सोशल प्रिंट मीडिया अखबार( न्यूज पॉर्टल) एक खबर का सर्वेसर्वा अधिकार विनोद meghwani का है एक खबर के मुख्य संपादक विनोद meghwani है एक खबर ब्लॉग पर देश विदेश के न्यूज चैनल का युटुयब के वीडियो ओर राज्य ,छत्तीसगढ़ ,बॉलीवुड , हॉलीवुड, व्यंग ,हास्य अन्य लेख हिंदी, सिन्धी, उर्दू, अंग्रेजी अन्य विश्व की भाषाओ में ( सूचना आम जनता के लिये एक खबर में छपे लेख पे किसी प्रकार की आपत्ति या वाद विवाद का निपटारा दुर्ग न्यायालय के अंतर्गत होगा संपादक ,,,विनोद मेघवानी ,,
शनिवार, 26 अगस्त 2023
अंतरिक्ष का मज़ा ले ओर रोचक जानकारी पाएं
Vinod meghwaniएक खबर Vinod meghwani आइए आपको अंतरिक्ष की सैर करते है ।ओर कुछ रोचक जानकारी देते है
मंगलवार, 15 अगस्त 2023
स्व: मोती लाल वोरा जी ,,अमर,,, हो गए जब तक दुर्ग शहर रहेगा उनको याद किया जाएगा __ विनोद meghwani
Vinod meghwaniएक खबर ( vinod meghwani )
दुर्ग के लोकप्रिय नेता स्व: मोती लाल वोरा जी की प्रतिमा का राजेंद्र चौंक मे मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल ने अनावरण किया
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज के दिन को अविस्मरणीय बताते हुए कहा कि वोरा जी ऐसे शख्स थे, जिनकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। वे अपने कर्त्तव्य के प्रति सदैव समर्पित और तत्पर रहते थे। वे आजीवन सक्रिय रहे। नगरीय निकाय की राजनीति से शुरुआत कर उन्होनें मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल पदों को सुशोभित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे। वोरा जी के अनेक यादगार संस्मरण हैं। विभिन्न पदों को सुशोभित करने वाले उनके जैसे व्यक्ति बिरले ही होंगे। मुख्यमंत्री ने वोरा जी के व्यक्तित्व को विस्तार पूर्वक रेखांकित किया। वोरा जी के साथ हम सबके संस्मरण रहे है। वोरा जी की यादें बहुत है उन यादों को लेकर आगे बढ़े तो सफल रहेंगे। उन्होंने कहा कि वोरा जी के विचार को सार्वजनिक जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है।
स्व: मोती लाल बोरा जी अमर हो गए जब तक दुर्ग शहर रहेगा उनको याद किया जाएगा।
मोतीलाल वोरा का जन्म 20 दिसंबर 1928 को नागौर, जिला राजस्थान में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहनलाल वोरा और मां का नाम अंबा बाई था। उनका विवाह शांति देवी वोरा से हुआ था। उनके चार बेटियां और दो बेटे हैं। उनके बेटे अरुण वोरा दुर्ग से विधायक हैं और वे तीन बार विधायक के रूप में चुनाव जीत चुके हैं,
शिक्षा
मोतीलाल वोरा ने अपनी शिक्षा रायपुर और कोलकाता से ग्रहण की थी।
करियर
मोतीलाल वोरा ने कई वर्षों तक पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्य करते हुए कई समाचार पत्रों का प्रतिनिधित्व किया। मोतीलाल वोरा 1968 में राजनीति के क्षेत्र में उभरकर सामने आए। इसके बाद उन्होंने 1970 में मध्यप्रदेश विधानसभा से चुनाव जीता और मध्य प्रदेश ‘राज्य सड़क परिवहन निगम’ के उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए। वे 1977 और 1980 में दोबारा विधानसभा में चुने गए और उन्हे 1980 में अर्जुन सिंह मंत्रिमंडल में उन्हें उच्च शिक्षा विभाग का दायित्व सौंपा गया। मोतीलाल वोरा 1983 में कैबिनेट मंत्री बने। इसके बाद में मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में भी नियुक्त हुए। 