गुरुवार, 29 अगस्त 2024

कर्म और भाग्य क्या है - विनोद राजा meghwani


Vinod raja meghwani (sampadak)
कर्म का नियम, यह कैसे काम करता है? ||
कर्म का नियम, यह कैसे काम करता है
हिंदू धर्म में विभिन्न दार्शनिक और आध्यात्मिक अवधारणाओं के साथ एक जटिल और विविध अवधारणा है, और इसकी तीसरी मौलिक अवधारणाओं में से एक कर्म का नियम है।
सभी स्तरों पर क्रिया और प्रतिक्रिया की प्रक्रिया - शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक - कर्म है। कर्म हिंदू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण और बुनियादी सिद्धांत है, फिर भी इसे समझना बहुत जटिल बात है।
कर्म, संस्कृत शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ है "कार्रवाई" या "काम", यह विश्वास है कि एक व्यक्ति द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य के परिणाम होते हैं जो उसके वर्तमान जीवन और भविष्य के जीवन को प्रभावित करते हैं।
इसका महत्व क्या है?
a) हर कोई कर्म करने के लिए बाध्य है, कोई भी इससे बच नहीं सकता। न कर्मणामनारामभन्नैष्कर्म्यं पुरुषोऽश्नुते |
न च संन्यासनादेव सिद्धिं समाधिगच्छति।।
अर्थ- केवल कर्म से विरत रहने से कर्मफलों से मुक्ति नहीं मिलती, न ही केवल शारीरिक त्याग से ज्ञान की पूर्णता प्राप्त होती है।
ख) बहुत से लोग सोचते हैं कि कर्म उनके कर्म हैं, लेकिन यह केवल आधा सच है। कर्म केवल आपके द्वारा किए गए कार्य नहीं हैं, बल्कि यह वह भी है जो आप हर समय सोचते हैं। ऐसा माना जाता है कि किसी के विचारों की गुणवत्ता और उसके कार्यों के पीछे की प्रेरणाएँ उसके द्वारा अनुभव किए जाने वाले परिणामों पर गहरा प्रभाव डालती हैं। प्रेम, करुणा और निस्वार्थता जैसे सकारात्मक विचार सकारात्मक कर्म उत्पन्न करने वाले माने जाते हैं, जबकि घृणा, लालच और स्वार्थ जैसे नकारात्मक विचार नकारात्मक कर्म उत्पन्न करने वाले माने जाते हैं।
न हि कश्चित्क्षणमपि जातु तिष्ठत्यकर्मकृत् |
कार्यते ह्यवश: कर्म सर्व: प्रकृतिजैर्गुणै: ||
अर्थ- ऐसा कोई नहीं है जो एक क्षण के लिए भी बिना कर्म के रह सके। वास्तव में, सभी प्राणी अपने भौतिक स्वभाव से उत्पन्न गुणों के कारण कर्म करने के लिए बाध्य हैं।अतः हम जो भी सोचते या करते हैं, हर एक चीज पंजीकृत हो जाती है और हम उसी के अनुसार पुनर्जन्म लेते हैं।c) प्रत्येक कर्म का एक समान परिणाम होता है। सभी सकारात्मक क्रियाएँ और विचार अच्छे कर्म उत्पन्न करते हैं और इसके विपरीत। d) कर्म केवल मानव जीवन में ही अर्जित किया जा सकता है। पौधों और जानवरों जैसे निचले जीवन में, पौधों और जानवरों को आम तौर पर सीमित चेतना वाला माना जाता है और वे सहज व्यवहार से प्रेरित होते हैं। जबकि वे अपने पिछले कर्मों के परिणामों का अनुभव कर सकते हैं, उनके सचेत रूप से नए कर्म उत्पन्न करने की क्षमता सीमित मानी जाती है। केवल उनके बुरे कर्म ही निचले जीवन में जलते हैं। कर्म के प्रकार- कर्म को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है- a. संचित कर्म- इस जीवन और पिछले जन्मों के सभी कर्मों का योग। b. प्रारब्ध कर्म- संचित कर्म का वह भाग जो फल दे रहा है और वर्तमान जीवन की घटनाओं और स्थितियों को आकार दे रहा है। c. क्रियमाण कर्म- वह कर्म जो इस जीवन में किसी के विचारों द्वारा बनाया और संचित में जोड़ा जा रहा है। d. आगम कर्म- वे कार्य जो हम भविष्य के लिए योजना बना रहे हैं।  श्री राम ने जन्म क्यों लिया? इसके तीन कारण है ?
