pmoindia पर जाकर आप फेसबुक के जरिए भी पीएम तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं।*
- *narendramodi1234@gmail.com यह पीएम की ईमेल आईडी है। यह उनके एंड्रॉइड ऐप पेज से मिली है।*
- *इसके अलावा आप इंस्टाग्राम, लिंक्डइन पर भी पीएम से कॉन्टेक्ट कर सकते हैं। इंस्टाग्राम के लिए*
*https://www.instagram.com/narendramodi/ और लिंक्डइन के लिए https://in.linkedin.com/in/narendramodi पर जाएं।*
*- आप NaMo एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड करके भी पीएम मोदी तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं और उनसे जुड़े रह सकते हैं।*
एक खबर ,,,,विनोद मेघवानी
शनिवार, 8 जून 2019
जय श्री राम,,,के नारे ,,,,से ममता क्यों ,,भड़की,,
एक खबर,,,,,,,,
बोया बबूल तो आम कान्हा से होये,,,,,
ये बात बंगाल की मुख्यमंत्री,, ममता बेनर्जी ,,,पर सही बैठती है
पैतीस साल तक बंगाल में राज करने वाली,,वाम मोर्चे की सरकार ओर ज्योति बसु का राजनीतिक अंत ममता बनर्जी ने ही किया था,,,,,,जय श्री राम के नारे से बौखलाने वाली ममता बैनर्जी को अपना भविष्य,, अंधकार में दिख रहा ,,,है मोदी जी और अमित शाह की रण नीति ने उनकी सत्ता की जड़ों को खोखला करना शुरू कर दिया है
इसलिये ,,,वो बौखला गई है ,,,ममता जी की गुजरी ,,,जिंदगी के कुछ ,,अंश ,,,,
कांग्रेस से मतभेद और तृणमूल का गठन
अप्रैल 1996-97 में उन्होंने कांग्रेस पर बंगाल में सीपीएम की कठपुतली होने का आरोप लगाया और 1997 में कांग्रेस से अलग हो गईं. इसके अगले ही साल 1 जनवरी 1998 को उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस बनाई. वह पार्टी की अध्यक्ष बनीं. 1998 के लोकसभा चुनाव में टीएमसी ने 8 सीटों पर कब्जा किया.
पहला रेल बजट और मंत्री पद से इस्तीफा
साल 1999 में उनकी पार्टी बीजेपी के नेतृत्व में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार का हिस्सा बन गई. उन्हें रेल मंत्री बना दिया गया. 2002 में उन्होंने अपना पहला रेल बजट पेश किया और इसमें बंगाल को सबसे ज्यादा सुविधाएं दी, जिसको लेकर थोड़ा विवाद भी हुआ.
अपने पहले रेल बजट में ममता ने कहा कि रेल सुविधाओं से बांग्लादेश और नेपाल को भी जोड़ा जाएगा. लेकिन 2000 में पेट्रोलियम उत्पादों में बढ़ते मूल्य का विरोध करते हुए उन्होंने अपने सहायक अजित कुमार पांजा के साथ मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, बाद में उन्होंने बिना कोई कारण बताए इस्तीफा वापस भी ले लिया.
...और एनडीए से अलग हुई टीएमसी
साल 2001 की शुरुआत में 'तहलका खुलासों' के बाद ममता ने अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लिया. लेकिन जनवरी 2004 में वे फिर से सरकार में शामिल हो गईं. 20 मई 2004 को आम चुनावों के बाद पार्टी की ओर से केवल वे ही चुनाव जीत सकीं. अब की बार उन्हें कोयला और खान मंत्री बनाया गया. 20 अक्टूबर 2005 को उन्होंने राज्य की बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार द्वारा औद्योगिक विकास के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीनें हासिल किए जाने का विरोध किया.
नगर निगम में हुआ भारी नुकसान
ममता को 2005 में बड़ा राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा. उनकी पार्टी ने कोलकाता नगर निगम पर से नियंत्रण खो दिया और उनकी मेयर ने अपनी पार्टी छोड़ दी. 2006 में विधानसभा चुनावों में भी तृणमूल कांग्रेस के आधे से अधिक विधायक चुनाव हार गए. नवंबर 2006 में ममता को सिंगूर में टाटा मोटर्स की प्रस्तावित कार परियोजना स्थल पर जाने से जबरन रोका गया. इसके विरोध में उनकी पार्टी ने धरना, प्रदर्शन और हड़ताल भी किया.
यूपीए से फिर जोड़ा नाता
साल 2009 के आम चुनावों से पहले ममता ने फिर एक बार यूपीए से नाता जोड़ लिया. इस गठबंधन को 26 सीटें मिलीं और ममता फिर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो गईं. उन्हें दूसरी बार रेल मंत्री बना दिया गया. रेल मंत्री के तौर पर उनका कार्यकाल लोकलुभावन घोषणाओं और कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है. 2010 के नगरीय चुनावों में तृणमूल ने फिर एक बार कोलकाता नगर निगम पर कब्जा कर लिया.
बंगाल में वामपंथ का सफाया, TMC की बड़ी जीत
साल 2011 में टीएमसी ने 'मां, माटी, मानुष' के नारे के साथ विधानसभा चुनावों में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की. ममता राज्य की मुख्यमंत्री बनीं और 34 वर्षों तक राज्य की सत्ता पर काबिज वामपंथी मोर्चे का सफाया हो गया. ममता की पार्टी ने राज्य विधानसभा की 294 सीटों में से 184 पर कब्जा किया.