13 फरवरी 1985 में श्री मोतीलाल वोरा को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया और 13 फरवरी 1988 को उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र देकर 14 फरवरी 1988 में केंद्र के स्वास्थ्य परिवार कल्याण और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कार्यभार संभाला। अप्रैल 1988 में मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए और श्री मोतीलाल वोरा ने 26 मई 1993 से 3 मई 1996 तक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के पद पर आसीन रहे।विनोद meghwani
AICC कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है
गुरुवार, 10 अगस्त 2023
स्वर्ग ओर नरक की जिंदगी यहीं है आप कैसी चाहते है _Vinod meghwani
Vinod meghwani,,,,
,,,एक खबर Vinod meghwani ) आप कैसी जिंदगी जीना चाहते है ,🖊️सादगी ओर सरलता की जिंदगी आपके जीवन को स्वर्ग बना देती है।ओर महत्वाकांक्षा की जिंदगी आप के जीवन को नरक बना देती आप लोभ ओर विलास्ता का जीवन जीते है तो आप , लोन लेकर ओर कर्ज लेकर जब जीते है तो ये आप के जीवन को नरक बना देता है। कोरोना के बाद मेरे एक पहचान वाले ( मित्र नहीं ) ने ये कहते हुए अचानक लग्जरी जिंदगी जीना शुरू कर दी कि ' जिंदगी की क्या गांरटी है । ' उनकी जीवनशैली एकदम बदल गई । किसी भी खरीदारी में चाहे टीवी , कार , स्मार्टफोन या होटल स्टे में भी वह शुरुआती स्तर की चीजों की बात नहीं करते थे । क्लोज सर्किल में हम जब ऐसे किसी की चर्चा करते जो कभी पैसों को लेकर सजग उपभोक्ता थे और अचानक लग्जरी चीजें पसंद करने लगे , तो उनका उदाहरण दिया जाने लगा । अचानक एक दिन वह परिदृश्य से गायब हो गए । उनके बारे में कहानियां चलने लगी कि लग्जरी लाइफ जीने के लिए उन्होंने ढेर सारे लोन लिए थे , अंततः उनकी और उनके परिवार की जिंदगी तहस - नहस हो गई । धीरे - धीरे वह भुला दिए गए । इस सोमवार को वह मुझे याद आ गए , जब पता चला कि कई सारी नामचीन कंपनियां , जो रईसों के लिए उत्पाद बनाती हैं , अब भारत से लगातार आती लग्जरी की मांग के बाद यहां भी आउटलेट खोल रही हैं । भारत में भी कार निर्माताओं ने अपने बेस मॉडल बनाना कम कर दिए हैं । जैसे दस लाख से कम की कार की 2019 में जहां 57 वैरायटी थीं , जो आज 27 हैं और दस लाख से ज्यादा वालों की दोगुनी हुई हैं । छोटी टीवी स्क्रीन शायद कार की सीट पर चली गई हैं । नहीं तो इसे कैसे बताएंगे कि जनवरी से अभी तक बाजार में पेश टीवी की 170 कैटेगरी में 100 प्रीमियम कैटेगरी की 50 इंच से ज्यादा वाली हैं । क्या हम घर के मुख्य हॉल में जा रहे हैं या सिनेमा हॉल में ? कार , टीवी , मोबाइल के साथ दूसरे उत्पादों में महंगी चीजें पसंद बन रही हैं , ऐसे में ताज्जुब नहीं कि उत्पादकों के अनुमान से इस साल ये बाजार 12 हजार करोड़ रु . पार कर जाएगा । इसमें 8 हजार करोड़ के तो सिर्फ शादियों के परिधान हैं । ढेर सारी वैश्विक कंपनियों द्वारा भारत में जारी लेटेस्ट लग्जरी उत्पादों को अगर संकेत मानें तो कोई भी आसानी से कह सकता है कि लग्जरी चीजों के उपभोग