ये सभी सत्य हैं, लेकिन आइए श्री राम के जन्म के पीछे के मुख्य उद्देश्य पर पुनर्विचार करें, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उनके अवतार का उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि कर्म का नियम देवताओं पर भी लागू होता है और अटल है। भगवान विष्णु, जो अपने रणनीतिक चरित्र के लिए जाने जाते हैं, उनके प्रत्येक अवतार के पीछे हमेशा अंतर्निहित उद्देश्य होते थे। मानव क्षेत्र के पर्यवेक्षक के रूप में, उन्होंने ज्ञान प्रदान करने और आवश्यक सिद्धांतों को स्थापित करने के लिए विभिन्न अवतार लिए।
इस दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए, निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करें:
 जलधर की पत्नी वृंदा ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे अपने जीवनसाथी से अलग हो जाएंगे।
 नारद नामक एक ऋषि ने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि उन्हें नारद के अपने अधूरे प्रेम जैसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, जिससे उन्हें अपने प्रियतम के साथ रहने की तलाश में कष्ट उठाना पड़ेगा।
 राम द्वारा अपनाए गए मार्ग को आध्यात्मिक मुक्ति (मोक्ष) प्राप्त करने के लिए सबसे कठिन मार्ग के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है। रामायण को संपूर्ण रूप से पढ़ने से पता चलता है कि इसमें बुराई पर अच्छाई की जीत की एक साधारण कहानी से कहीं अधिक शामिल है; यह पीड़ा, त्याग और चुनौतियों का वर्णन करता है, जिन्हें एक आदर्श जीवन जीने के लिए सहना पड़ता है।
भगवान होने के नाते, विष्णु आसानी से कर्म के सिद्धांतों से बच सकते थे, लेकिन नहीं, उन्होंने ऐसा नहीं किया और यही कारण है कि कर्म का नियम अपरिहार्य है।
इतना दुख क्यों है?
सुख या दुख केवल व्यक्ति के पिछले जन्म के कर्मों का परिणाम है। यदि आपके जीवन में दुख और पीड़ा है जबकि आपका मित्र खुशहाल जीवन जी रहा है, तो आपको समझना चाहिए कि आपने अपने पिछले जन्म में कुछ बहुत बुरा किया था जबकि आपके मित्र ने अपने पिछले जन्म में कुछ अच्छा किया होगा।
कर्म और भाग्य-
कर्म का भाग्य शब्द के साथ पुराना संबंध है। भाग्य एक पश्चिमी विचार है, जो मुख्य रूप से  अन्य धर्मों से आया है इसका अर्थ है कि व्यक्ति का जीवन उसके बाहर की एजेंसियों द्वारा निर्धारित किया गया है। हालाँकि, कर्म इसके बिल्कुल विपरीत है। कर्म कहता है कि आपका जीवन पूरी तरह से इस बात पर आधारित है कि आप क्या सोचते हैं और क्या करते हैं। कर्म सिखाता है कि व्यक्तियों के पास अपने विचारों, इरादों और कार्यों के माध्यम से अपने जीवन को आकार देने की शक्ति है, जो व्यक्तिगत जिम्मेदारी और एजेंसी पर जोर देता है। यह कार्यों और उनके परिणामों के परस्पर संबंध पर प्रकाश डालता है, यह सुझाव देता है कि व्यक्तियों के पास अपने भाग्य को प्रभावित करने की क्षमता है।