तीन साल बाद UPA से तोड़ा नाता
केंद्र और राज्य दोनों ही जगहों पर अपनी पैठ जमाने के बाद ममता ने 18 सितंबर 2012 को यूपीए से अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद नंदीग्राम में हिंसा की घटना हुई. सेज (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) विकसित करने के लिए गांव वालों की जमीन ली जानी थी. माओवादियों के समर्थन से गांव वालों ने पुलिस कार्रवाई का प्रतिरोध किया, लेकिन गांव वालों और पुलिस बलों के हिंसक संघर्ष में 14 लोगों की मौत हो हुई.
ममता ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री शिवराज पाटिल से कहा कि बंगाल में सीपीएम समर्थकों की हिंसक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए. बाद में जब राज्य सरकार ने परियोजना को समाप्त कर दिया, तब हिंसक विरोध भी थम गया. लेकिन इस दौरान केंद्र और कांग्रेस से उनके मतभेद शुरू हो गए.
ममता बनर्जी के सीएम बनने के बाद तृणमूल के दिनेश त्रिवेदी को रेल मंत्री बनाया गया, लेकिन उन्हें भी ममता के दबाव के कारण अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी.
कविता और पेंटिंग भी...
ममता बनर्जी एक राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ एक कवयित्री और पेंटर भी हैं. '
एक खबर,,,,,विनोद मेघवानी
सोमवार, 3 जून 2019
छत्तीसगढ़ सिंधी साहित्य एकाडमी,, अध्यक्ष रेस में आगे ,,राजु तारवानी
छत्तीसगढ़ सिंधी साहित्य एकाडमी के अध्यक्ष पद के रेस ,,,सबसे,,,,आगे एक ही नाम चल राहा है,,,वो है ,,,श्री राजु तारवानी जी,,,,,सूत्रों से मिली जानकारी,,,के,,अनुसार,,,मुख्यमंत्री भपेश बघेल से भी,,,बहुत अच्छे संबन्ध है ,,राजू तारवानी जी के वर्तमान में राजु तारवानी जी,,,,,,,,,,,,,, है विगत पन्द्रह साल से अभनपुर जनपद पंचायत में सभापति है,,,ओर रायपुर सिंधी समाज मे ,,,भी सामाजिक कार्यो में आगे रहते,,है,,,बहुत ही सज्जन ओर सेवाभावी व्यकित्त्व है ।,छत्तीसगढ़ सिंधी साहित्य एकाडमी के अध्यक्ष के रूप,,,निर्विरोध,,,चुने जा सकते है ,,,,एक खबर,,,,,
रविवार, 2 जून 2019
शनि के साढ़े साती से मुक्त,,,,,,,
साढ़ेसाती के प्रकोप से मुक्त,,,,,,हुई,,,,मेष,,,तुला ,,,कुंभ,,,, राशि
आप सभी का हमारे एक खबर में हार्दिक स्वागत है आज हम आपको उन तीन राशियों के बारे में बताने वाले है जो की शनि के प्रकोप से मुक्त हो गयी है ,शनि ग्रह को सबसे पापी ग्रह माना जाता है, कहा जाता है, कि शनि का प्रभाव जिस भी इंसान पर पड़ता है, उसके जीवन में मुसीबत का समय शुरू हो जाता है, पर ऐसा हमेशा नहीं होता, जब शनि किसी पर मेहरबान होते हैं, तो उसका समय अच्छा आने लगता है, शनि जिस पर भी मेहरबान होते हैं, उनकी किस्मत चमक जाती है,ज्योतिष की माने तो ये तीन राशियों शनि की साढ़ेसाती से मुक्त वाली है जिससे इनके जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ आएँगी इन राशियों और होने वाले लाभ के बारे में हम आपको नीचे बता रहे है !
मेष राशि- शनि देव की कृपा से अब इनके जीवन में खुशियों का समय आने वाला है जिससे इनके सभी दुःख सुख में बदल जायेंगे,आपकी आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव देखने को मिलेंगे,दांपत्यजीवन सुखमय रहेगा बेरोजगार लोगो को इस सप्ताह रोजगार मिल सकता है सरकारी नोकरी के अवसर अधिक बन रहे है !
तुला राशि -शनि देव की कृपा से बहुत दिनों से बकाया पैसा वापस आ सकता है, आज के दिन धन सम्बंधित कार्यो में पैसो की जरुरत पूरी होगी, जिससे आपको स्वयं पता चल जायेगा कि आपके ऊपर शनि महाराज की विशेष कृपा है आप आर्थिक सुरक्षा एवं भावनात्मक सुरक्षा ढूढ़ने की कोशिश कर रहे है,आने वाला समय बहुत ही शुभ रहने वाला है
कुम्भ राशि- जो व्यक्ति व्यापारी हैं उनको व्यापार में भारी धन लाभ होने की संभावना बन रही है,अब उनकी आर्थिक परेशानियां दूर हो जाएंगी इनकी किस्मत खुल जाएगी और कई बड़े लाभ होंगे,शत्रु परास्त होंगे और धन का लाभ होगा,आय के स्रोत विकसित हो सकते हैं !आर्थिक पक्ष काफी मजबूत होगा,आपकी जीवनशैली में बदलाव आएगा और नौकरी के मामले में कोई खुशखबरी मिल सकती है !
एक खबर
बंद कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई
Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई कितनी हे,,,?????
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Vinod raja meghwani (sampadak ) जम्मू कश्मीर में बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी ,,सरकार ,,मोदी की होगी
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Vinod raja meghwani (sampadak)एक खबर सूत्रों से मिली अनुसार रायपुर में एक बार फिर MMI haspitl प्रबंधन की लापरवाही की वजह रायपुर सिंधी समाज क...
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Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई कितनी हे,,,?????