में आ रही इस तेजी के लिए भारत तैयार है । पर किस कीमत पर ? आपको लगता है सबके पास ऐसी लग्जीरियस चीजों के लिए पैसा है ? या फिर सालों पहले उद्योगपतियों को कर्ज देकर पछता रहे बैंक का ध्यान अब लग्जरी की चाह रखने वाले भारतीयों पर है ? दूसरा जवाब सही है । यही कारण है कि राजेश्वरी सेनगुप्ता , हर्ष वर्धन जैसे अर्थशास्त्रियों ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंटल रिसर्च के लिए तैयार अपने पेपर में बताया कि यह ' उधार का उपभोगीकरण ' है । नहीं तो इसे कैसे सही ठहराएंगे कि फुटकर कर्ज मार्च 2023 की स्थिति में 40.85 लाख करोड़ रु . था । भले ही इसमें गृह ऋण भी शामिल है , लेकिन इकोनॉमिस्ट का मानना है कि ये जीडीपी का 10 % है और उनके द्वारा अध्ययन कई देशों की तुलना में कम है । अब सवाल है क्या हमें ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर अभी की जिंदगी का लुत्फ उठाने के लिए लग्जरी खरीदनी चाहिए या फिर इंतजार करना चाहिए कि उतनी जरूरत का पैसा जमा हो जाए , फिर जिंदगी का मजा लेने के लिए लग्जरी चीजें बाद में खरीदेंगे ? मेरे लिए ' लग्जरी और लोन ' वैसा ही है जैसे ' रम के साथ रसम ! ' कुछ लोगों को अभी भी ये बेमेल स्वाद पसंद आएगा , जिसका मतलब है । कि वे अभी भी कर्ज चुका सकते हैं और खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं , लेकिन ऊपर जिक्र किए मेरे परिचित जैसे लोगों के लिए थोड़े धैर्य की जरूरत है । फंडा यह है कि जब ईश्वर समय और दबाव का उपयोग करते हुए इल्ली को तितली बना सकता है , रेत को मोती में बदल सकता है , कोयले को हीरा बना सकता है , तो आपको नहीं लगता कि वह आप पर भी काम कर रहा है ? वह कर रहा है , पर आपसे भी धैर्य की उम्मीद है । एक खबर के इस लेख पर आप अपने विचार रखे
,,,एक खबर Vinod meghwani ) आप कैसी जिंदगी जीना चाहते है ,🖊️सादगी ओर सरलता की जिंदगी आपके जीवन को स्वर्ग बना देती है।ओर महत्वाकांक्षा की जिंदगी आप के जीवन को नरक बना देती आप लोभ ओर विलास्ता का जीवन जीते है तो आप , लोन लेकर ओर कर्ज लेकर जब जीते है तो ये आप के जीवन को नरक बना देता है। कोरोना के बाद मेरे एक पहचान वाले ( मित्र नहीं ) ने ये कहते हुए अचानक लग्जरी जिंदगी जीना शुरू कर दी कि ' जिंदगी की क्या गांरटी है । ' उनकी जीवनशैली एकदम बदल गई । किसी भी खरीदारी में चाहे टीवी , कार , स्मार्टफोन या होटल स्टे में भी वह शुरुआती स्तर की चीजों की बात नहीं करते थे । क्लोज सर्किल में हम जब ऐसे किसी की चर्चा करते जो कभी पैसों को लेकर सजग उपभोक्ता थे और अचानक लग्जरी चीजें पसंद करने लगे , तो उनका उदाहरण दिया जाने लगा । अचानक एक दिन वह परिदृश्य से गायब हो गए । उनके बारे में कहानियां चलने लगी कि लग्जरी लाइफ जीने के लिए उन्होंने ढेर सारे लोन लिए थे , अंततः उनकी और उनके परिवार की जिंदगी तहस - नहस हो गई । धीरे - धीरे वह भुला दिए गए । इस सोमवार को वह मुझे याद आ गए , जब पता चला कि कई सारी नामचीन कंपनियां , जो रईसों के लिए उत्पाद बनाती हैं , अब भारत से लगातार आती लग्जरी की मांग के बाद यहां भी आउटलेट खोल रही हैं । भारत में भी कार निर्माताओं ने अपने बेस मॉडल बनाना कम कर दिए हैं । जैसे दस लाख से कम की कार