बुधवार, 7 अगस्त 2024

शेख हसीना की एक गलती ने बंग्ला देश मे सवा करोड़ हिन्दुओं की जान ओर माल खाक कर दिया

Vinod raja meghwani (sampadak)एक खबर VM /राजा साहेब  दुर्ग ,,,विशेष ,,संपादिकीय् लेख ,,बंग्ला देश,,,,



 शेख हसीना के एक गलत फैसले ने सवा करोड़ हिन्दुओं की जान ओर उनकी संपति को खाक मे मिला दिया अगर शेख हसीना भागती नही देश के प्रति सच्ची देशभक्ति दिखाती तो आज बंग्ला देश मे आरजकता नही होती ।बांग्लादेश में कल जो हुआ है, उसका सपना हमारा विपक्ष, Western Deep State, वामपंथी Ecosystem पिछले 10 साल से देख रहे हैं.

1971 के समय जो लोग मारे गए थे... उनके परिवारों को सरकार ने आरक्षण दिया हुआ था. बांग्लादेश में पिछले 5-6 सालों से स्थिति विस्फोटक थी... वहाँ एक पार्टी है BNP.. जो आतंकवादी समर्थक भी है.. और इस पार्टी को अमेरिकी राष्ट्रपति के बेटे हंटर Biden का भी समर्थन प्राप्त है.

यह लोग कई सालों से सत्ता पलटने में लगे हुए थे.. लेकिन लोकतान्त्रिक तरीके से जीत नहीं पाते थे.. पिछले चुनावों में इसी कारण BNP ने चुनाव का बहिष्कार किया और चुनाव नहीं लड़ा.. जिस वजह से शेख हसीना की पुनः सरकार बन गई.

इस बार इन्होंने आरक्षण हटाने का मुद्दा हटाया.. और देश भर में हिंसा हुई.... सरकार ने सभी तरह के आरक्षण ख़त्म कर दिए.



उसके बाद कुछ दिन शांति रही.. फिर BNP और कुछ आतंकवादी संगठनों और Western Deep State के players ने फिर से बवाल करना शुरू कर दिया... कल कल में ही 100 से ज्यादा लोग मारे गए... और आज अराजक तत्व PM house में घुस गए.. और सड़को पर कब्ज़ा कर लिया... PM Hasina ने इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़ दिया... दिल्ली पहुंचने वाली हैं. सेना ने आतंरिम सरकार बनाने की बात की है.

बांग्लादेश की सेना इतनी मजबूत नहीं की martial law लगा दे.. ऐसे में Western Deep State का कोई प्यादा नई सरकार बनाएगा.

पोस्ट में दिए गए वीडियो आप देखो.. कैसे जनता सड़को पर उतर गई है... PM House पर अराजक तत्वों का कब्ज़ा है.



Screenshot में दी हुई ख़बर में आप Awami League की जगह बीजेपी add कर दीजिए और PM Hasina की जगह PM Modi कर दीजिये... बाकि सब same to same होने के सारे तिकडम लगाए गए..... लेकिन सौभाग्य से ऐसा हुआ नहीं.

याद कीजिये कुछ महीने पहले का राहुल गाँधी का बयान.. जिसमें उसने कहा था कि 'मोदी अब सड़क पर जायेगा तो जनता इसको मारेगी'.....जी बिलकुल यही शब्द बोले गए थे.

किसानों के फर्जी आंदोलन में 'मर जा मोदी' के नारे लगाए जाते रहे हैं.... इंदिरा गाँधी की तरह मोदी की हत्या करने की बता कई बार की गई है.

विपक्ष के बड़े नेता पाकिस्तान जा कर उनसे सहायता मांगते हैं.. ताकि सरकार बदली जा सके.

राहुल गाँधी यूरोप जाते हैं, और सभी यूरोपीय देशों से सहायता मांगते हैं...भारत में सरकार बदलने के लिए.

बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे पर बवाल हुआ... और सरकार ने सब मांगे मान ली, उसके बाद भी हिंसा नहीं रुकी.

भारत में ऐसे कई बवाल हुए हैं पिछले 10 सालों में.... असहिष्णुता से शुरू हुई यह नौटंकी आज SC/ST के आरक्षण को व्यापक बनाने तक हर दिन चलती आ रही है.

सौभाग्य मानिये... केंद्र में मजबूत सरकार है.... जो पिछले 10 सालों से ऐसे लोगों से लड़ रही है... हाँ ऐसा करते हुए कुछ लोगों को कमजोर भी दिखती है.. लेकिन ऐसा नहीं है... कई बार युद्ध जीतने के लिए कुछ लड़ाई हारनी भी पड़ती हैं.

जब अराजकता फैलती है ना... तो सबसे पहले आम जन जीवन प्रभावित होता है.... बांग्लादेश में अब सरकार नहीं है... लोग हतप्रभ हैं... क्या करें.. कहाँ जाएं... जो सत्ता के पक्ष वाले हैं वह डरे हुए होंगे.. क्यूंकि उन्हें चिन्हित किया जा चुका होगा..... आगे क्या होगा उनके साथ.. यह भगवान ही जाने.

देश में कोई व्यवस्था नहीं होगी... काम धंधे प्रभावित होंगे.. देश में हिंसा होगी तो व्यापार नहीं हो पायेगा.. रोजमर्रा की चीजों के दाम आसमान पर होंगे.... देश में investment नहीं आएगा... लोगों का जीवन स्तर बिगड़ जाएगा.. नौकरियां खत्म हो जाएंगी.

जो आज बांग्लादेश में हो रहा है... यह भारत में भी हो सकता है.

आज हमारा विपक्ष और Deep State यही तो करना चाहता है..... असहिष्णुता, Anti CAA, Farmers Bill, Lynching, रोहित वेमुला case, SCST law, जातिवाद, आरक्षण जैसे कई Fault Lines हैं हमारे देश में.... हर मुद्दे पर हमने बवाल देखे हैं पिछले दस सालों में.

यह सरकार की सफलता है कि कोई भी बवाल बड़ा नहीं हुआ.. वरना विपक्ष तो हर बार ऐसे काण्ड करके मोदी का इस्तीफ़ा ही मांगता है.

एक बात याद रखिये..... लोकतंत्र में सवाल पूछने की आजादी तब तक ही है जब तक केंद्र में लोकतान्त्रिक सरकार है.... जिस दिन अराजक तत्व सत्ता में आएंगे.. या लोकतान्त्रिक सरकार गिरेगी... देश भरभरा कर गिर जाएगा.

ये जो लाखों करोड़ों बैंक में जमा कर रखें हैं... ये जो Market का Portfolio बना रखा है... ये तो कोठी flat ले रखें हैं... ये तो SUV Sedan ले कर आप घूमते हैं ना... जिस दी  अराजक भीड़ सड़क पर आएगी.. यह सब एक झटके में गायब हो जायेगा.

जब जान ही बचाने के लाले पड़ जाएंगे.. तब पैसा, बंगला, गाड़ी, बैंक बैलेंस के बारे में कौन सोचेगा??

4 जून को आप इसी अराजकता से बचे हैं.... कितने समय तक बचे रहेंगे.. यह केंद्र में स्थिर और मजबूत सरकार पर निर्भर करता है

कश्मीर 370 हटाने के बाद पहला विधानसभा चुनाव = vinodraja

Vinod raja meghwani (sampadak)एक खबर  Vinodraja (अंडा) दुर्ग पुराने दिनों में कश्मीर में लाल चौक की दुकानें अलगाववादी हुर्रियत के आह्वान पर ...