की 2019 में जहां 57 वैरायटी थीं , जो आज 27 हैं और दस लाख से ज्यादा वालों की दोगुनी हुई हैं । छोटी टीवी स्क्रीन शायद कार की सीट पर चली गई हैं । नहीं तो इसे कैसे बताएंगे कि जनवरी से अभी तक बाजार में पेश टीवी की 170 कैटेगरी में 100 प्रीमियम कैटेगरी की 50 इंच से ज्यादा वाली हैं । क्या हम घर के मुख्य हॉल में जा रहे हैं या सिनेमा हॉल में ? कार , टीवी , मोबाइल के साथ दूसरे उत्पादों में महंगी चीजें पसंद बन रही हैं , ऐसे में ताज्जुब नहीं कि उत्पादकों के अनुमान से इस साल ये बाजार 12 हजार करोड़ रु . पार कर जाएगा । इसमें 8 हजार करोड़ के तो सिर्फ शादियों के परिधान हैं । ढेर सारी वैश्विक कंपनियों द्वारा भारत में जारी लेटेस्ट लग्जरी उत्पादों को अगर संकेत मानें तो कोई भी आसानी से कह सकता है कि लग्जरी चीजों के उपभोग में आ रही इस तेजी के लिए भारत तैयार है । पर किस कीमत पर ? आपको लगता है सबके पास ऐसी लग्जीरियस चीजों के लिए पैसा है ? या फिर सालों पहले उद्योगपतियों को कर्ज देकर पछता रहे बैंक का ध्यान अब लग्जरी की चाह रखने वाले भारतीयों पर है ? दूसरा जवाब सही है । यही कारण है कि राजेश्वरी सेनगुप्ता , हर्ष वर्धन जैसे अर्थशास्त्रियों ने इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंटल रिसर्च के लिए तैयार अपने पेपर में बताया कि यह ' उधार का उपभोगीकरण ' है । नहीं तो इसे कैसे सही ठहराएंगे कि फुटकर कर्ज मार्च 2023 की स्थिति में 40.85 लाख करोड़ रु . था । भले ही इसमें गृह ऋण भी शामिल है , लेकिन इकोनॉमिस्ट का मानना है कि ये जीडीपी का 10 % है और उनके द्वारा अध्ययन कई देशों की तुलना में कम है । अब सवाल है क्या हमें ऊंची ब्याज दरों पर कर्ज लेकर अभी की जिंदगी का लुत्फ उठाने के लिए लग्जरी खरीदनी चाहिए या फिर इंतजार करना चाहिए कि उतनी जरूरत का पैसा जमा हो जाए , फिर जिंदगी का मजा लेने के लिए लग्जरी चीजें बाद में खरीदेंगे ? मेरे लिए ' लग्जरी और लोन ' वैसा ही है जैसे ' रम के साथ रसम ! ' कुछ लोगों को अभी भी ये बेमेल स्वाद पसंद आएगा , जिसका मतलब है । कि वे अभी भी कर्ज चुका सकते हैं और खुशहाल जिंदगी बिता सकते हैं , लेकिन ऊपर जिक्र किए मेरे परिचित जैसे लोगों के लिए थोड़े धैर्य की जरूरत है । फंडा यह है कि जब ईश्वर समय और दबाव का उपयोग करते हुए इल्ली को तितली बना सकता है , रेत को मोती में बदल सकता है , कोयले को हीरा बना सकता है , तो आपको नहीं लगता कि वह आप पर भी काम कर रहा है ? वह कर रहा है , पर आपसे भी धैर्य की उम्मीद है । एक खबर के इस लेख पर आप अपने विचार रखे
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
बंद कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई
Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई कितनी हे,,,?????
-
Vinod raja meghwani (sampadak ) जम्मू कश्मीर में बीजेपी चुनाव हराने के बाद भी ,,सरकार ,,मोदी की होगी
-
Vinod raja meghwani (sampadak)एक खबर सूत्रों से मिली अनुसार रायपुर में एक बार फिर MMI haspitl प्रबंधन की लापरवाही की वजह रायपुर सिंधी समाज क...
-
Vinod raja meghwani (sampadak),,,, बन्द कमरे में बनाए जाने वाले वीडियो से अंधी कमाई कितनी हे,,,?????